Horary Astrology | प्रश्न कुंडली : मेरी प्रेमिका कैसी है ? क्या उससे शादी होगी ?

Horary Astrology | प्रश्न कुंडली : मेरी प्रेमिका कैसी है ? क्या उससे शादी होगी ?ज्योतिष में प्रश्न कुंडली एक ऐसी विधा है जिसके माध्यम से कठिन-से कठिन प्रश्नो का समाधान यथा शीघ्र किया जा सकता है इसी कारण प्रश्न कुंडली का विशेष महत्त्व हो जाता है। प्रश्न कुंडली से आप किसी भी प्रश्न का उत्तर तुरंत जान सकते हैं। जातक जो भी प्रश्न करता है क्या उसमे पूर्ण सफलता मिलेगी या आंशिक मिलेगी या सफलता नहीं मिलेगी इसका विचार प्रश्न कुंडली के माध्यम से किया जाता है। वस्तुतः किसी प्रश्न का उत्तर हां या ना में देना न ही सहज है, और न ही सरल, ज्योतिषियों के लिए वह समय अत्यंत ही दुष्कर और चुनौती भरा होता है।

यदि कोई व्यक्ति यह प्रश्न करें कि मेरा सम्बन्ध कैसी महिला के साथ है ? या मेरा सम्बन्ध जिस प्रेमी अथवा प्रेमिका से है उसका स्वभाव वा आचरण कैसा है ? इत्यादि प्रश्न का उत्तर ज्योतिष में प्रश्न कुंडली के माध्यम से शीघ्र ही दिया जा सकता है। प्रश्न कुंडली आपके मन मे उठने वाले सवालों का जवाब शीघ्र ही देने में सक्षम है।

कैसी होगी स्त्री, प्रेमी-प्रेमिका ?

आइये आज हम इस प्रश्न के ऊपर चर्चा करते है कि मेरा जिस प्रेमिका से सम्बन्ध है वह कैसी है । वैदिक संस्कृत की पुस्तक में इस संबंध में कहा गया है —–

अस्तैः रविसितवक्रै: परजाया स्वां गुरौ बुधे वेश्यां।
चन्द्रे च वयः शशिवत्प्रवेदत्सौरेsन्त्यजातीनां।

  1. यदि प्रश्न लग्न से सप्तम स्थान में सूर्य, मंगल और शुक्र में से कोई भी ग्रह बैठा हो तो यह जानना चाहिए कि आपका सम्बन्ध किसी पराई स्त्री से है न कि अपनी अर्थात जिस लड़की के साथ आप का सम्बन्ध है वह सामाजिक और परिवारिवारिक दृष्टि से मान्य नहीं है।
  2. यदि सप्तम स्थान में गुरु (Jupiter) बैठा हो तो यह समझना चाहिए कि अपनी स्त्री से ही सम्पर्क हुआ है।
  3. यदि सप्तम स्थान में बुध या चन्द्रमा ( Moon) स्थित है तो इसका अर्थ है की आपका जिस स्त्री से सम्बन्ध हुआ है वह साधारण और किसी शहर की हो सकती है।
  4. यदि सप्तम स्थान में शनि (Saturn) हो तो नीच जाति की स्त्री से सम्बन्ध बना है ऐसा समझना चाहिए।
  5. यदि सप्तम स्थान में राहु या केतु बैठा है तो यह समझना चाहिए की जिस स्त्री के साथ आपने सम्बन्ध बनाया है वह वह किसी दूसरी जाति की है।

प्रेमी-प्रेमिका वा स्त्री की आयु का निर्णय

यह भी जानना महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि जातक का जिस स्त्री से सम्बन्ध हुआ है उस स्त्री की उम्र क्या है? किसी भी स्त्री या पुरुष के उम्र के सम्बंध में विचार करने के लिए कुंडली में चन्द्रमा की स्थितियों पर विचार करना चाहिए। यदि चन्द्रमा बाल्य अवस्था में स्थित है तो समझना चाहिए की स्त्री वा लड़की कम उम्र की है , प्रौढ़ हो तो जवान या प्रौढ़ा और यदि चन्द्रमा वृद्धावस्था में है तो यह समझना चाहिए कि अपनी उम्र से बड़ी स्त्री से सम्पर्क हुआ है ।

कैसे करें चन्द्रमा की अवस्था का निर्धारण ?

