Mantra ka chunav kaise kare | कैसे करें मंत्र का निर्धारण
Mantra ka chunav kaise kare | कैसे करे मंत्र का निर्धारण | मन्त्र में जीवन और आरोग्य प्रदान करने की अदम्य क्षमता है परन्तु मन्त्र के गलत उच्चारण होने पर वही मन्त्र हमें मृत्युतुल्य कष्ट देने की भी क्षमता रखता है। हम सभी कोई न कोई मन्त्र का जप करते है या करते रहते है परन्तु इस बात का ध्यान नही देते है क्या जिस मन्त्र का हम जाप कर रहे है वह हमें शुभ फल देने वाला है या नहीं। आकाशीय ग्रह जिस प्रकार सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को प्रभावित करती है और मंत्र शक्ति उस ग्रहीय प्रभाव की दिशा को ही बदल देती है। आध्यात्म में श्रद्धा एवं विशवास रखने वाले जातक को मन्त्र शक्ति के प्रभाव के सम्बन्ध में लेशमात्र भी संदेह नही है परन्तु नास्तिक विचार वाले जातक निश्चय ही संदेह की दृष्टि से देखते है।
हालांकि अमेरिका के वैज्ञानिकों ने ” ॐ” शब्द के उच्चारण का परीक्षण किया तो पाया की यदि कोई जातक प्राणायाम में ॐ का उच्चारण करता है तो मन मस्तिष्क तथा शरीर में शीघ्र ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है परंतु अन्य शब्द के उच्चारण करने से ऐसा नही होता है यह एक वैज्ञानिक तथ्य है।
ग्रहों की शांति एवं उसके दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए ज्योतिषी अनेक मंत्रों का सहारा लेते है।परन्तु यह भी देखा गया है कि कभी तो वह मन्त्र चमत्कारिक प्रभाव दिखाता है परन्तु कई बार नहीं। यह भी देखा गया है कि एक व्यक्ति जो सालों से मंत्रो का जाप रहा है परन्तु मनोवांछित फल प्राप्त नहीं हुआ और अंततः मंत्र शक्ति के ऊपर से श्रद्धा और विशवास खो देता है। या यू कह सकते है की मन्त्र जप करने के बाद भी अशुभ परिणाम देखने को मिलता है तो कभी कोई भी प्रभाव नही दिखता है तो कभी अशुभ प्रभाव भी होने लगता है।
मन्त्र ( Mantra) के सम्बन्ध में कहा गया है —
मंत्रे, तीर्थे, द्विजे, देवे, दैवज्ञे, भैसजे, गुरौ।
यादृशी भावना यस्य सिद्धिर्भवति तादृशी।।
अर्थात मन्त्र तीर्थ ब्राह्मण देवता ज्योतिषी डॉक्टर तथा गुरु के प्रति आपकी जैसी भावना होगी वैसी ही सिद्धि भी मिलती है।
यही नही ज्योतिषी ( Astrologer ) के पास अक्सर यह प्रश्न किया जाता है कि आपने जो मंत्र दिया है उसका कोई भी प्रभाव नहीं हो रहा जबकि पहले जो मन्त्र आपने दिया था उसके जप से मेरी परेशानी दूर हो गई थी। मेरे भी मन में यह सवाल उठने लगा की ऐसा क्यों हुआ इसका उत्तर आज मैं इस लेख के माध्यम से देने का प्रयास कर रहा हूं।
कैसे करें! मन्त्र का निर्धारण | How to choose Mantra
जिस प्रकार विवाह संबंध( Marriage ) तय करने से पहले अष्टकूट मिलान के माध्यम से लड़का-लड़की के गुण दोष का विचार किया जाता है उसी प्रकार किसी भी मंत्र का जाप करने से पहले इस बात का परीक्षण अवश्य ही कर लेना चाहिए कि मन्त्र जप ( Chanting of Mantra) करने वाले व्यक्ति के साथ मंत्र का संबंध किस प्रकार का है।
चक्रो के माध्यम से करें मंत्र का निर्धारण
