मंगल का विभिन्न भाव में शुभ अशुभ फल विचार | Mars in 12 Houses

मंगल का विभिन्न भाव में शुभ अशुभ फल विचार | Mars in 12 Houses. जिस प्रकार शरीर में रक्त का विशेष महत्त्व है उसी प्रकार किसी भी जन्मकुंडली में मंगल ग्रह का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मंगल ग्रह से प्रभावित जातक का स्वभाव तीक्ष्ण, उग्र तथा साहसिक होता है। मंगल का वर्ण रक्त होता है। यह पित्त का कारक ग्रह है। यह ग्रह तमोगुणी तथा पुरुष जाति का होता है। मंगल को कुंडली में दो राशि प्रदान किया गया है जिनमे से एक मेष तथा दूसरा वृश्चिक है। मेष राशि इसकी मूल त्रिकोण राशि है। मकर राशि में यह उच्च का एवं कर्क राशि में नीच का होता है। दशम भाव में दिक्बली होता है।

यदि आपकी जन्म कुंडली में मंगल अपने घर का, केंद्र या त्रिकोण में शुभ स्थिति में है या उच्च का तो आप अवश्य ही अपने जीवन काल में सभी सुख सुविधाओं यथा मान-सम्मान, यश, सरकारी नौकरी, भूमि, भाई बहन इत्यादि का उपभोग करेंगे। इसके विपरीत यदि मंगल आपकी जन्म कुण्डली में त्रिक भाव का नीच का या अशुभ ग्रहो के भाव में स्थित है तो आपको एक्सीडेंट, रक्त विकार, ह्रदय रोग इत्यादि का सामना करना पड़ेगा।

आइये प्रस्तुत लेख के माध्यम से यह जानने का प्रयास करते है कि मंगल ग्रह विभिन्न भाव में क्या फल प्रदान करता है।

प्रथम भाव में मंगल | Mars in First House

प्रथम स्थान में मंगल जातक को बलशाली बनाता है। आप मांगलिक होंगे इस कारण दाम्पत्य-जीवन  में सुख का अभाव होगा। लग्न भाव में स्थित मंगल ग्रह साहस के साथ-साथ क्रोधी भी बनाता है। ऐसा जातक तुरंत निर्णय लेता है। आगे पढ़े —

दूसरे भाव में मंगल का फल | Mars in Second House.

दूसरे भाव में मंगल शुभ फल देता है। इस स्थान में मंगल आपको भौतिक सुख प्रदान करता है। आप विद्वान गुणी और समाज में प्रतिष्ठित होंगे। बलहीन मंगल इस भाव में आपको कलह प्रिय, मंद बुद्धिवाला अपव्ययी विषयी तथा अनैतिक कामप्रिय (sex lover) बनाता है। आगे पढ़े —-

तृतीय भाव में मंगल का फल | Mars in Third House

तृतीय स्थान में मंगल व्यक्ति को साहसी पराक्रमी और परिश्रमी बनाता है वह मेहनत से अपने भाग्य का निर्माण करता है। मंगल ग्रह व्यक्ति गुणवान और भू-सम्पत्ति वाला बनाता है। मंगल ग्रह में अहंकार और आत्माभिमान विशेष रूप से होता है। आगे पढ़े —-

चतुर्थ भाव में मंगल का फल | Mars in Fourth House

चतुर्थ भाव में मंगल होने से मांगलिक दोष के कारण दाम्पत्य जीवन में कष्ट होता है। आप वाहन सुख का आनंद तो लेंगे परन्तु दुर्घटना के शिकार भी हो सकते हैं। आपकी स्थति मुख में राम बगल में छुरी वाली लोकोक्ति चरितार्थ होती है। आगे पढ़े —-

पंचम भाव में मंगल का फल | Mars in Fifth House

पांचवे स्थान में मंगल व्यक्ति बुद्धिमान बनाता है परन्तु संतान, स्त्री आदि सुख में कमी भी करता है। इस भाव में मंगल जातक को छल कपट तथा चंचलता प्रदान करता है। मंगल व्यक्ति के स्वभाव में भी उग्रता प्रदान करता है।आगे पढ़े —-

षष्ठ भाव में मंगल का फल | Mars in Sixth House

छठे भाव में मंगल जातक को बलवान, धैर्यशाली, शत्रुहंता एवं अधिक व्यय करने वाला बनाता है। ऐसा जातक प्रसिद्ध होता है विद्वानों से मैत्री तथा उपक्रमों में सफलता प्रदान करता है। आप के अनेक शत्रु होंगे परन्तु शत्रुओं पर आपकी विजय होगी इसमें कोई संदेह नहीं।  आगे पढ़े —-

सप्तम भाव में मंगल का फल | Mars in seventh House 

सातवें भाव में मंगल होने से व्यक्ति अपनी पत्नी से दुखी, वात रोगी, क्रोधी, कटुभाषी, ईर्ष्यालु एवं धन का नाश करने वाला होता है। इस भाव में मंगल व्यक्ति मांगलिक होता है जिसके कारण वैवाहिक जीवन नरक जैसा बन जाता है। आगे पढ़े —-

अष्टम भाव में मंगल का फल | Mars in Eighth House

आठवे भाव में मंगल व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में परेशानी तथा परिवार से दूर करता है। ऐसा व्यक्ति अपने परिवार के साथ रहकर भी साथ होने का अनुभव नहीं करता है। इस स्थान का मंगल विवाह जल्दी कराता है। यहाँ का मंगल आपके दाम्पत्य जीवन के दु:ख का कारण बनता है। आगे पढ़े —-

नवम भाव में मंगल का फल | Mars in Ninth House

नवम भाव में मंगल होने से व्यक्ति का पारिवारिक जीवन सुखमय है। हां पिता के लिए यह अरिष्ट कारक होता है। आपके पिता और छोटे भाई का स्वभाव आपके लिए कड़वा हो सकता है। इस भाव मंगल जातक को अदम्य उत्साह और असीम धैर्य के साथ आध्यात्मिक मार्ग की ओर प्रशस्त करता है। आगे पढ़े —-

दशम भाव में मंगल का फल | Mars in Tenth House

यदि आपकी कुंडली के दशम भाव में मंगल है तब आप धनवान ,बलवान तथा बुद्धिमान होंगे। ऐसा वयक्ति राजा के समान जीवन व्यतीत करता है। समाज तथा परिवार में मान-सम्मान तथा प्रशंसा होती है। आगे पढ़े —-

एकादश भाव में मंगल का फल | Mars in Eleventh House

जिस जातक के ग्यारहवें भाव में मंगल होता है वह बहुत ही गुणी, सुखी, शूर, धनी,तथा पुत्रों से युक्त तथा शोक हीन होता है। ऐसा व्यक्ति धनवान तथा भूमि का मालिक होता है। ऐसा जातक कुरूप होते हुए भी लक्ष्मी के प्रभाव के कारण सुरूप ही प्रतीत होता है। आगे पढ़े —-

बारहवें भाव में मंगल का फल | Mars in Twelfth House

बारहवे भाव में मंगल होने से जातक मांगलिक होता है इसके कारण दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रहता है। ऐसे जातक की आँखे चंचल, बुद्धि चपल और इच्छा से भ्रमण करने की होती है। ऐसा व्यक्ति मुर्ख, उग्र और झगडालू होता है। आगे पढ़े —-

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