Effect of Fifth House Lord in 6th House in Hindi

Effect of 5th House Lord in 6th House in Hindi | जन्मकुंडली में षष्ठ भाव लड़ाई झगड़ा रोग ऋण दुःख नौकरी इत्यादि का कारक भाव है वही जन्मकुंडली में पंचम भाव त्रिकोण स्थान है। इस भाव का सम्बन्ध हमारे पूर्व जन्म से भी माना जाता है । किसी भी व्यक्ति के जन्मकुंडली में पंचम भाव से जातक की बुद्धि, संतान, पढाई, लक्ष्मी, कोई नया कार्य इत्यादि को देखा जाता है अतः इस भाव का स्वामी आपके जन्मकुंडली में जहां भी बैठा होगा वह ग्रह अपने कारकत्व के अलावा इस भाव के लिए निर्धारित कार्यो का फल प्रदान करेगा। जैसे किसी लग्न में यदि पंचमेश षष्ठ भाव में स्थित है तो ऐसा जातक अपने जीवन में कभी न कभी प्यार में अवश्य ही धोखा खाता है। यही उसका प्यार उसके साथ पढ़ने या नौकरी करने वालो के साथ होता है फिर भी प्यार में धोखा या परेशानी का सामना करना ही पड़ेगा। जन्मकुंडली में षष्ठ भाव त्रिक वा दुष्ट भाव के रूप में जाना जाता है जब पंचम भाव का स्वामी छठे घर में जाकर बैठेगा है तो व्यक्ति को पंचम भाव के कारकत्व की हानि करेगा। पंचम भाव का स्वामी जब छठे भाव में होता है तो जातक को संतान पक्ष से परेशानी का सामना करना पड़ता है । क्योकि यह भाव संतान का भी भाव है अतः संतान पक्ष से भी कष्ट मिलता है। यदि अशुभ ग्रह की युति या दृष्टि बनती है तो गर्भपात ( Abortion ) संभावित होता है। आप को बच्चा गोद लेना भी पर सकता है। कई बार तो ऐसा जातक अपने पिता की सम्पती को नुक्सान भी करता है। यही नहीं ऐसा जातक जिसका पंचमेश षष्ठ में है और षष्ठेश पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि या युति है तो निश्चित ही पढाई में भी ब्रेक होता है। ऐसे जातक को पढने में मन नहीं लगता है वह पढाई से जी चुराने लगता है परिणामस्वरूप परीक्षा में सफल नहीं हो पाता है और पढाई छूट जाती है। परन्तु इस बात को भी नही भूलना चाहिए की पंचम भाव शिक्षा का भी भाव है तथा पंचम से छठा भाव दुसरा अर्थात धन भाव है अतः शिक्षा में शिक्षा में धन का उपयोग अथवा शिक्षा से धन का उपार्जन होगा ऐसा जानना चाहिए। ऐसा जातक बौद्धिक रूप से परेशान रहता है बुद्धि में हमेशा न्याय की बात करते रहता है और न्याय के लिए लड़ने के लिए तैयार भी रहता है। ऐसा व्यक्ति कोई नया काम करता है तथा उसके लिए ऋण लेता है। इस नए कार्य को लेकर कभी कभी लिटिगेशन कोर्ट कचहरी का भी सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से ऐसा जातक पेट की बिमारी से हमेशा परेशान सकता है खासकर मेष,वृष,तथा मिथुन लग्न के जातक तो जरूर पेट के रोग से परेशान होते है। पंचम भाव बुद्धि का भाव है तथा षष्ठ भाव नौकरी का भाव है अतः जातक की बुद्धि नौकरी की ओर प्रशस्त होगी वह नौकरी करके अपना जीवन यापन करना चाहेगा । नौकरी की दृष्टि से आप वकील, जज या डॉक्टर ( Doctor) बन सकते है। सामाजिक सेवा कार्यो में भी आपकी रूचि होगी।Effect of 5th House Lord in 6th House in Hindi | जन्मकुंडली में षष्ठ भाव लड़ाई झगड़ा रोग ऋण दुःख नौकरी इत्यादि का कारक भाव है वही जन्मकुंडली में पंचम भाव त्रिकोण स्थान है। इस भाव का सम्बन्ध हमारे पूर्व जन्म से भी माना जाता है । किसी भी व्यक्ति के जन्मकुंडली में पंचम भाव से जातक की बुद्धि, संतान, पढाई, लक्ष्मी, कोई नया कार्य इत्यादि को देखा जाता है अतः इस भाव का स्वामी आपके जन्मकुंडली में जहां भी बैठा होगा वह ग्रह अपने कारकत्व के अलावा इस भाव के लिए निर्धारित कार्यो का फल प्रदान करेगा। जैसे किसी लग्न में यदि पंचमेश षष्ठ भाव में स्थित है तो ऐसा जातक अपने जीवन में कभी न कभी प्यार ( Love ) में अवश्य ही धोखा खाता है। यही उसका प्यार उसके साथ पढ़ने या नौकरी करने वालो के साथ होता है फिर भी प्यार में धोखा या परेशानी का सामना करना ही पड़ेगा।

