शनि का 7 वें भाव में फल | Saturn Effects in 7th house
शनि का 7 वें भाव में फल | Saturn Effects in 7th house. सप्तम भाव में स्थित शनि का फल अच्छा नही बताया गया है। इस जातक को अपने माता पिता के प्रति असीम प्यार होता है परंतु इनका ध्यान पैतृक संपत्ति के ऊपर भी रहता है। सप्तम भाव का शनि वैसे मित्र जो व्यक्ति को सफलता की उच्च शिखर पर ले जाने वाला होता है में बाधा उत्पन्न करता है। इस स्थान का शनि जातक को संतान कष्ट भी देता है। जानें ! आपको संतान सुख है या नहीं ?
7 वें भाव में शनि और दाम्पत्य जीवन
सप्तम भाव विवाह एवं जीवनसाथी का भाव है। इस भाव में शनि का होना विवाह और वैवाहिक जीवन के लिए शुभ संकेत नहीं माना जाता है। सप्तम शनि होने से जातक की स्त्री कुरूपा-कटुभाषी- -कलहप्रिया होती है इसी कारण जातक का वैवाहिक जीवन नरक बन जाता है। यहाँ पर शनि स्थित होने पर व्यक्ति की शादी सामान्य आयु से देरी से होती है। सामान्यतः जीवनसाथी की उम्र ज्यादा होती है ऐसा देखा गया है। जानें ! कब होगी आपकी शादी ?
दाम्पत्य जीवन में हमेशा कोई न कोई परेशानी आती ही रहती है। विवाह से धन लाभ या दहेज के रुप में धन लाभ मिलता है। दाम्पत्य जीवन में परेशानी का मुख्य कारण जीवन साथी के स्वभाव का मनोनुकूल न होना होता है। जातक को अविवाहित रहने की इच्छा भी होती है।
पति या पत्नी के स्वभाव में जिद्दीपन होता है इसी कारण छोटी छोटी बातों को लेकर कलह शुरू हो जाती है जो गम्भीर रूप धारण कर लेता है। पत्नी के शरीर में कोई न कोई रोग बना रहता है। इस भाव में शनि यदि नीच राशि मे है तो यह संभावना रहती है कि जातक काम पीड़ित होकर किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करता है जो उससे उम्र में अधिक बड़ा हो। जानें ! शादी में देर होने का क्या है कारण ?
7 वें भाव में शनि और व्यावसायिक जीवन
सप्तम भाव में शनि वाला जातक नौकरी भी करता है और बाद में नौकरी छोड़कर अपना भी काम करने लगता है । आपका काम ठेकेदारी, बीमा एजेन्ट, बिल्डिंग बनाने इत्यादि से जुड़ा हुआ हो सकता है। वैसे आप शिक्षक, प्राध्यापक, गणक आदि कामों से जुड़कर भी अपना आजीविका चला सकते हैं। जातक को न्यायालय एवं राज्य से निराशा प्राप्त होती है। ऐसा जातक अपने व्यवसाय में पिता के सम्पत्ति का उपयोग करके खुद के व्यवसाय को आगे बढ़ाता है तथा स्वसम्पत्ति की वृद्धि करता है।
शनि और मनोवैज्ञानिक स्थिति
जातक के अन्दर मानसिक अशान्ति ( Why Mentally Depressed जानें ! क्यों हैं मानसिक रूप से परेशान ?) बनी रहती है, कई बार इन्हें अपने आप में घबराहट महशुस करते हैं। समय-समय पर आने वाली आर्थिक समस्याएं विचलित करके भी आपको विचलित नहीं कर पाती है। इस भाव का शनि जातक को इतना लोभी बनाता है कि उसकी तृष्णा कभी शान्त ही नहीं होती है।
इस प्रकार हम कह सकते है कि सप्तम भावके शनि के प्रभाव से व्यक्ति दुष्टस्त्री-रत-अन्याय-दुष्टमित्रयुक्त-तृष्णाभिभूत होता हुआ संसार मे उन्मत्तवत व्यवहार करता हुआ भटकता रहता है। ऐसे जातक का मन अशांत रहता है।
Upay | उपाय
- हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी नियमितरूप से खिलाएँ ।
- अपने हाथ में घोड़े की नाल का शनि छल्ला धारण करें ।
- शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करे।
- शनि देव का बीज मन्त्र का जप कमसे कम माला प्रत्येक शनिवार को अवश्य करें।
उपर्युक्त फल एक सामान्य फल है किसी भी कुंडली में किसी भी ग्रह का फल कुंडली में स्थित अन्य ग्रह के दृष्टि साहचर्य के आधार पर देखनी चाहिए अतः अपने बुद्धि विवेक तथा अनुभव के आधार पर ही फलित करे। जो जातक ज्योतिष नहीं जानते है वह कृपया इस फल को ब्रह्म सत्य न मानें क्योकि फलित सम्पूर्णता के आधार पर किया जाता है।
प्रथम भाव में शनि का फल | दूसरे भाव में शनि का फल | तृतीय भाव में शनि का फल | चतुर्थ भाव में शनि का फल |
पंचम भाव में शनि का फल | षष्ठ भाव में शनि का फल | सप्तम भाव में शनि का फल | अष्टम भाव में शनि का फल |
नवम भाव में शनि का फल | दशम भाव में शनि का फल | एकादश भाव में शनि का फल | द्वादश भाव में शनि का फल |