सकट चौथ 2022 | Bahula Chaturthi Vrat Vidhi katha 2022. भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ या बहुला चतुर्थी या सकट चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 2022 में यह व्रत 15 अगस्त दिन सोमवार को है। इसे संतान की रक्षा का व्रत भी कहा जाता है। भाद्रपद चतुर्थी तिथि को पुत्रवती स्त्रिया अपने संतान की रक्षा के लिए उपवास रखती है। ऐसा माना जाता है की इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आने वाला कष्ट शीघ्र ही समाप्त हो जाता है। इस दिन चन्द्रमा के उदय होने तक बहुला चतुर्थी का व्रत करने का बहुत ही महत्त्व है। वस्तुतः इस व्रत में गौ तथा सिंह की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करने का विधान प्रचलित है। इस व्रत को गौ पूजा व्रत भी कहा जाता है।
जिस प्रकार गौ माता अपना दूध पिलाकर अपनी संतान के साथ-साथ, सम्पूर्ण मानव जाति की रक्षा करती है, उसी प्रकार स्त्रियाँ अपनी संतान को दूध पिलाकर रक्षा करती है। यह व्रत निःसंतान को संतान तथा संतान को मान-सम्मान एवं ऐश्वर्य प्रदान करने वाला है।
बहुला चतुर्थी व्रत विधि 2022
इस दिन प्रातः काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शुद्ध वा नया परिधान ( कपड़ा) पहनना चाहिए। इस दिन पुरे दिन उपवास रखने के बाद संध्या के समय गणेश गौरी, योगेश्वर श्रीकृष्ण एवं सवत्सा गौ माता का विधिवत पूजन करना चाहिए । पूजा से पूर्व हाथ में गंध, अक्षत (चावल), पुष्प, दूर्वा, द्रव्य, पुंगीफल और जल लेकर गोत्र, वंशादि के नाम का का उच्चारण कर विधिपूर्वक संकल्प अवश्य ही लेना चाहिए अन्यथा पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
स्थान विशेष के अनुसार विधि विधान में अंतर हो जाता है अतः क्षेत्र विशेष में जिस विधि से पूजा प्रचलित है उसी विधि के अनुसार पूजा करनी चाहिए। कई स्थानों पर शंख में दूध, सुपारी, गंध तथा अक्षत (चावल) से भगवान श्रीगणेश और चतुर्थी तिथि को भी अर्ध्य दिया जाता है। रात्रि में चन्द्रमा के उदय होने पर भी अर्ध्य दिया जाता है।पूजा के समय निम्न मंत्र का शुद्धोच्चारण करना चाहिए।
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने नमः
प्रणतः क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः ।।
कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय च।
नन्दगोपकुमाराय गोविन्दाय नमो नमः।।
त्वं माता सर्वदेवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्।
त्वं तीर्थं सर्वतीर्थानां नमस्तेऽस्तु सदानघे।।
उपर्युक्त मंत्र का शुद्धोच्चारण के बाद निम्न मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।
याः पालयन्त्यनाथांश्च परपुत्रान् स्वपुत्रवत्।
ता धन्यास्ताः कृतार्थश्च तास्त्रियो लोकमातरः ।।
इस दिन पुखे (कुल्हड़) पर पपड़ी आदि रखकर भोग लगाकर पूजन के बाद ब्राह्मण भोजन कराकर उसी प्रसाद में से स्वयं भी भोजन करना चाहिए। बहुला चतुर्थी व्रत की कथा अवश्य ही पढ़ना या सुनना चाहिए। कथा सुनने के बाद ब्राह्मण को भोजन करानी चाहिए तथा उसके बाद स्वयं भोजन करनी चाहिए।
बहुला चतुर्थी व्रत से लाभ
- सकट चतुर्थी व्रत करने व्यक्ति को इच्छित सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
- इस व्रत को करने से शारीरिक तथा मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- यह व्रत निःसंतान को संतान का सुख देता है।
- इस व्रत को करने से धन धन्य की वृद्धि होती है।
- व्रत करने से व्यावहारिक तथा मानसिक जीवन से सम्बन्धित सभी संकट दूर हो जाते हैं।
- व्रती स्त्री को पुत्र, धन, सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- संतान के ऊपर आने वाले कष्ट दूर हो जाते है।
सकट चौथ के दिन क्या नही करना चाहिए
- इस दिन गाय के दूध से बनी हुई कोई भी खाद्य सामग्री नहीं खानी चाहिए।
- गाय के साथ साथ उसके बछड़े का भी पूजन करना चाहिए।
- भगवान श्रीकृष्ण और गाय की वंदना करना चाहिए।
- श्री कृष्ण के सिंह रूप में वंदन करना चाहिए।