गुरु का दो ग्रहों के साथ युति फल | Effects of Jupiter Conjunction in Horoscope

गुरु का दो ग्रहों के साथ युति फल | Effects of Jupiter Conjunction in Horoscope. गुरु ग्रह के विषय में कहा गया है की जिस प्रकार शरीर में प्राण के निकल जाने पर शरीर मृत हो जाता उसी प्रकार जन्मकुंडली विना गुरु मृतप्राय ही है। जन्मकुंडली में गुरु ग्रह ज्ञान, न्याय दर्शन शास्त्र, विष्णु, ज्योतिष, शिक्षा, इत्यादि का कारक है।  यदि आपकी कुंडली में गुरु उच्च का, अपने घर का, केंद्र या त्रिकोण स्थान में है तो आप अपने जीवन काल में मनोनुकूल सुख सुविधा का उपभोग करेंगे । विभिन्न राशियों में गुरु का फल

गुरु ग्रह सूर्य से पांचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह जातक के लिवर, स्थूल शरीर, मधुमेह, कैंसर इत्यादि पर अपना प्रभाव डालता है। गुरु ग्रह कर्क राशि में उच्च का तथा मकर राशि में नीच का होता है। गुरु प्रधान व्यक्ति की यह एक सबसे बड़ी विशेषता है कि वह अपने ज्ञान बल से सबको परास्त कर देता है।

गुरु ग्रह की दो राशियाँ है धनु तथा मीन। जिनमे से धनु चर तथा मीन द्विस्वभाव राशि है। गुरु का रंग पीला होता है। यह कफ का कारक ग्रह है। गुरु शरीर में लिवर का कारक ग्रह है। यह सात्विक ग्रह है। तुला में गुरु गोचर का विभिन्न राशियों पर प्रभाव

आइये प्रस्तुत लेख के माध्यम से यह जानने का प्रयास करते है की यदि गुरु के साथ अन्य ग्रहो की युति बन रही है तो उसका फल शुभ होगा या अशुभ।

गुरु और सूर्य की युति फल | Jupiter and Sun Conjunction Effects

ज्योतिष में सूर्य आत्मा, तेज, बल,पराक्रम और साहस का कारक ग्रह है तथा गुरु ग्रह जीव, ज्ञान, धर्म, न्याय, धन, संतान इत्यादि का कारक ग्रह है। जिस जातक की कुंडली में गुरु और सूर्य एक साथ एक ही भाव में स्थित है तथा शुभ भाव में है तो निश्चित ही ऐसा व्यक्ति धनवान, न्यायप्रिय तथा विद्वान होता है। कुंडली के बारह भावो में युति होने से फल में भी अंतर आ जाता है। ऐसे जातक का पिता प्रतिष्ठित व्यक्ति हो सकता है। जातक को संतान से कष्ट भी मिलता है।  सूर्यादि ग्रहों की युति का फल 

गुरु और चन्द्रमा की युति का फल | Jupiter and Moon Conjunction Effects

किसी भी जातक की जन्मकुंडली में गुरु तथा चन्द्रमा की युति गजकेसरी योग का निर्माण करती है। यह योग बहुत ही फलदायी कहा गया है। ऐसा जातक बहुत ही महत्त्वाकांक्षी, सामाजिक प्रतिष्ठावाला मंत्रिपद प्राप्त करने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति प्रशासनिक कार्य करने में सक्षम होता है। मैनेजमेंट की डिग्री हासिल कर किसी कंपनी में उच्च पद प्राप्त कर सकता है।  चंद्रमा का बारह भाव में फल 

इनकी माता भी होनहार तथा पढ़ी लिखी होती है। माता और पुत्र दोनों परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूर्ण रूप से निभाते है। जातक को अपने माता-पिता का सुख मिलता है। ऐसा जातक अपने ज्ञान की गंगा बहाये तो लोक प्रसिद्ध होता है।

गुरु और मंगल की युति का फल | Jupiter and Mars Conjunction Effects

जिस जातक की कुंडली में गुरु और मंगल ( मंगल का विभिन्न भाव में शुभ अशुभ फल विचार)  एक स्थान में स्थित है तो वह बहुत ही तेज बुद्धि का होता है। वह कठोर और सौम्य दोनों तरह का होता है। समय आने पर ज्ञान की अनन्य धारा से लोगो को अपनी ओर मोहित कर लेता है तो कभी अपने क्रोध से लोगो को अचंभित कर देता। लोग यह समझने लगते है यह व्यक्ति ऐसा गुस्सा भी कर सकता है। आप स्वाभिमानी होंगे।

यदि आप तकनीकि पढाई के साथ साथ मैनेजमेंट का भी डिग्री हासिल करते है तो उत्तरोत्तर उन्नति की ओर बढ़ेंगे। आप पढाई के लिए हमेशा जागरूक रहेंगे। धार्मिक उपासक तथा साधक हो सकते है। धर्म के कार्यों में पूजा-पाठ में मन लगने लगता है और इसी प्रकार की क्रिया हमारे जीवन में भी शामिल हो जाती है.

