Yamitra Dosha in Marriage – विवाह मुहूर्त में यामित्र दोष और परिहार

Yamitra Dosha in Marriage – विवाह मुहूर्त में यामित्र दोष और परिहार  विवाह मुहूर्त में यामित्र दोष का परिहार अवश्य ही कर लेना चाहिए ऐसा नहीं करने पर विवाह उपरान्त दाम्पत्य जीवन में कष्ट मिलने की संभावना होती है। शास्त्रानुसार विवाह नक्षत्र से 14 वें नक्षत्र पर जब कोई ग्रह [...]

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Vedh Dosha in Marriage - विवाह में पंचशलाका और सप्तशलाका वेध दोष

Vedh Dosha in Marriage – विवाह में पंचशलाका और सप्तशलाका वेध दोष

Vedh Dosha in Marriage – विवाह में पंचशलाका और सप्तशलाका वेध दोष. विवाह में शुभ मुहूर्त निर्धारण के लिए अनेक प्रकार के दोषों का परिहार किया जाता है। पंचशलाका व सप्तशलाका चक्र वेध दोष को सभी जगह वर्जित माना गया है। ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार यदि विवाह मुहूर्त वाले दिन [...]

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Chandra or Tara Bal – शुभ मुहूर्त निर्धारण में चंद्र और तारा बल का महत्त्व

Chandra or Tara Bal – शुभ मुहूर्त निर्धारण में चंद्र और तारा बल का महत्त्व. शुभ मुहूर्त का निर्धारण बिना चन्द्र और तारा बल के शुद्धि से नहीं हो सकता है इसलिए चंद्र और तारा शुद्धि अत्यंत ही आवश्यक विषय है। अतः किसी भी कार्य को शुरू करने से पूर्व [...]

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चलित कुंडली या दशम भाव मध्य स्पष्ट का निर्माण कैसे होता है?

चलित कुंडली या दशम भाव मध्य स्पष्ट का निर्माण कैसे होता है? जन्मकुंडली का निर्माण जिस विधि से किया जाता है सामान्यतः उसी विधि से सर्वप्रथम दशम भाव स्पष्ट निकाला जाता है उसके बाद लग्न के भोगांश और दशम भाव के भोगांश के आधार पर भाव मध्य निकाला जाता है। [...]

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जन्मकालीन करण का महत्त्व तथा उसका जीवन पर प्रभाव

जन्मकालीन करण का महत्त्व तथा उसका जीवन पर प्रभाव

जन्मकालीन करण का महत्त्व तथा उसका जीवन पर प्रभाव पंचांग अर्थात पञ्च अंग का मिश्रण। भारतीय हिंदू पंचांग पांच अंगों के मेल से बना है वह अंग है – तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इन्हीं अंगों के आधार पर ही कोई शुभ या मंगल कार्य किया जाता है। इनके [...]

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