जन्मकुंडली में स्थित एकादश भाव को लाभ भाव के नाम जाना जाता है। इस भाव से जातक के मन की इच्छा, लाभ, बड़े भाई-बहन, चाचा से संबंधित सभी विषयों का विचार किया जाता है। शनि यदि एकादश भाव में स्थित है तो उसकी दृष्टियां लग्न , पंचम तथा अष्टम भावों पर होगी इस कारण से इस दृष्टियों का प्रभाव जातक के स्वास्थ्य मान सम्मान, विद्या और पैतृक सम्पत्ति के ऊपर पड़ेगा। इस भाव में स्थित शनि अन्य ग्रहो की युति, दृष्टि व स्वामित्व के अनुसार शुभ-अशुभ फल भी प्रदान करेगा जिसका निर्धारण जातक के व्यक्तिगत जन्म कुंडली के आधार पर ही किया जा सकता है ।
ज्योतिष के ऋषि-आचार्यने यहाँ पर स्थित एकादशस्थ शनि को शुभ और अशुभ दोनों फल देने वाला कहा है। किन्तु तार्किक रूप से यह कहा जा सकता है कि पापयुक्त या नीच का शनि जब इस भाव में बैठता है तो इस स्थान को पीड़ित करता है और इस भाव के शुभत्व को नष्ट करता है इसी कारण जातक को अपने कार्य लाभ से कभी संतुष्टि नही मिलती है।
एकादश भाव में शनि के सम्बन्ध में आचार्य का मत—–
प्राचीन आचार्य जीवनाथ ने एकादशस्थ शनि के फल के सम्बन्ध में कहा है —
यदा लाभ स्थानं गतवती शनौ यस्य जनने।
स्थिरं वित्तं चित्तं स्थिरंमपि चिरंजीवति च सः।।
जिस मनुष्य के जन्मसमय में शनि एकादशभाव में हो तो उसका धन, चित्त और आयु स्थिर होते हैं अर्थात वह हमेशा धनी, स्थिरबुद्धि और चिरकाल तक जीवित रहने वाला होता है।
एकादशस्थ शनि वाले जातक का स्वभाव | Nature of Native
एकादश भाव का शनि मिश्रितफल देता है। यदि शनि इस स्थान में उच्च का है या अपने घर (मकर और कुम्भ राशि) का है तो जातक अपने कर्मलाभ का अधिकारी होता है वह अपनी बुद्धि चातुर्य से लाभ प्राप्ति के लिए ही कोई कार्य करता है। वह शुभकर्म करने के साथ साथ कर्म को पूजा समझने वाला होता है। जातक परोपकारी, मधुरभाषी और वाक्चातुर्य से युक्त होता हैं। वह स्वभाव से ही थोड़े में ही संतोष करने वाला होता है। उसके जीवन का मूलमंत्र संतोष होता है| वह भाग्यवान, भोगी और विचारशील होगा। व्यक्ति दानी और दया भाव रखने वाला भी होता हैं। जातक दीर्घायु, शूर वीर और स्थिर बुद्धि वाले होते हैं।
शनि का एकादश भाव में फल : सामान्य फल विचार
जिस व्यक्ति के जन्मकुंडली में शनि ग्रह ग्यारहवें वा लाभ भाव में होता है वैसा जातक स्वस्थ, धनी, दीर्घायु, भू-संपत्ति वाला, उत्तम आय वाला, जानें ! आपकी कुंडली में धन योग है या नहीं ? छल-प्रपंच से युक्त होता है। वह अपनी मेधा शक्ति और पराक्रम से उत्तम सुख प्राप्त करता है । ऐसे जातक का स्वास्थ्य सामान्यतः स्वस्थ्य होता है। इस स्थान से शनि की दृष्टि संतान भाव पर होती है परिणामस्वरूप संतति पक्ष को लेकर व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहता है। जानें ! आपकी कुंडली में संतान सुख है या नहीं ? शनि संतान सुख में भी कमी करता है। ऐसे जातक की संतति निकृष्ट, विलंब से संतान का जन्म अथवा मृत संतान की उत्पत्ति होती है। सामान्यत: एकादश भावस्थ शनि पुत्र संतति हेतु शुभ नहीं कहा जा सकता । वह अपने बुंद्धि सामर्थ्य से संपत्ति तथा मान-सम्मान प्राप्त करता है। एकादश भावस्थ शनि का व्यक्ति समृद्धिशाली तथा वाहन सुख से युक्त होता है ।
लाभ भाव में शनि और व्यवसाय
कृषि (Agriculture) कार्य से उसे प्रचुर लाभ होता है। वह विभिन्न विद्याओं में दक्ष होता है । इस स्थान में शनि अध्ययन-अध्यापन से लाभ भी देता है। ऐसा जातक वाहन, कृषि से लाभ प्राप्त करता है। यदि जातक लोहा, छड़, सीमेंट इत्यादि का काम करता है तो उसमे अधिक सफलता वा लाभ होते हुए देखा गया है। यहां स्थित शनि जातक को यशस्वी बनाता है, साथ ही आपको अच्छे मित्रों की संगति भी देता है। जातक सरकारी नौकरी भी करता है।
एकादश भाव में अशुभ शनि का फल
इस स्थान में शनि यदि पीड़ित हो तो मित्रों से नुकसान होता है। यदि शनि का सूर्य या चन्द्रमा से सम्बन्ध बनता है और किसी भी तरह से अन्य अशुभ ग्रह से भी संबंध बन जाता है तो उसे लाभ कम हानि ज्यादा होती है। यदि यह योग चर राशि में बनता है तो मित्रों के कारण धन नाश होता है। स्थिर राशि में जीवन के उत्तरार्ध में कष्ट होता है तो द्विस्वभाव राशि में होने पर इच्छा लाभ में नुकसान होता है।
शनि किस राशि में शुभ फल देता है
शनि यदि एकादश भाव में मेष, मिथुन,कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु तथा मीन राशि में बैठा है और शुभ ग्रह से युत है तो शुभ फल प्रदान करता है | इसी भाव में शनि यदि मेष, वृश्चिक एवं मीन राशि में स्थित है तो अशुभ फल देने में समर्थ होता है। मिथुन, सिंह और धनु राशिगत एकादश भावस्थ शनि पुत्र-सुख में बाधा उत्पन्न करता है।
प्रथम भाव में शनि का फल | दूसरे भाव में शनि का फल | तृतीय भाव में शनि का फल | चतुर्थ भाव में शनि का फल |
पंचम भाव में शनि का फल | षष्ठ भाव में शनि का फल | सप्तम भाव में शनि का फल | अष्टम भाव में शनि का फल |
नवम भाव में शनि का फल | दशम भाव में शनि का फल | एकादश भाव में शनि का फल | द्वादश भाव में शनि का फल |
satya hai mere bhi hai !
mithunka ekadashme shadi ke 9 sal bad pahali ladaki aur 18 salbad ladaka;isdouran teen aapatya spoil hue !
upayukt postke liye sadhuvad !