उच्च शिक्षा में रुकावट के ज्योतिषीय कारण

प्रायः ऐसा देखने में आता है कि जन्मकुंडली में उच्च शिक्षा का योग होने के बावजूद जातक उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता। प्रश्न उठता है की ऐसा क्यों होता है? ज्योतिष सिद्धान्तानुसार कुंडली में उच्च शिक्षा का योग है परन्तु उस योग पर अशुभ ग्रह का प्रभाव है तथा पढाई के समय ही यदि अशुभ ग्रह ( शनि, राहु, केतु इत्यादि ) की दशा प्रारम्भ हो गई हो तो वैसी स्थिति में व्यक्ति का मन पढाई में नहीं लगने लगता है और शिक्षा में रुकावट आ जाती है। संस्कृत में एक श्लोक है जिसमे शिक्षा के महत्त्व तथा विद्या प्राप्त नहीं करने वाले को समाज में किस दृष्टि से देखा जाता है वह बताया गया है —
साहित्य संगीत कला विहीन: , साक्षात पशु पुच्छ विषाण विहीन: ||
तृणम न खाद्न्नपि जीवमान: , तद भाग देयम परम पशुनाम |
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अर्थात
जो मनुष्य साहित्य , संगीत अथवा किसी भी अन्य कला से विहीन है , वो साक्षात पुंछ और सींगो से विहीन जानवर की तरह है । यह जीव घास तो नहीं खाता पर अन्न से जीता रहता है । ऐसे मनुष्य को परम पशुओं की श्रेणी में रखना चाहिए ।

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