शनि स्तोत्र से करे अपनी परेशानियों का हल | Shani Stotra

क्या है साढ़ेसाती | What is Sadhesaati

क्या है साढ़ेसाती(What is Saadhesaati)? गोचरावस्था में जब शनि किसी व्यक्ति के जन्म की राशि अथवा नाम की राशि से बारहवें, प्रथम तथा दूसरे स्थान पर हो तो शनि की इस गोचरस्थिति शनि की साढ़ेसाती कहलाती है। यथा – वर्तमान समय में शनि(Saturn) वृश्चिक राशि में है इसलिए वृश्चिक राशि से द्वादश राशि तुला हुआ तथा वृश्चिक से द्वितीय धनु राशि हुआ अतः वर्तमान समय में तुला, वृश्चिक तथा धनु राशि वाले जातक की साढ़ेसाती चल रही है। यदि आपकी कुंडली में चन्द्रमा तुला राशि में है तो आपकी साढ़ेसाती अंतिम चरण में है  यदि शनि चौथे या आठवें हो तो शनि की ढैया होती है।

साढ़ेसाती

अब प्रश्न उत्पन्न होता है कि साढ़ेसाती ही क्यू तो यह इसलिए की शनिदेव प्रत्येक राशि में लगभग अढ़ाई वर्ष(two and half year) तक संचार करते है इस अढ़ाई वर्षो में वक्री तथा मार्गी गति के कारण शनिदेव जिस राशि में होते है उससे बारहवें (twelfth), पहले( first) तथा दूसरे (second) स्थान को प्रभावित करते है इसी को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है।

राशौ द्वादशमूर्हिन जन्म हृदये पादौ द्वितीयेशनिः।

नानाक्लेश करोति दुर्जन भयं पुत्रान् प्रशुन पीडयेत्।।

अर्थात साढ़ेसाती में जातक/व्यक्ति को मानसिक संताप, शारीरिक कष्ट, क्लेश, कलह आर्थिक परेशानियां, आय से व्यय अधिक रोग शत्रुओं से भय बनते काम का बिगड़ जाना, परिवार तथा संतान सम्बन्धी परेशानी बुद्धि में विकार आ जाना इत्यादि होते है।  शनिदेव के साढेसाती के विभिन्न चरणों का फल विभिन्न राशियों को प्रभावित करता है आइये इसपर विचार करते है।

राशियों पर साढ़ेसाती के विभिन्न चरणों का प्रभाव

प्रथम चरण – वृ्षभ, सिंह, धनु राशियों के लिये विशेष रूप से कष्टकारी होता है।

दूसरा चरण – मेष, कर्क, सिंह, वृ्श्चिक तथा मकर राशियों के लिये ठीक नहीं होता है।

अन्तिम चरण– मिथुन, कर्क, तुला, वृ्श्चिक, तथा मीन राशि के लिये कष्टकारी माना गया है।

साढ़ेसाती के प्रथम चरण

साढ़ेसाती के प्रथम चरण में शनिदेव मस्तक (Head) पर होते हैं इस काल में जातक की आर्थिक स्थिति विशेष रूप से प्रभावित होती है। आय कम होता है और व्यय अधिक होते हैं। सोचे हुए कार्य बिना बिघ्न के पूरे नहीं होते। बनाये गए योजना कार्यान्वित नहीं हो पाती है। अकस्मात धन की हानि होती है। स्वास्थ ख़राब होगा।अनिद्रा के शिकार हो सकता है। वृद्ध(old) व्यक्तियों के लिए यह काल कष्टकारक होता है वे मानसिक तथा शारीरिक दोनों रूप से परेशान होते है। जातक को परिश्रम का पूरा लाभ नहीं मिलता है तथा पारिवारिक जीवन में एक के बाद एक परेशानियां आने लगती है।

