Tilak importance and effect | तिलक का महत्त्व और प्रभाव
Tilak Importance and Effect | तिलक का महत्त्व और प्रभाव भारतीय संस्कृति में तिलक लगाने की परंपरा थी, है और रहेगी इसमें लेश मात्र भी संदेह नहीं है ऐसा मेरा मानना है । माथे पर तिलक लगाने से व्यक्ति का मान-सम्मान तथा गौरव बढ़ता है। सामान्यतः लोग यह कहते है कि मैं तिलक लगाकर क्या करूँ यह तो पंडितो का काम है। मेरा तो इन सब में विश्वास नहीं है। यह तो अंध विशवास है इत्यादि इत्यादि । तो बंधू वस्तुतः तिलक लगाने के पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। तिलक लगाने से मानसिक शांति मिलती है। इसके प्रयोग से हमारा ध्यान ध्येय के प्रति स्थिर होता है ।
क्यों जरुरी है ? तिलक लगाना | Why Necessary Tilak
भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति में पूजा और भक्ति का जितना महत्त्व है उतना ही महत्त्व तिलक का भी है। वैदिक काल से लेकर आज तक हिन्दू समाज में पूजा-अर्चना, संस्कार विधि, मंगल कार्य, यात्रा गमन, शुभ कार्यों के आरम्भ में माथे पर तिलक लगाकर उसे अक्षत से विभूषित किया जाता रहा है। अर्थात किसी भी शुभ कार्य में तिलक लगाकर हम उस कार्य के प्रति अपनी श्रद्धा और विशवास व्यक्त करते है तथा कार्य निर्बाध रूप से सम्पन्न होने की कामना करते है।
तिलक मस्तक पर भृकुटि मध्य वा नासिका के प्रारंभिक स्थल पर लगाना सबसे शुभ माना जाता है। यह स्थान हमारे चिंतन-मनन का है जो चेतन-अवचेतन अवस्था में भी जाग्रत एवं सक्रिय रहता है,योग में इस स्थान को आज्ञा-चक्र कहा जाता है।
यह स्थान इड़ा, पिंगला तथा शुषुम्ना नाड़ी का संगम स्थल भी है हमारे सभी शारीरिक क्रिया इन्ही नाड़ियो के द्वारा सम्पन्न होता है इसी कारण इस स्थल पर तिलक लगाकर आज्ञा चक्र को सक्रिय किया जाता है जिससे व्यक्ति विवेकशील, ऊर्जावान, तनावमुक्त तथा हमेशा जाग्रत रहे।
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योग में ध्यान के समय इसी स्थान पर मन को एकाग्र किया जाता है जिससे मन शांत हो जाता है। आध्यात्मिक गुरु भक्त को इसी स्थान पर तिलक करके शिष्य के अंदर आध्यात्मिक शक्ति का संचार करते हैं और इसी चक्र को जाग्रत कर देते हैं। इसी कारण हमारे ऋषियों मुनियो ने टीका, बिंदी, तिलक को इस स्थान पर लगाने का विधान बनाया। तिलक के माध्यम से मन को आज्ञाचक्र पर ध्यान लगाने से मन शांत एवम एकाग्र हो जाता है।
इस स्थान पर यदि सौभाग्यसूचक द्रव्य जैसे चंदन, केशर, कुमकुम, रोली आदि का तिलक लगाने से व्यक्ति में सात्विकता तथा आत्मविश्वास में अभूतपूर्ण वृद्धि होती है। मन में सात्विकता का संचार होता है जिससे शांति एवं संयम में वृद्धि होती है तत्पश्चात व्यक्ति आत्मनिष्ठ होकर कार्य करता है।
मस्तक पर चंदन का तिलक सुगंध के साथ-साथ शीतलता प्रदान करता है। चंदन लगाने से हमारी उत्तेजनाएं नियंत्रित होती है इस कारण से हमारे लोगो से आपसी सम्बन्ध तथा बिगड़े हुए काम भी बन जाते है । चंदन शीतलता का प्रतीक है यदि सर में दर्द है तो भी चन्दन लगाने की सलाह दी जाती है इस कारण भी चन्दन का तिलक लगाने से दिमाग में शांति एवं शीतलता बनी रहती है।
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शरीर के किस-किस अंगो पर तिलक लगाया जाता है ।
- मस्तक
- भृकुटि मध्य
- कान
- कंठ,
- हृदय,
- दोनों बाहुं,
- बाहुमूल,
- नाभि,
- पीठ,
- दोनों बगल में,
इस प्रकार कुल बारह स्थानों पर तिलक करने का विधान है! तिलक ललाट पर या छोटी सी बिंदी के रूप में दोनों भौहों के मध्य ( भृकुटिमध्य Forehead ) में लगाया जाता है।