 मंगल का तुला राशि में गोचर फल 2017

गुरु न्याय का कारक है और मंगल लड़ाई झगड़ा का यदि दोनों की युति है तो ऐसी स्थिति में जातक को कानून तथा पुलिस दोनों का सहयोग मिलता है। ये दोनों ग्रह व्यक्ति के जीवन में नई नई खुशिया प्रदान करता है। यदि विदेश जाने के लिए इच्छुक है तो ये दोनों ग्रह सहायक होते है। मंगल का कारक देव हनुमानजी है और गुरु ज्ञान के देवता है जैसे ही हनुमानजी को यह ज्ञान कराया गया की आप में ऐसी शक्ति है जिससे आप समुद्र लाँघ सकते है और हनुमानजी अनेक कठिनाइयों को झेलते हुए श्रीलंका में प्रवेश कर गए आपके साथ भी ऐसा हो सकता है।

गुरु और बुध की युति सम्बन्ध फल | Jupiter and Mercury Conjunction Effects

जिसकी कुंडली में गुरु और बुध ( कुंडली के विभिन्न भाव में बुध का फल  ) एक स्थान में स्थित है तो वह बुद्धिमान और विद्वान के साथ साथ बहुत ही समझदार होता है इसका मुख्य कारण है की जहां गुरु ज्ञान और अनुभव का कारक है तो बुध बुद्धि का। ऐसा जातक धर्म और न्याय के द्वंद्व में फ़सा रहता है। जातक प्रत्येक कार्य करने से पहले अपना दिमाग जरूर लगाता है। जातक को एक बहन या बुआ जरूर होता है। आपमें क़ानूनी दावपेच समझने की गति तीव्र होती है आप हर फैसले पर सोच समझकर विचार करता है। ऐसा जातक किसी न किसी स्त्री के प्यार के चक्कर में फंसता है। जातक फूल पौधे वा बाग़ बगीचे का शौक़ीन होगा।

गुरु और शनि की युति का फल | Jupiter and Saturn Conjunction Effects

जिस जातक की जन्म कुंडली में गुरु और शनि ( जाने ! शनि साढ़े साती का फल )  एक भाव अथवा एक राशि में स्थित है तो वह निश्चित ही धार्मिक सोच वाला व्यक्ति होता है। इनके कर्म भी अच्छे होते है। ऐसे लोग शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हुए देखे गए है। .आप एक कुशल परामर्शदाता हो सकते है। ऐसा व्यक्ति धीर प्रकृति का होता है। आप ज्योतिषी का भी कार्य कर सकते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इच्छाओं को समाज के सामने प्रस्तुत करने संकोच करता है जिसके कारण उसको दुख-दर्द सहन करने की आदत भी हो जाती है। प्राचीन भाषा तथा ग्रंथो को पढ़ना पसंद करते है। आप गैस की बीमारी से परेशान हो सकते है। जोड़ो का दर्द भी हो सकता है।

गुरु और राहु की युति का फल | Jupiter and Rahu Conjunction Effects

जिस जातक की जन्म कुंडली में गुरु और राहु एक भाव अथवा एक राशि में स्थित है तो वह अधिकतर कार्य दिखावे के लिए करता है। वह बात-बात पर झूठ बोलेगा। वह अपनी बधाई खुद ही करते रहता है। आप हमेशा दो-चार लोगो के साथ रहना पसंद करते है। आप में भक्ति भावना भी होती है भगवान् के द्वार पर धन दौलत की गुहार ही लगाते है। आप किसी को बड़े ही सफाई के साथ धोखा दे देते है। राहु का राशि परिवर्तन 2017 का फल 

राहु का विभिन्न भाव में फल 

गुरु और केतु की युति का फल | Jupiter and Ketu Conjunction Effects 

जिस जातक की जन्म कुंडली में गुरु और केतु एक भाव अथवा एक राशि में स्थित है तो वह न्याय और धर्म का अधिकारी बनकर समाज में कार्य करने का प्रयास करता है। जातक आध्यात्म तथा मोक्ष मार्ग का अनुसरण करता है। ऐसे जातक स्नायु रोग से ग्रसित हो सकता है। आप लोग को उपदेश देना पसंद करते है।

 केतु गोचर 2017 का राशियों पर प्रभाव

केतु ग्रह का विभिन्न भाव में फल

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