गुरु गोचर का पंचम भाव में फल | Jupiter transit effects in fifth house गुरु /बृहस्पति का विभिन्न भाव में गोचर का प्रभाव अलग-अलग रूप में पड़ता है। ज्योतिषशास्त्र में गुरु/ बृहस्पति को सबसे शुभ ग्रह माना गया है। गुरु की दृष्टि को अमृत तुल्य कहा गया है। देवगुरू बृहस्पति ज्ञान, संतान एवं धन के भी कारक हैं।
आइये जानते है कि बृहस्पति/ गुरु का जन्म लग्न से गोचर ( Transit ) का जीवन के विभिन्न क्षेत्रों यथा – ज्ञान, संतान, धन, भाई-बंधू, माता-पिता, परिवार, शिक्षा, व्यवसाय, वैवाहिक जीवन इत्यादि पर कितना प्रभाव पड़ेगा।
गोचरवश बृहस्पति एक राशि में लगभग 13 माह तक भ्रमण करते हैं। गुरू के गोचर का शुभाशुभ फल जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर मिलता है। व्यक्ति की जन्म राशि अर्थात् जन्मकालीन चंद्रमा जिस राशि में स्थित होते हैं, गोचर में बृहस्पति उस राशि से दूसरे, पाँचवें, सातवें, नवें, तथा ग्यारहवें भाव में जब-जब संचार करते हैं, तब-तब बृहस्पति शुभफल प्रदान करते हैं तथा इनके अतिरिक्त बृहस्पति का अन्य भावों से गोचर शुभफल देने वाला नहीं माना जाता है। यहाँ पर लग्न के आधार पर गुरु/वृहस्पति के गोचर का फल कथन किया गया है।
जाने ! गुरु/बृहस्पति गोचर (Transit) में किस भाव में है
लग्न वा राशि | 20 नवम्बर 2020 से 05 अप्रैल 2021 तक | 06 अप्रैल 2021 से 13 सितम्बर 2021 | 14 सितम्बर 2021 से 19 नवम्बर 2021 | 20 नवम्बर 2021 से 12 अप्रैल 2022 |
मेष | दशम भाव | एकादश भाव | दशम भाव | एकादश भाव |
वृष | नवम भाव | दशम भाव | नवम भाव | दशम भाव |
मिथुन | अष्टम भाव | नवम भाव | अष्टम भाव | नवम भाव |
कर्क | सप्तम भाव | अष्टम भाव | सप्तम भाव | अष्टम भाव |
सिंह | षष्ठ भाव | सप्तम भाव | षष्ठ भाव | सप्तम भाव |
कन्या | पंचम भाव | षष्ठ भाव | पंचम भाव | षष्ठ भाव |
तुला | चतुर्थ भाव | पंचम भाव | चतुर्थ भाव | पंचम भाव |
वृश्चिक | तृतीय भाव | चतुर्थ भाव | तृतीय भाव | चतुर्थ भाव |
धनु | दूसरा भाव | तृतीय भाव | दूसरा भाव | तृतीय भाव |
मकर | प्रथम भाव | दूसरा भाव | प्रथम भाव | दूसरा भाव |
कुम्भ | बारहवां भाव | प्रथम भाव | बारहवां भाव | प्रथम भाव |
मीन | एकादश भाव | बारहवां भाव | एकादश भाव | बारहवां भाव |
पंचम भाव में गुरु गोचर का फल | Jupiter’s transit in fifth house
यहाँ पर गुरु शुभ होता है। गोचर में पुत्र, वाहन, सुख, घर, स्त्री, ब्रांडेड वस्त्र, आभूषण इत्यादि की प्राप्ति करवाता हैं। यदि आपकी जन्मकुण्डली के पंचम भाव में गुरु का गोचर हो रहा है तो आपको संतान पक्ष से शुभ समाचार मिल सकता है। इस समय संतान प्राप्ति के प्रबल योग बन रहे है अतः आप अपने घर में नए मेहमान के आगमन के स्वागत की तैयारी कर सकते है।
गुरु गोचर के प्रभाव से ज्ञानार्जन और विभिन्न विषयों यथा — “संगीत, लेखन, ज्योतिष ( Astrology) साहित्य तथा दर्शन शास्त्र”के प्रति आपकी रूचि बढ़ेगी। पंचम भाव गुरु यदि गोचर में है तो आप ज्योतिष की किताबो को लेकर पढ़ना शुरू कर सकते है। ज्योतिष के प्रति धीरे धीरे आपके रूचि बढ़ने लगेगी। लेखन के क्षेत्र में भी आप अपने को जोड़ सकते है।
पंचम भाव प्रेमी प्रेमिका love relation yoga का घर है अतः गुरु गोचर के प्रभाव से आपकी अभिरुचि विपरीत लिंग वाले जातक/जातिका के प्रति बढ़ेगी। आप प्रेमी जीवन का आरम्भ कर सकते है। अपने दिल को सम्भाल कर रखिये आपका कोई दिल चुरा सकता है या आप ही किसी का दिल चुरा लेंगे। धन के मामलों में भी गुरु का गोचर आपके लिए लाभदायक रहेगा।
राजकीय क्षेत्र एवं सरकारी अधिकारियों से आपको अनुकूल सहयोग की प्राप्ति होगी। यदि कोई काम रुका पड़ा है तो आपका काम बन सकता है। नौकरी एवं व्यवसाय के क्षेत्र में उन्नति के लिए बहुत ही अच्छा समय है। यदि शेयर का कार्य कर रहे है तो आपको लाभ होगा। शेयर का काम भी आप आरम्भ कर सकते है।