Effect of Fifth House Lord in 4th House in Hindi | जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन,अचल संपत्ति, भूमि मन ख़ुशी शिक्षा इत्यादि का कारक भाव है वही जन्मकुंडली में पंचम भाव त्रिकोण स्थान के रूप में जाना जाता है। इस भाव का सम्बन्ध पूर्व जन्म से भी है । जन्मकुंडली में पंचम भाव से किसी भी जातक की बुद्धि, संतान, पढाई, लक्ष्मी इत्यादि को देखा जाता है । इस भाव का स्वामी आपके जन्मकुंडली में जहां भी स्थित होगा वह ग्रह अपने कारकत्व के अलावा इस भाव के लिए निर्धारित कार्यो का फल प्रदान करेगा। जैसे सिंह लग्न में पंचमेश गुरु चतुर्थ भाव में होता है तो ऐसा जातक ज्ञानी तथा कर्मठ होता है तथा अपने ज्ञान रूपी कर्म से अपने परिवार तथा समाज में नाम रोशन करता है।
पंचम भाव का स्वामी यदि चतुर्थ भाव में है तो ऐसा जातक भाग्यवान तथा भौतिक सुख का भरपूर उपभोग करता है। ऐसे व्यक्ति अपने पूर्व जन्म में किये गए के पूण्य कर्म के कारण इस जन्म में अचूक संपत्ति का मालिक होता है । क्या आपके कुंडली में धन योग है ?
पंचम भाव शिक्षा का भी भाव है तथा पंचम से चतुर्थ भाव 12 वा स्थान है अतः शिक्षा में व्यवधान ( Obstacle) आता है ऐसे जातक को पढने में मन नहीं लगता है वह पढाई से जी चुराने लगता है परिणामस्वरूप परीक्षा में सफल नहीं हो पाता है और पढाई छूट जाती है।
यदि बच्चा पढना नहीं चाहता तो यह उपाय करे
इसी प्रकार यह भाव संतान का भी भाव है अतः संतान पक्ष से भी कष्ट मिलता है। यदि अशुभ ग्रह की युति या दृष्टि बनती है तो गर्भपात ( Abortion ) संभावित होता है। आप को बच्चा गोद लेना भी पर सकता है। आप अपने बच्चे की पढाई को लेकर अवश्य परेशान रहेंगे। कई बार तो ऐसा जातक अपने पिता की सम्पती को नुक्सान भी करता है।
ऐसा व्यक्ति धार्मिक तथा आध्यात्मिक हो सकता है इसका मुख्य कारण है की काल पुरुष की कुंडली में चतुर्थ स्थान मोक्ष का स्थान है तथा पंचम भाव बुद्धि का भाव है अतः जातक की बुद्धि मुक्ति की ओर प्रशस्त होती है।
नोट :- उपर्युक्त सभी फल अन्य ग्रहों की युति दृष्टि और स्थिति के कारण प्रभावित होता है अतः उपर्युक्त फल उस स्थिति में फलित होगा जब चतुर्थ भाव भावेश तथा प्रथम भाव भावेश के साथ शुभ ग्रहों तथा नक्षत्रो के साथ सम्बन्ध हो यदि अशुभ ग्रहों के साथ सम्बंध बनता है फल में परिवर्तन अथवा कमी होगी। ।