कुम्भ 2015 की मुख्य स्नान तिथियाँ (Bathing dates of kumbh 2015)
जिस दिन सूर्य(sun) सिंह राशि में प्रवेश करते है उसी दिन से सिंहस्थ (नासिक) कुम्भ 2015 की मुख्य स्नान तिथियाँ(Bathing dates of kumbh 2015) तथा काल प्रारम्भ हो जाता है। “कुम्भ” शब्द का शाब्दिक अर्थ “घड़ा” ही होता है परन्तु यह शब्द समग्र सृष्टि के कल्याणकारी अर्थ को अपने आप में समेटे हुए है क्योकि इस पात्र के निर्माण की शुभभावना, जनसमुदाय में मंगलकामना एवं जनमानस के उद्धार एवं कल्याण की प्रेरणा से युक्त है। इस बार कुम्भ-पर्व-मेला गोदावरी नदी के तट पर स्थित नासिक में होना निश्चित है।
कुम्भ 2015 की मुख्य स्नान तिथियाँ निम्न प्रकार से है। यथा —
प्रथम शाही स्नान,17अगस्त,2015 श्रावण शुक्ल,तृतीया,सोमवार
इसे प्रथम शाही स्नान भी कहा जाता है। इसी दिन सूर्य भाद्रपद के सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन गोदावरी नदी में स्नानकर मंत्र, जप तथा दान करने से कृत्य पापों से मुक्ति मिलती है, इसी कारण यह दिन विशेष महत्त्व का होता है। स्नान का पुण्यकाल :– प्रातः 4 बजकर 42 मिनट से लेकर 6 बजकर 23 मिनट (सूर्योदय) तक है। इसी काल के मध्य स्नान कर लेना चाहिए। यह काल अरुणोदय काल के रूप में जाना जाता है। शास्त्रानुसार कुम्भ स्नान अरुणोदय काल में ही करना चाहिए। जप, पाठ तथा दान इत्यादि अरुणोदयकाल के बाद भी कर सकते है।
द्वितीय मुख्य स्नान,29अगस्त 2015,श्रावण पूर्णिमा,शनिवार
इस दिन सन्यासी-उदासीन व निर्मल अखाड़े के मुख्य स्नान होंगे। अरुणोदयकाल स्नान के लिए अति उत्तम समय है। इस दिन श्रावणी उपाकर्म भी है।
तृतीय मुख्य शाही स्नान,13 सितम्बर 2015 भाद्रपद अमावस, रविवार
यह कुम्भपर्व की, मुख्य स्नान का दिन होगा। इस दिन साधू-सन्तों की प्रमुख शाही यात्रा भी निकलेगी। स्नान का पुण्यकाल :– प्रातः 4 बजकर 50 मिनट से लेकर 6 बजकर 26 मिनट के मध्य अरुणोदय काल में स्नान कर लेना चाहिए। यदि भीड़ के कारण या किसी अन्य कारण से अरुणोदय काल में स्नान नहीं कर सकते तो कम से कम दोपहर १२ बजे तक स्नानकर आप कुंभ स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकते है।
चतुर्थ तथा अंतिम शाही स्नान, 16 सितम्बर 2015 भाद्रपद शुक्ल तृतीया, बुधवार
यह कुम्भ महापर्व का अंतिम शाही स्नान है। इस दिन वैष्णव, खालसे तथा अग्नि अखाडों का स्नान होगा। हरितालिका तृतीया नामक विशेष पर्व होने से यह दिन महत्वपूर्ण हो जाता है।
18 सितम्बर 2015 ऋषि पंचमी:- इस दिन से कुम्भ महापर्व स्नान का महत्व समाप्तहो जायेगा।
श्रावण तथा भाद्रपद में उपस्थित उपर्युक्त तिथियों का तो अपना महत्व है ही, परंतु जो श्रद्धालु इस स्नान से वंचित रह गए है, वे यदि बाद में भी खासकर जब तक वृहस्पति सिंहस्थ रहेगा तब तक गोदावरी में स्नान करते है तो अपने द्वारा किये गए पापो से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।