जन्मकुंडली में षष्ठ भाव त्रिक वा दुष्ट भाव के रूप में जाना जाता है जब पंचम भाव का स्वामी छठे घर में जाकर बैठेगा है तो व्यक्ति को पंचम भाव के कारकत्व की हानि करेगा। पंचम भाव का स्वामी जब छठे भाव में होता है तो जातक को संतान पक्ष से परेशानी ( Feel problem with children)  का सामना करना पड़ता है ।

क्योकि यह भाव संतान का भी भाव है अतः संतान पक्ष से भी कष्ट मिलता है। यदि अशुभ ग्रह की युति या दृष्टि बनती है तो गर्भपात ( Abortion ) संभावित होता है। आप को बच्चा गोद लेना भी पर सकता है। कई बार तो ऐसा जातक अपने पिता की सम्पती को नुक्सान भी करता है।

जानिये ! क्या आपके जीवन में संतान सुख है ?

यही नहीं ऐसा जातक जिसका पंचमेश षष्ठ में है और षष्ठेश पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि या युति है तो निश्चित ही पढाई में भी ब्रेक होता है। ऐसे जातक को पढने में मन नहीं लगता है वह पढाई से जी चुराने लगता है परिणामस्वरूप परीक्षा में सफल नहीं हो पाता है और पढाई छूट जाती है।

परन्तु इस बात को भी नही भूलना चाहिए की पंचम भाव शिक्षा का भी भाव है तथा पंचम से छठा भाव दुसरा अर्थात धन भाव है अतः शिक्षा में शिक्षा में धन का उपयोग अथवा शिक्षा से धन का उपार्जन होगा ऐसा जानना चाहिए।

ऐसा जातक बौद्धिक रूप से परेशान रहता है बुद्धि में हमेशा न्याय की बात करते रहता है और न्याय के लिए लड़ने के लिए तैयार भी रहता है। ऐसा व्यक्ति कोई नया काम करता है तथा उसके लिए ऋण लेता है। इस नए कार्य को लेकर कभी कभी लिटिगेशन कोर्ट कचहरी का भी सामना करना पड़ता है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से ऐसा जातक पेट की बिमारी से हमेशा परेशान सकता है खासकर मेष,वृष,तथा मिथुन लग्न के जातक तो जरूर पेट के रोग से परेशान होते है।

पंचम भाव बुद्धि का भाव है तथा षष्ठ भाव नौकरी का भाव है अतः जातक की बुद्धि नौकरी की ओर प्रशस्त होगी वह नौकरी करके अपना जीवन यापन करना चाहेगा । नौकरी की दृष्टि से आप वकील, जज या डॉक्टर ( Doctor) बन सकते है। सामाजिक सेवा कार्यो में भी आपकी रूचि होगी।

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