साढ़ेसाती के द्वितीय चरण

साढ़ेसाती के द्वितीय चरण में व्यक्ति के जीवन में व्यावसायिक, आर्थिक तथा पारिवारिक जीवन अधिक उतार-चढाव आने लगते है। स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां बढ़ जाती है। संबंधियों तथा मित्रों(Friends) का पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाता। बिना कारण मन उदास तथा निराश रहने लगता है लगेगा की जीवन में ठहराव आ गया है। सम्पत्ति सम्बन्धी विवाद के आसार बढ़ जाते है।

साढ़ेसाती के तृतीय चरण

शनिदेव के साढ़ेसाती के तृतीय चरण में शारीरिक, आर्थिक, पारिवारिक और सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन होने से मानसिक और आर्थिक दोनों कष्ट मिलते है। व्यक्ति के स्वयं के अधिकारों में कटौती होती है या अपने अधिकारियों से अपमानित भी होना पर सकता है। पारिवारिक क्लेश होता है साथ ही संतान पक्ष से भी अप्रत्याशित परिणाम मिलता है वैचारिक मतभेद बात-बात में उभरकर आता है। शुभ कार्य बिना बाधा के नहीं हो सकता। भाई-बंधू के मध्य कड़वाहट होना आम बात हो जाती है। पति-पत्नी(Husband-wife) के मध्य वाद-विवाद का होना तो निश्चित ही है। अतः वाद-विवाद से अवश्य बचें। खर्च सोचसमझकर ही करें।

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इस संसार जिसका भी जन्म होता है सभी को शनि की साढ़ेसाती तथा अढ़ैया के प्रभाव से गुजरना पड़ता है। अब प्रश्न उत्पन्न होता है की क्या जातक को कष्ट केवल इसी काल में होता है तो ऐसा नहीं है।  वस्तुतः शनि की साढ़ेसाती कष्टकारी है अथवा नहीं यह तो व्यक्ति के जन्मकुंडली(Horoscope) में शनिदेव के स्थिति(उच्चावस्था,नीच का अथवा त्रिक भाव में या उनके नक्षत्रो में) पर निर्भर करता है। जिसका परीक्षण केवल कुशल ज्योतिषाचार्य (Astrologer) ही कर सकते है। समाज  में कुछ ऐसे भी ज्योतिषाचार्य है जो लोगो को भयभीत करके पूजा-पाठ के नाप पर पैसे एठते है आपको इससे बचाना चाहिए। अगर आपको कोई उपाय करनी है तो आप स्वयं करे। स्वयं के द्वारा गए उपाय का ही लाभ मिलता है। शनि अपने साढ़ेसाती काल में व्यक्ति को वस्तुस्थिति का ज्ञान कराता है तथा स्वयं के अंदर देखने के लिए मजबूर करता है। यह न्याय दिखाता है तथा न्याय करने पर मजबूर भी करता है। अतः हमें केवल साढ़ेसाती या अढ़ैया के नाम से नहीं घबराना चाहिए बल्कि उसका स्वागत(Welcome) करना चाहिए और उन्ही के रंग में रंग जाना चाहिए।

4 Comments

  1. वंदनीय गुरूजी,
    सादर प्रणाम।
    आपका यह लेख बहुतही प्रभावी है इसलीये मुझे काफी प्रभावीत किया। इस जानकारि के लिये बहुत बहुत शुक्रिया।
    मेरा जन्म 6 जुलै 1968 को शाम साडे चार वजे जहिराबाद के निकट हुआ है। और मैं 22 जानेवारी 2016 से बहुत परेशान हूं क्यू की मेरी नोकरी चली गई है। और अभी तक कही बात नही बनी।
    कृपया सही उपाय वताये।

  2. जोतिस्आचार्य जी मेरी डेटाफ्बर्थ नही मालूम है.
    मेरी परेशॉनी 30,6,2011सेे शुरू होती जिस्में मुझे
    अभी तक हर परेशानी सामना करना पड़ा है
    लेकिन अब हिम्मत टूटती जा रही है कोई उपाय अवस्य दे /
    नॉम यासीन सिद्दीकी इस्थॉन लखनऊ का है.

  3. मेरे पिछे साढे साती चालु हे

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