शनि का पंचम भाव में फल | Saturn Effects in 5th house
शनि का पंचम भाव में फल | Saturn Effects in 5th house. पंचम भाव में शनि का फल पौराणिक ग्रन्थ में बहुत अच्छा नही बताया गया है। शनि के पंचम भाव में होने से व्यक्ति जितना बुद्धिमान और विद्वान होता है उससे ज्यादा दिखाने की कोशिश करता है। ऐसा जातक शनि प्रसन्न और सुखी जीवन व्यतीत करता है। जातक परिश्रमी और घूमने का शौक़ीन होता है।
इस स्थान में शनि संतान सुख में कमी करता है। संतान उत्पत्ति में विलम्ब भी होता है। ऐसे जातक का संतान पंचम भाव का स्वामी तथा गुरु दोनों अशुभ ग्रह से प्रभावित हो तो या तो संतान होता ही नहीं है या एक संतान मरा हुआ होता है उसके बाद में संतान का सुख प्राप्त होता है यह स्थिति पूर्व या पश्च दोनों रूप में हो सकता है। वैसे प्रायः विद्वान पंचम शनि होने पर संतानहीनता की बात की है पराशर मुनि इस बात को नहीं स्वीकार करते है उनके अनुसार —
“पंचमे पुत्रलाभंच बुधिमुद्यम सिद्धिकृत”
अर्थात ऐसे जातक को पुत्र सुख की प्राप्ति होती है। मेरा अपना भी यह अनुभव है की जातक को संतान सुख मिलता है हां वह संतान से परेशान अवश्य रहता है।जानें ! आपको संतान सुख है या नहीं ?
इस स्थान का शनि शिक्षा में व्यवधान भी उत्पन्न करता है। ऐसे जातक की बुद्धि तो होती है परन्तु ऐसी वैसी आशंका से युक्त होती है। बुद्धि का संचार नकारात्मक ज्यादा सकारात्मक कम होता है। यही नहीं जातक के अंदर विश्वास का भी अभाव देखा गया है। यदि एक बार में कोई फैसला ले ले तो भगवान् ही मालिक। जातक जिद्दी और मनमौजी हो सकता है। ऐसा जातक निष्कपट ह्रदय नहीं होता है।
यह भी कहा गया है की शनि के यहाँ होने से जातक दरिद्र, दुराचारी, दत्तक पुत्र होता है।
गर्ग ऋषि के अनुसार —–
सुत्तभवंगतोsरिमन्दिरस्थ सकल सुतान विनिहन्ति मंदगामी।
समुदितकिरणः स्वतुंगमस्थ: कथमपि जनयेत सुतीक्षणमेकपुत्रं।
अर्थात यदि पंचम भाव का शनि शत्रु घर में हो तो सब पुत्रो का नाश होता है और अयादि इस भाव का शनि उच्च में वा स्वराशि में हो तो तीक्ष्ण बुद्धि वाला पुत्र होता है। ऐसे जातक की बुद्धि कुटिल होती है।
यदि शनि अशुभ स्थिति में है तो जातक को आलसी और दुर्बल शरीर वाला बनाने में समर्थ होता है। ऐसा व्यक्ति आप देवी-देवताओं और धार्मिक कार्य करने से कतराता है। यहाँ शनि धन सम्पत्ति को भी कम करता है।
पंचम भाव का वक्री शनि प्रेम संबंध देता है परन्तु प्रेम में जातक प्रेमी को धोखा भी देता है। यदि प्रेमी शादी के बंधन में बन्धन में बंधना चाहता है तो इसके लिए बहुत ही पापड़ बेलना पड़ता है फिर भी सफलता में संदेह हो होता है।
Upay | उपाय
- हर शनिवार के दिन काली गाय को नियमित रोटी खिलाएं।
- चमड़े के जूते, बैग इत्यादि का दान करना चाहिए।
- शनि यंत्र धारण करें.
- शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करें।
उपर्युक्त फल एक सामान्य फल है किसी भी कुंडली में किसी भी ग्रह का फल कुंडली में स्थित अन्य ग्रह के दृष्टि साहचर्य के आधार पर देखनी चाहिए अतः अपने बुद्धि विवेक तथा अनुभव के आधार पर ही फलित करे। जो जातक ज्योतिष नहीं जानते है वह कृपया इस फल को ब्रह्म सत्य न मानें क्योकि फलित सम्पूर्णता के आधार पर किया जाता है।
शनि प्रथम भाव में फल | शनि दूसरे भाव में फल | शनि तृतीय भाव में फल |
शनि चतुर्थ भाव में फल | शनि पंचम भाव में फल | शनि षष्ठ भाव में फल |
शनि सप्तम भाव में फल | शनि अष्टम भाव में फल | शनि नवम भाव में फल |
शनि दशम भाव में फल | शनि एकादश भाव में फल | शनि बारहवें भाव में फल |