शनि कष्ट निवारण हेतु मंत्र, पूजा, दान विधि | Saturn Planets Remedies
शनि कष्ट निवारण हेतु मंत्र, पूजा, दान विधि | Saturn Planets Remedies . ज्योतिष में शनि ग्रह मकर और कुम्भ का स्वामी है। मकर पृथ्वी तत्त्व तथा कुम्भ वायु तत्त्व राशि है। मकर स्त्री वर्ण और कुम्भ पुरुष वर्ण राशि है। शनि ग्रह तुला में उच्च का तथा मेष में नीच का होता है। शनि का शुक्र और बुध के साथ मित्रता का सम्बन्ध है वही गुरु के प्रति शनि उदासीन है। शनि सूर्य को पूर्ण शत्रु ग्रह मानता है परन्तु सूर्य शनि को शत्रु नही मानता है।
जन्मकुंडली में शनि की महत्ता | Importance of Saturn Planet
वस्तुतः शनिदेव कालचक्र के अधिपति है। इनके प्रभाव से प्रत्येक प्राणी नए जन्म के साथ एक नए स्वरूप में जन्म लेकर अपना विकास करता रहता है। इनका मृत्यु से साक्षात् सम्बन्ध है। इनके अधिदेवता यम हैं। इनका काम प्राणियों को मृत्यु प्रदान करना है। मृतक प्राणी की अन्तः शक्ति को उसके कर्मो के अनुसार यम उसे दूसरे जन्म के लिए तैयार करते है। इस प्रकार स्पष्ट है की जन्म-मरण के चक्र में शनि देव का कितना विशिष्ट योगदान है।
शनि के साथ ग्रहो की युति से अनेक प्रकार के योग उत्पन्न होते है। जैसे चन्द्रमा का शनि के साथ युति या प्रतियुति होती है तो सन्यास योग कहलाता है ऐसा जातक सांसारिक संबंधो के प्रति अनासक्त और परित्याग करने की भावना से युक्त होता है।
शनि कारक ग्रह है | Significator of Saturn Planet
ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह कर्म, लोहा, खेती, चोरी, जेल, वृद्धावस्था, अध्यात्म, कंजूस, धार्मिक नेता, मशीन, कोयला, दुःख इत्यादि का कारक ग्रह है। शनि की साढ़े साती 2017-18
शनि और स्वास्थय | Saturn and Health
शनि ग्रह स्वास्थ्य को अधिक रूप से प्रभावित करता है। यदि जन्मकुंडली में शनि ग्रह अशुभ स्थिति में है या अशुभ ग्रह के प्रभाव में है तो जातक हमेशा “मानसिक रूप से परेशान” रहता है। यदि शनि ग्रह पीड़ित है तो जातक जोड़ो के दर्द परेशान रहता है। अतः व्यक्ति को चाहिए की शनि से सम्बंधित मन्त्र, पूजा दान इत्यादि करे ऐसा करने से शारीरिक रोग से छुटकारा पा सकता है।
शनि ग्रह शुभ तथा अशुभ दोनों फल देता है | Benefit of Saturn Planet
शनि ग्रह यदि अनुकूल स्थिति में है और व्यक्ति ईमानदारी से काम किया है तो उसे मनोनुकूल फल की प्राप्ति होती है। जातक जो भी काम करता है उसमें उसे सफलता मिलती है। इस सफलता के कारण उसे समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा भी मिलता है। यदि शनि जन्मकुंडली में शुभ स्थिति में है तो यह जातक की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति रखता है इसी शनि की दशा में इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनी थी परन्तु यदि यह अशुभ स्थिति में है तो वह कार्य के प्रति उदासीनता देता है परिणामस्वरूप व्यक्ति मानसिक पीड़ा का अनुभव करता है।
शनि कष्ट निवारण हेतु आराध्यदेव
शनि ग्रह के लिए आराध्य देव भैरवनाथ जी तथा ब्रह्मा जी है। अतः शनि की शांति हेतु हनुमानजी या भैरवजी की आराधना करनी चाहिए। शनि का पाया जानने की विधि और फल
शनि कष्ट निवारण हेतु मंत्र | Saturn Mantra
जन्मकुंडली में शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए शनि मंत्र का जप करने से अनेक प्रकार की समस्याओ से मुक्ति पा सकते है। यदि आप शनि के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं या जन्मकुंडली में यह ग्रह यदि अशुभ स्थिति में है, तो आपको यह उपाय अवश्य करना चाहिए। शनि मन्त्र का जप शनिवार के दिन से आरम्भ करना चाहिए।
शनि कष्ट निवारण हेतु तांत्रिक मंत्र | Tantrik Mantra for Saturn
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनवे नमः”
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः
ॐ शं शनैश्चराय नमः
शनि कष्ट निवारण हेतु गायत्री मंत्र
ॐ भग भवाय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्न: शनि प्रचोदयात।।
शनि कष्ट निवारण हेतु वैदिक मन्त्र
ॐ शन्नोदेवीरभीष्टये आपो भवन्तु पीतये श्योरिवश्रवन्तुनः। शनि मन्त्र की जप संख्या
जप संख्या – 19000
हवन -1900
तर्पण – 190
मार्जन – 19
ब्राह्मण भोजन – 2
शनि कष्ट निवारण हेतु दान | Donation for Saturn Planets
शनि ग्रह के लिए निम्नलिखित वस्तुओं का दान देना चाहिए। दान से पूर्व शनि ग्रह की पूजा विधिवत करनी चाहिए उसके बाद नवग्रह की पूजा करे। शनि से संबंधित वस्तुओं का दान शनिवार के दिन संध्या काल में जरूरतमंद वृद्ध वा गरीब व्यक्ति को दान देना चाहिए यदि यह सम्भव नहीं हो सके तो किसी ब्राह्मण को दान दे।
काली तिल
काला वस्त्र
तेल
जूता
लोहा
भैस
उड़द
नीलमणि
शनि कष्ट निवारण हेतु तांत्रिक टोटका
- “दशरथ कृत शनि स्तोत्र“ का नियमित पाठ करे।
- अपने भोजन में से प्रथम ग्रास निकालकर काली गाय को खिलावें।
- शिवजी के भैरवजी की रूप की अराधना करें।
- हनुमानजी की पूजा आराधना करें।
- पीपल के वृक्ष में प्रतिदिन अथवा शनिवार के दिन जल दे।
शनि ग्रह की शांति हेतु व्रत
शनि ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए जातक को शनिवार का व्रत करना चाहिए। यह व्रत ज्येष्ठमास के शुक्लपक्ष में प्रथम शनिवार से आरम्भ करना चाहिए।
शनि कष्ट निवारण हेतु कौन सा रत्न धारण करें
यदि शनि ग्रह आपके कुंडली में शुभ है या योगकारी है या लग्न का स्वामी है और उसे बलप्रदान करना है तो वैसी स्थिति में जातक को लोहे या पञ्च धातु में नीलम रत्न ( Blue sapphire ), “नीली रत्न” की अंगूठी धारण करनी चाहिए।
शनि की शांति के लिए किस रुद्राक्ष को धारण करे
जिस जातक का शनि कमजोर है वैसे व्यक्ति को “सात मुखी रुद्राक्ष” की पूजा तथा धारण करनी चाहिए । शनि ग्रह से अधिष्ठित सात मुखी रुद्राक्ष साक्षात कामदेव रूप में स्थित है इसके धारण करने से विपुल वैभव, भाग्योदय और उत्तम आरोग्य की प्राप्ति होती है।
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