  1. चंद्रमा की अवस्था के विषय में ध्यान रखना चाहिए कि यदि चन्द्रमा शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से दशमी तक के मध्य का है तो उस चन्द्रमा को बाल चन्द्र समझना चाहिए।
  2. यदि प्रश्न कुंडली में चन्द्रमा शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्ण पक्ष की पंचमी तक की है तो युवक चन्द्र समझना चाहिए।
  3. यदि चन्द्रमाँ षष्ठी से अमावस्या तक का है तो वैसे चंद्र को वृद्ध चन्द्र समझना चाहिए। इसी आधार पर आकांक्षित स्त्री या भुक्ता स्त्री की उम्र का आकलन कर लेना चाहिये।

यदि सप्तम भाव में कोई ग्रह न हो ?

कई बार यह समस्या आती है कि सप्तम भाव मे कोई भी ग्रह नही होता है और न हीं किसी ग्रह की दृष्टि होती है वैसी स्थिति में क्या करना चाहिये । यदि ऐसी स्थिति आती है तो उसका निर्णय इस प्रकार से करना चाहिए ।

  1. यदि केंद्र में गुरु, शुक्र या चंद्रमा ( सप्तमभाव रहित ) हो तो सुंदर, रूपवती और विलासिनी स्त्री से संपर्क हुआ है ऐसा समझना चाहिए।
  2. यदि केंद्र में स्थिर या द्विस्वभाव राशि का शनि स्थित हो तो अपनी अपनी स्त्री से और यदि चर राशि में हो तो पराई स्त्री से संपर्क हुआ वा होता है ऐसा समझना चाहिए।

दिनांक 9 सितम्बर 2017 को आश्विन तृतीया के दिन 11 बजकर 55 मिनट में एक जातक ने प्रश्न किया की मेरी प्रेमिका का स्वभाव वा आचरण कैसी है और उससे शादी होगी ?

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पूछे गए प्रश्न समय के अनुसार जब प्रश्न कुंडली बनाई गई तब उस समय उदित लग्न वृश्चिक राशि आयी । वृश्चिक राशि स्थिर राशि कहलाती है। चन्द्रमा चरम युवावस्था में है अतः मैंने पूछा की लड़की की आयु पचीस छब्बीस साल की होनी चाहिए। जातक ने यह बात स्वीकार करते हुए कहा की हाँ उसकी आयु करीब पचीस साल की है।

लग्नेश मंगल केंद्र में केन्द्रेश सूर्य तथा लाभेश बुध के साथ बैठा है। लग्नेश मंगल का सप्तमेश शुक्र के साथ इत्थशाल नहीं है तथा लग्न भी स्थिर राशि की है अतः शादी अभी नहीं होगी। लग्नेश और सप्तमेश दोनों अशुभ वा पाप ग्रह से युति है अतः प्रेमी और प्रेमिका दोनों का स्वभाव जो दीखता है वह नहीं है। दोनों बहुत ही चालाक और कुटिल स्वभाव की होगी। उसकी एक दुनिया दिखाने के लिए और दूसरा अपने लिए। वह बाहर से उदार प्रतीत होगी लेकिन अंदर एक संदिग्ध हो सकती है। सप्तमेश शुक्र के साथ राहु ग्रह की युति है अतः प्रेमी किसी अन्य जाति की होगी। इसी प्रकार से दोनों के सम्बन्ध में अन्य विषयगत तथ्यों का विश्लेषण किया जा सकता है।

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