कुम्भ पर्व क्यों मनाया जाता है | why kumbh Celebrate

कुम्भ पर्व क्यों मनाया जाता है | why kumbh Celebrate. कुम्भ पर्व क्यों मनाया जाता है, इस सम्बन्ध में एक कथा है – अमृत-मंथन के समय अमृत-कुम्भ की रक्षा करते समय पृथवी के जिस-जिस स्थान पर अमृत की बुँदे गिरी थी उस-उस स्थान (प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक) पर कुम्भ पर्व मनाया जाता है। यद्यपि कुम्भ पर्व का प्रारम्भ कब से हुआ है इसके सम्बन्ध में सही-सही निर्णय करना अत्यंत मुश्किल है। वेदों में कुम्भ पर्व का वर्णन कहीं-कहीं सूत्रों तथा मंत्रो में मिलता है, जबकि पुराणों में चार कथाओं का मुख्य रूप से उल्लेख मिलता है जो निम्नवत है –

  1. महादेव शिव एवं गंगा जी की कथा
  2. महर्षि दुर्वासा की कथा
  3. कद्रु- विनता की कथा और
  4. समुद्र-मंथन की कथा

उपर्युक्त चारों कथाओं में सर्वाधिक प्रचलित एवं प्रामाणिक समुद्र-मंथन की कथा है।

समुद्र-मंथन का चित्र

samudrmanthan

पुराणों में, स्कंध पुराण में वर्णित कथा के अनुसार — एक समय भगवान विष्णु के निर्देशानुसार देवों तथा असुरों ने मिलकर अमृत पाने के लिए क्षीरोद सागर में ‘मंदराचल पर्वत ‘ एवं ‘वासुकि ‘ नाग के द्वारा समुन्द्र-मंथन किया गया मंथन से 14 प्रकार के रत्न की प्राप्ति हुई, जिससे सबसे पहले हलाहल विष उत्पन्न फुआ जिसे महादेव शिव ने पी लिया। हलाहल विष की ज्वालाओं के शांत होने पर पुनः समुद्र-मंथन में से (2) पुष्पक विमान (3) ऐरावत-हाथी (4) पारिजात-वृक्ष (5) नृत्य कला में प्रवीण रम्भा (6) कौस्तुभ-मणि (7) द्वितीया का बाल चन्द्रमा (8) कुण्डल (9) धनुष (10) धेनु (कामधेनु) (11) अश्व(उच्चैःश्रवा) (12) लक्ष्मी (13) धन्वन्तरि (14) देव शिल्पी विश्वकर्मा उत्पन्न हुए।

धन्वन्तरि के हाथों में सुशोभित कुम्भ उत्पन्न हुआ जो मुख तक अमृत से भरा हुआ था। भगवान विष्णु की कृपा से वह अमृत कुम्भ इन्द्र को मिला। देवताओं के संकेत पर इन्द्रपुत्र जयंत अमृत-कुम्भ को लेकर तेजी से भागने लगे तब दैत्यगण जयंत का पीछा करने लगे। इसी अमृत-कुम्भ पाने के लिए देवताओ और राक्षसो के मध्य बारह वर्षो तक भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में अमृत-कुम्भ की रक्षा करते समय पृथ्वी के जिस-जिस स्थान पर अमृत की बूंदे गिरी थी उस-उस स्थान (प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक) पर कुंभ महापर्व मनाया जाता है। इसके बाद मोहिनिरुपधारी भगवान विष्णु ने दैत्यों को अमृत का भाग न देकर देवताओ को पिला दिया और देवगण अमर हो गए।

पुराण के अनुसार अमृत-कुम्भ की रक्षा में वृहस्पति, सूर्य तथा चन्द्रमा ने विशेष सहायता की थी। जब राक्षसों ने अमृत कुम्भ चुराकर ले जा रहा था तब चन्द्रमा ने ही इसकी जानकारी दी थी। इसी कारण सूर्य, चन्द्र, और वृहस्पति तीनों ग्रहो के विशेष योग होने पर ही कुम्भ महापर्व का आयोजन होता है।

2 Comments

  1. Iam aashritha and my date of birth is 02.06.2002 time is 5.55pm. Will my love will be successful or not? Will I get married to my loved once or not?

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