Effects of Fourth House Lord in Sixth House in Hindi
Effects of Fourth House Lord in Sixth House in Hindi | चतुर्थेश का षष्ठ भाव में फल। जन्मकुंडली ( Horoscope ) में चतुर्थ भाव माता, वाहन, प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा इत्यादि का कारक भाव है अर्थात जब भी चतुर्थ भाव का स्वामी किसी भाव में जायेगा तब इसी फल को प्रदान करेगा । कुंडली में षष्ठ भाव त्रिक भाव वा दुष्टस्थान के रूप में जाना जाता है जब चतुर्थ भाव का स्वामी छठे घर में जाकर बैठेगा है तो व्यक्ति को चतुर्थ भाव के कारकत्व की हानि करेगा। चतुर्थ भाव का स्वामी जब छठे भाव में होता है तो जातक की माता का स्वास्थ्य सामान्यतः खराब होता है। उनकी आयु भी 65 -70 के बीच देखा गया है हालांकि कुंडली में अन्य ग्रहो की स्थिति तथा दृष्टि उनकी उम्र को प्रभावित करेगा।
लोमेश संहिता में चतुर्थेश का षष्ठ भाव में फल बहुत अच्छा नहीं कहा गया है —
सुखेश शत्रुगेहस्थे तदा स्यात बहुमातृक :।
क्रोधी वैरी व्यभिचारी दुष्टचितो मनस्व्यपि।।
अर्थात यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव वा शत्रु क्षेत्र में हो तो ऐसा जातक क्रोधी सबसे झगड़ा करना अथवा विरोध रखने वाला, व्यभिचारी तथा दुष्टचरित्र वाला होता है। उसके दो माता होती है। उसका मन विचलित होते रहता है।
षष्ठ भाव कानूनी मुसीबत देता है अतः चतुर्थेश के इस स्थान पर होने से जातक को कभी न कभी भूमि विवाद से गुजरना पडेगा। प्रॉपर्टी को लेकर कोई न कोई विवाद में आप उलझ सकते है अतः प्रॉपर्टी लेते समय अच्छी तरह से तहकीकात कर ले।
ऐसा जातक मन से परेशान रहता है मन में हमेशा न्याय की बात करते रहता है और न्याय के लिए लड़ने के लिए तैयार भी रहता है। ऐसा व्यक्ति वाहन अवश्य खरीदता है परन्तु पहले पहल पुराना वाहन ही खरीदता है। अपने पास पैसा होने के बावजूद वाहन या मकान खरीदने के लिए ऋण लेते है।
वाहन से दुर्घटना होने के भी बहुत चांस होता है। ऐसा जातक पेट की बिमारी से परेशान रहता है खासकर मेष,वृष,तथा मिथुन लग्न के जातक तो जरूर पेट के रोग से परेशान होते है। आप वकील, जज या डॉक्टर ( Doctor) बन सकते है। सामाजिक सेवा कार्यो में भी आपकी रूचि होगी।