मंत्र दीक्षा तथा जप से पहले साधक एवं मंत्र के बीच संबंध का भी विचार अनेक चक्रों के माध्यम से किया जाना चाहिए। मंत्रो के निर्धारण में राशि चक्र, नक्षत्र चक्र ऋण-धन चक्र, कुलाकुल चक्र इत्यादि का सहारा लेना चाहिए। जैसे कुलाकुल चक्र में मन्त्र दीक्षा या मन्त्र जप करने वाले व्यक्ति तथा मंत्रो के प्रथम अक्षर का विचार करना चाहिए।
वायु आदि तत्त्व के मित्रता और शत्रुता के आधार पर करें मन्त्र का निर्धारण
ज्योतिष के अनुसार एक ही तत्व की राशियों में मित्रता और शत्रुता का भाव होता है। पृथ्वी, जल तत्व और अग्नि, वायु तत्वों वाले जातक एक दूसरे के सहायक होते है। अग्नि व वायु तत्व वालों की मित्रता होती है परन्तु पृथ्वी, अग्नि तत्व, जल तथा अग्नि तत्व एवं जल तथा वायु तत्वों वाले जातकों में शत्रुतापूर्ण संबंध होते हैं ऐसा जानना चाहिए।
कुलाकुल चक्र | Kulakul Chakra
वायु | अग्नि | भूमि | जल | आकाश |
अ | इ | उ | ऋ | लृ |
आ | ई | ऊ | ऋ | लृ |
ए | ऐ | ओ | औ | अं |
क | ख | ग | घ | ङ् |
च | छ | ज | झ | ञ |
ट | ठ | ड | ढ | ण |
त | थ | द | ध | न |
प | फ | ब | भ | म |
य | र | ल | व | श |
ष | क्ष | स | ह |
व्यक्ति के नाम का प्रथम अक्षर ( First word of Name) या जन्म राशि के नाम का आदि अक्षर और मंत्र का आदि अक्षर यदि एक ही तालिका में आ रहा है तो ऐसा मंत्र अपने कुल का मंत्र होता है मंत्र एवं साधक एक देवता के समान होते हैं। यदि एक तालिका में न पड़े तो अपने मित्र तत्व के तालिका के मंत्र का जाप सहायक सिद्ध होता है।
जैसे —
“नमन” नाम के साधक का पहला अक्षर ” न ” है जो आकाश तत्त्व को के तालिका में है और आकाश तत्त्व सभी का मित्र है अतः नमन किसी भी वर्ण से आरम्भ होने वाले अक्षर का मन्त्र का दीक्षा या जप कर सकता है।
परन्तु यदि किसी व्यक्ति का नाम “संजय” है तो उसके नाम का प्रथम अक्षर “स” है जो जल तत्त्व के तालिका में है इसलिए वह अपने मित्र “भूमि तत्त्व” में आने वाले अक्षर तथा सभी का मित्र “आकाश तत्त्व” में के तालिका में शामिल अक्षरो से शुरू मंत्र का जप या दीक्षा करे तो शुभ फल की प्राप्ति होगी।
नोट :– इसी प्रकार जातक को “राशि चक्र” के माध्यम से भी यह जानना चाहिए की कौन सा मन्त्र का जप करना हमारे लिए शुभ प्रभाव देने वाला है और कौन सा अशुभ प्रभाव देने वाला है। राशि चक्र के सम्बन्ध में अगले लेख में बताया जाएगा।
2 Comments
Namaste dr. Sharmraji,
Kulakul chakra ke pe jo apane saral bhasha me gyan diya hai… is ke liye apaka dhanyawad…. Yah gyan sach me dekha jaye to klist lagata hai…. Par aap sach me great hai…. Kya aap se mai phone pe contact kar sakata hu…. Aap se bat karana mera soubhagya hoga…..
Praveen yashawant khude
8698768154
Aap ka whatsaap number mil jaye to kripa hogi
Sir my name is Hitansh Kumar
My date of birth 15-10-1998 hai
Time 18.05
Place – Una Himachal Pradesh
Sir my Mai civil service exam ki tayari kr sakta hu ????
Plzz guide my sir