एकमुखी रुद्राक्ष – Ekmukhi Rudraksh
एकमुखी रुद्राक्ष – Ekmukhi Rudraksh में मात्र एक धार होता है। यह साक्षात् शिव स्वरूप ही है। इसके धारण करने से शिव तत्त्व की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के पापों का नाश होता है तस्मात्तु धारयेद्देहे सर्वपापक्षयाय च। एकमुखी रुद्राक्ष तो वास्तव में परम तत्त्व प्रकाशक ही है- एकवक्त्रस्तु रुद्राक्षः परतत्त्वप्रकाशकः।किसी महान पुण्य के योग तथा महादेव के कृपा होने पर ही किसी व्यक्ति को एकमुखी रुद्राक्ष की प्राप्ति धारण और जप का संयोग मिलता है। एक मुखी रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ है इस रुद्राक्ष में साक्षात् महादेव निवास करते है। यही कारण है की इसे धारण करने वाला व्यक्ति स्वयं शिव हो जाता है।
बाजार में नेपाल का असली एकमुखी रुद्राक्ष मिलना असंभव नहीं तो मुश्किल अवश्य है।अतः किसी साधु, दूकानदार या अन्य के धोखे में आने से अवश्य बचें। इस रुद्राक्ष का दर्शन करना महादेव के दर्शन के समान ही है नेपाल के काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ के मंदिर में एकमुखी रुद्राक्ष के दर्शन किये जा सकते है। विश्व में एकमुखी रुद्राक्ष बहुत ही कम है। कहा जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी एकमुखी रुद्राक्ष धारण की थी। असली एकमुखी रुद्राक्ष के स्थान पर हरगौरी रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है और उसे ही एकमुखी रुद्राक्ष मानकर उसमे प्राण-प्रतिष्ठा करके पूजन, धारण और जप में उपयोग करना चाहिए।
एकमुखी रुद्राक्ष का महत्त्व
रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष का विशेष महत्त्व है। यह अचूक लक्ष्मी प्रदान करने वाला है। यह यश और शक्ति प्रदान करता है। इसे धारण करने से मनोबल में वृद्धि होती है। यह मान-सम्मान यश और शक्ति प्रदान करता है। इसके धारण करने से मनुष्य चिंतामुक्त और निडर हो जाता है। उसे किसी प्रकार की अन्य शक्ति और शत्रु से कष्ट-भय नहीं होता। रुद्राक्षों में एकमुखी रुद्राक्ष सर्वश्रेष्ठ, शिव-स्वरूप, सर्वकामनासिद्धि-फलदायक और मोक्ष प्रदान करनेवाला है। इसके धारण के बाद साधना-उपासना करने से ईश्वर दर्शन और स्वसाक्षात्कार शीघ्र होता है।
रुद्राक्ष और ज्योतिष
रुद्राक्ष का नियंत्रक तथा संचालक ग्रह सूर्य है। यही कारण है कि कुंडली में यदि सूर्य ग्रह दोषयुक्त है तो एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी दोष नष्ट हो जाते है। ज्योतिष शास्त्र में यदि सूर्य नीच का होकर, षष्ठेश, अष्टमेश तथा द्वादशेश होकर लग्न, ६,८ या बारहवे भाव में स्थित हो तो शुभ फल नहीं देता है। यदि कुंडली में सूर्य अशुभ ग्रह के साथ हो या सूर्य पर कोई अशुभ ग्रह की दृष्टि हो तो सूर्य अवश्य ही अशुभ फल देता है इस अशुभ प्रभाव से बचने के लिए एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। मेष, कर्क, सिंह तथा मीन राशि वाले को अवश्य ही धारण करना चाहिए।
एकमुखी रुद्राक्ष धारण से लाभ
पद्म पुराण में कहा गया है – यह ब्रह्म हत्या जैसे दोषों को नष्ट करने में समर्थ है। तथा इसके धारण करने से सभी प्रकार के पाप से मुक्ति मिल जाती है —
एकवक्त्रः शिवः साक्षाद्ब्रह्महत्यां व्यपोहति। तस्मात्तु धारयेद्देहे सर्वपापक्षयाय च।।
एकमुखी रुद्राक्ष सूर्य ग्रह द्वारा संचालित होता है। इसके धारण करने पर सूर्य से उत्पन्न होने वाले दोषों का निवारण होता है। दोषयुक्त सूर्य ग्रह से उत्पन्न होने वाले रोग यथा नेत्रपीड़ा, सरदर्द, बवासीर, बुखार, हृदय का दौरा, पाचन क्रिया, हड्डी तथा यकृत संबंधित रोग एकमुखी रुद्राक्ष धारण से शीघ्र ही ठीक हो जाता है। सूर्य सरकार का कारक ग्रह है अतः शासकीय कार्य में यदि किसी भी तरह की परेशानी हो रही हो तो शीघ्र ही लाभ मिलता है। रुद्राक्ष में इतनी शक्ति है की विधिपूर्वक धारण करने वाले व्यक्ति के समस्त शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक संताप नष्ट हो जाता है।
यदि आप राजनीति से सम्बन्ध रखते है और आप मंत्री, अध्यक्ष आदि पद प्राप्त करना चाहते है तो विधिपूर्वक अभिमंत्रित रुद्राक्ष अवश्य ही धारण करें क्योंकि एक मुखी रुद्राक्ष दुसरों पर शासन करने की नेतृत्वशक्ति शीघ्र ही प्रदान करता है।
एकमुखी रुद्राक्ष धारण विधि तथा मन्त्र
एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए तदुपरांत गृह में स्थित मंदिर में विधिपूर्वक विनियोग, ऋष्यादिन्यास,करादिन्यास, हृदयादिन्यास तथा ध्यान करना चाहिए उसके बाद एकमुखी रुद्राक्ष के लिए निर्धारित मन्त्र का जप करना चाहिए।
प्रायः सभी पुराणों में मन्त्र भिन्न-भिन्न दिया गया है यथा —
पद्म पुराणानुसार :- ॐ ॐ दृशं नमः। या ॐ रूद्र।
शिवमहापुराण :- ॐ ह्रीं नमः।
स्कंदपुराण :- ॐ एम् नमः।
बृहज्जाबालोपनिषद :- ॐ नमः शिवाय।
परम्परानुसार :- ॐ एं हं औं ऐं ॐ।
इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार (एक माला) करना चाहिए तथा इसको सोमवार के दिन धारण करना चाहिए।
3 Comments
Ak mukhi round kasa hota hai
ek mukhi rudraksh me ke koi lining nahi hoti arthat koi mukh nahi. yah gol and oval dono safe me hota hai .
महाशय कृपया और विस्तृत रूप से बियाख्या करने की कृपा करे।हो सके तो चित्र दिखाने का कृपा करे