जन्मकुंडली में सरस्वती योग का महत्त्व और लाभ | Saraswati Yoga

जन्मकुंडली में सरस्वती योग का महत्त्व और लाभ | Saraswati Yoga. किसी जातक की जन्मकुंडली में ग्रह, भाव तथा भावेश के संबंधों के आधार पर योग का निर्माण होता है। जातक के जीवन यात्रा में इस योग का विशेष महत्त्व होता है। यह योग अपनी दशा, अंतरदशा में विशेष फल प्रदान करने का सामर्थ्य रखता है। योग अपने नाम के अनुरूप फल देता है। हमारे प्राचीन ऋषि मुनियो ने अपने ज्ञान चक्षु से मानवीय जीवन में आने वाली सभी जरुरी विषयो के लिए कोई न कोई योग को बताया है यथा —
धन योग
राजयोग
चंद्र मंगल योग
गुरु चांडाल योग
महालक्ष्मी योग
सरस्वती योग
इत्यादि ये सभी योग अपने नाम के अनुसार फल देते है।

सरस्वती योग का महत्त्व | Importance of Saraswati yoga 

सरस्वती योग का सम्बन्ध विद्या वा शिक्षा से है। भारतीय संस्कृति में माता सरस्वती ज्ञान, शिक्षा, बुद्धि और विद्या की देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। माता सरस्वती जातक को विद्या प्रदान करती है। सरस्वती देवी के सम्बन्ध में कहा गया है —

अपूर्वः कोऽपि कोशोड्यं विद्यते तव भारति ।
व्ययतो वृद्धि मायाति क्षयमायाति सञ्चयात् ॥

अर्थात हे सरस्वती ! विद्द्यारूपी आपका खज़ाना विचित्र वा अपूर्व ( जो पहले कभी नहीं देखा गया हो ) है जो खर्च करने से वह बढता है, और संचय कर रखने से नष्ट हो जाता है। ऐसी विद्या की देवी माता सरस्वती है। इस योग में जिस भी व्यक्ति का जन्म होता है उस पर विद्या की देवी मां सरस्वती की विशेष कृपा बनी रहती है। वैसे जातक को सरस्वती का वरद पुत्र भी कहा जाता है। आप पति पत्नी और संतान सुख प्राप्त करने वाले भी होते है।

सरस्वती योग वाले व्यक्ति कला, संगीत, लेखन एवं विद्या से संबंधित या किसी अन्य भी क्षेत्र में बहुत ही मान-सम्मान,यश और धन कमाते हैं। काव्य एवं संगीतादि क्षेत्र में वह उच्चकोटि की रूचि रखने वाला होता ही है साथ ही अपनी कला कौशल से वह देश और विदेश में अपना तथा अपने राष्ट्र का नाम रोशन करता है। ऐसा जातक न केवल विद्या के क्षेत्र में प्रतिष्ठित होता है बल्कि सरकारी तंत्र में भी विशेष स्थान प्राप्त करने वाला होता है।

सरस्वती योग में उत्पन्न जातक के सम्बन्ध में ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है —
“धीमान नाटकगद्यपद्यगणना-अलंकार शास्त्रेयष्वयं |
निष्णात: कविताप्रबंधनरचनाशास्त्राय पारंगत:||

कीर्त्याकान्त जगत त्रयोऽतिधनिको दारात्मजैविन्त: |
स्यात सारस्वतयोगजो नृपवरै : संपूजितो भाग्यवान “||

अर्थात्- जिस जातक का जन्म सरस्वती योग में हुआ है वह बुद्धिमान, नाटक,गद्य, पद्य, अलंकार शास्त्र में कुशल, काव्य आदि की रचना करने में सिद्धस्त होता है उसकी कीर्ति सम्पूर्ण संसार में होती है, वह भाग्यवान और सरकार द्वारा सम्मानित होता है।

सरस्वती योग के लिए उत्तरदायी ग्रह | Planets Responsible for Saraswati Yoga

सरस्वती योग के लिए उत्तरदायी ग्रह बृहस्पति, बुध और शुक्र हैं।
बृहस्पति | Jupiter :- जन्मकुंडली में सबसे शुभ ग्रह गुरु है ज्ञान का कारक है। बृहस्पति को देवताओ का गुरु भी कहा गया है इन्होने ने सभी देवताओ को गुरु ज्ञान प्रदान किया है।
शुक्र | Venus :- शुक्र जातक को भावुकता और रचनात्मक दृष्टि से शक्ति प्रदान करता है। यह मान-सम्मान और प्रतिष्ठा भी दिलाता है।
बुध | Mercury :- बुध ग्रह बुद्धि, भाषा की प्रवीणता, तर्क, विश्लेषणात्मक कौशल, संचार और ज्ञान का कारक है अतः बिना बुध के युति प्रतियुति के विद्या के क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति आगे नहीं बढ़ सकता।

कैसे बनता है सरस्वती योग | How to make Saraswati yoga 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में सरस्वती योग तभी बनता है जब शुक्र, बृहस्पति और बुध ग्रह एक साथ बैठे हों अथवा एक दूसरे से केंद्र ( प्रथम,चतुर्थ, सप्तम तथा दशम भाव ) त्रिकोण या द्वितीय भाव में बैठकर संबंध बना रहे हों तो सरस्वती योग बनता है। यदि उक्त तीनों स्थिति में ग्रहों की आपस में युति अथवा दृष्टि संबंध है तब भी यह योग बनता है।
यदि बृहस्पति, शुक्र या बुध में से कोई एक या दो या तीनो उच्च का ,स्वराशिगत या मित्र राशि में हो तो सरस्वती योग अधिक फलीभूत होता हैं ।
यदि चंद्रमा के घर में गुरु और गुरु के घर चंद्रमा में तथा चंद्रमा पर गुरु की दृष्टि भी हो तो सरस्वती योग निर्मित होता हैं कुंडली में यह स्थिति तभी उत्पन्न होता है जब कर्क राशि का स्वामी चन्द्रमा और मीन राशि का स्वामी गुरु की परस्पर परिवर्तन योग हो।

कुंडली में सरस्वती योग से लाभ | Benefit from Saraswati Yoga

  1. सरस्वती योग में उत्पन्न जातक सम्भाषण कला में निपुण होता है।
  2. ऐसा जातक लेखन कला में अपनी कुशलता का परिचय देता है।
  3. आप विज्ञान, संगीत तथा साहित्य के क्षेत्र में अपना तथा अपने देश का नाम रौशन करेंगे।
  4. आपके उत्कृष्ट संचार कौशल के धनी होंगे।
  5. आप शिक्षा के क्षेत्र में अपने को स्थापित करने में समर्थ होंगे।
  6. आप के अंदर तार्किक और विश्लेषण क्षमता अपूर्व होगी।

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