Retrograde Planets Effects – वैदिक ज्योतिष में वक्री ग्रह का फल

Retrograde Planets Effects - वैदिक ज्योतिष में वक्री ग्रह का फलRetrograde Planets Effects – वैदिक ज्योतिष में वक्री ग्रह का फल. वैदिक ज्योतिष में वक्री ग्रह को विशेष महत्त्व दिया गया है यदि आपके जन्मकुंडली में कोई ग्रह वक्री अवस्था में है तो उसके फल कथन में विशेष रूप से सावधानी रखनी चाहिए। वक्री ग्रह का कुंडली में होना कुछ विशेष संकेत देता है। वक्री ग्रह किसी भी व्यक्ति की कुंडली में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि ज्योतिष के अनुसार इन्हें विशेष रूप से चेष्टा बल मिलता है। चेष्टा बल का अर्थ है किसी वस्तु स्थिति के प्रति चेष्टा रखना।

कोई भी ग्रह जब वक्री होता है तो जिस भाव और कारकत्व को लेकर वह कुंडली में स्थित होता है वक्री होने पर उन कार्यों के प्रति विशेष रूप मेहनत करवाता है।ऐसा इसलिए होता है कि व्यक्ति की सोच उस वस्तु अथवा व्यक्ति अथवा रिश्ते के प्रति अधिक रूप से दृढ हो सके। जानें ! ग्रह क्यों और कैसे होते हैं वक्री ?

Retrograde Planets Effects | ग्रह का प्रभाव किसके ऊपर पड़ता है ?

यदि कोई ग्रह वक्री हो और वह दो राशियों का स्वामी हो तो उसका दो गुणा प्रभाव होगा, जैसे- वृहस्पति धनु तथा मीन राशियों का स्वामी है। ज्योतिषीय दृष्टि से धनु तथा मीन राशि वाले तो प्रभावित होंगे ही, साथ में जिन व्यक्तियों का जन्म धनु व मीन राशि में है, वे भी प्रभावित होंगे और गुरु जिस घर में है, जहां उसकी दृष्टि है, वह भाव भी प्रभावित होगा । साथ ही गोचर में गुरु जिस कुंडली के जिस भाव में से गति कर रहा है, वह भी प्रभावित होगा ।

वक्री ग्रह के सामान्य फल |Retrograde Planets Effects

भचक्र में सूर्य और चंद्रमा सदैव सामान्य गति से चलते हैं और ये दोनों ग्रह कभी वक्री नहीं होते, वहीं दूसरी ओर राहु और केतु सदैव वक्री अवस्था में स्थित होते हैं। शेष ग्रह कभी वक्री और कभी मार्गी अवस्था में होते रहते हैं। आइये संक्षिप्त में जानते है की वक्री ग्रह कैसे फल देते है।  कहा जाता है की शुभ ग्रह यदि वक्री है तो शुभ फल और अशुभ ग्रह वक्री है तो अशुभ फल देता है।

बुध के वक्री होने का फल 

बुध ( Mercury) बुद्धि का कारक ग्रह है इसलिए इस ग्रह वक्री होने से जातक के अंदर निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। ऐसा जातक तुरंत निर्णय नहीं ले पाता है। ऐसे जातक के व्यापार में एक बार नुकसान होने का खतरा बना रहता है।

शुक्र के वक्री का फल

शुक्र ( Venus) के वक्री होने पर व्यक्ति में भौतिक सुख से ज्यादा आसक्त हो जाता है। उसके अंदर भावनात्मक परिवर्तन भी आते हैं। ऐसे जातक के दांपत्य जीवन में परेशानी आती है। यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो भी उसका असर पड़ता है।

मंगल के वक्री का फल

मंगल ( Mars )का संबंध एनर्जी से है और मंगल के वक्री होने पर व्यक्ति अपनी उर्जा का इस्तेमाल कैसे करें ? जैसी समस्या से ग्रस्त रहता है। उसके माइंड में हमेशा चिंता बनी रहती है की मैं क्या करू ? ऐसा जातक अक्सर अपनी उर्जा का दुरुपयोग करता है या कई बार ऊर्जा का प्रयोग कर ही नहीं पाता है। इसके भाई-बहन के साथ रिश्तों में किंचित मनमुटाव रहता है।

गुरु ग्रह के वक्री का फल

यदि आपकी कुंडली में गुरु ( Jupiter) ग्रह वक्री है तो सबसे पहले देखें की गुरु किस घर का स्वामी है। जातक को उस घर संबंधित फल देर से मिलने की संभावना बनी रहती है। ऐसा जातक प्रायः दूसरों को सलाह देने में माहिर होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्ति के द्वंद्व में फंसा रहता है। कई बार दूसरों से न्याय की बात करता है परन्तु खुद ऐसा नहीं करता।

शनि के वक्री होने का फल

शनि ( Saturn) के वक्री होने पर जातक का प्रायः कोई भी काम देर से ही होता है। उसे अपने मेहनत का फल प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता है। ऐसा जातक अपने जीवन में अनेक प्रकार के काम करता है। वह दूसरों को धोखा भी दे सकता है। जातक  बहुत अधिक परिश्रम करता है।

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