Effects of Fifth House Lord in Twelfth House in Hindi
Effects of Fifth House Lord in Twelfth House in Hindi | पंचम भाव के स्वामी का बारहवें भाव में फल, किसी भी जातक के जन्मकुंडली में पंचम भाव संतान ( children) प्यार , बुद्धि, शिक्षा, लक्ष्मी, धन पिता का भाग्य, माता का धन, शेयर, प्रोडक्शन इत्यादि का कारक भाव है यह भाव तथा इस भाव का स्वामी जब बारहवे अर्थात व्यय भाव में स्थित होगा तब वैसा जातक पढाई के लिए विदेश ( Foreign Education )जाता है या घर से दूर जाकर पढ़ता है यदि किसी कारण ऐसा नहीं होता है तो ऐसा जातक बीच में ही पढाई छोड़ सकता है।
द्वादश भाव व्यय, हानि शय्या सुख, ग्रहो के कारकतत्व को वृद्धि करने वाला भाव, मोक्ष तथा विदेश यात्रा इत्यादि का भाव है जब पंचम भाव का स्वामी बारहवे स्थान में स्थित होगा तो निश्चित ही पंचम भाव के कारकत्व की हानि करेगा। ऐसा जातक अपने पैतृक घर में रहकर पढाई करेगा तो कभी भी खुश नहीं रहता है इसी कारण ऐसे जातक को पढाई के लिए अपने घर से बाहर भेज देना चाहिए ।
पंचम भाव संतान का भी भाव होता है पंचमेश जब बारहवे स्थान में जाएगा तो संतान के सुख में कमी करेगा । आप अपने संतान से किसी न किसी बात को लेकर परेशान रहेंगे। आपका संतान रोगी हो सकता है। यदि अशुभ ग्रहों की युति दृष्टि है तो संतान की मृत्यु भी हो सकती है । परन्तु यदि पंचम भाव का स्वामी तथा संतान कारक वृहस्पति शुभ ग्रहों के प्रभाव से प्रभावित है तो आपके संतान का स्वास्थ्य बढ़िया होगा।
पंचम भाव बुद्धि का भी भाव है अतः इस भाव का स्वामी 12 वे भाव में होगा तो व्यक्ति की बुद्धि नकारात्मक विषयो के प्रति ज्यादा भागती है। यदि अशुभ ग्रह की दृष्टि या युति है तो नकारात्मक विचार बढ़ जाता है और व्यक्ति डिप्रेशन जैसे बीमारी से ग्रसित हो जाता है । जातक स्वयं के गलत फैसले के कारण नुकसान भी उठाता है।
बारहवां घर व्यक्ति को शय्या सुख ( Bed Pleasure ) देता है । पंचम भाव प्यार ( Love ) का भाव है यदि पंचमेश शुभ ग्रहों के प्रभाव में है या शुभ ग्रह है तो आप प्यार में भरपूर सेक्स का आनंद उठाएंगे ।
परन्तु यदि अशुभ ग्रह के प्रभाव में है तो प्यार सुख में कमी होगी तथा यदि प्यार में शरीरिक सुख का उपभोग करना चाहते है संभलकर अन्यथा जेल का सुख भोगना पर सकता है।
बारहवे घर ( 12th House) में स्थित पंचमेश व्यक्ति को दार्शनिक धार्मिक तथा आध्यात्मिक बनाता है ऐसा जातक ज्ञान के बल पर मुक्ति प्राप्त करना चाहता है।
गर्ग संहिता में कहा गया है ——
पंचमेशे द्वादशगे क्रूरे सुतरहितः शुभे ससुतः।
सुतसंतापकृप्तो विदेश गमनोद्यतो मनुजः।।
अर्थात यदि पंचमेश बारहवे वा व्यय स्थान में है तो और अशुभ ग्रह के प्रभाव में है तो वैसा जातक संतान सुख से वंचित होता है ( जाने ! आपके कुंडली में संतान सुख है या नहीं ? ) परन्तु शुभ ग्रह के प्रभाव में है तो संतान सुख से युक्त होगा। ऐसा व्यक्ति को अपने जीवन में संतान के कृत्य से संताप मिलता है। यही नहीं अपने संतान से परेशान होकर जातक घर से दूर वा विदेश में जाकर बसता ( Native settling abroad ) है।
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Thanks for sharing this useful information.