Pushya Nakshtra | पुष्य नक्षत्र का महत्त्व तथा उपयोगिता

Pushya Nakshtra | पुष्य नक्षत्र का महत्त्व तथा उपयोगिता

Pushya Nakshtra | पुष्य नक्षत्र का महत्त्व तथा उपयोगिताPushya Nakshtra | पुष्य नक्षत्र का महत्त्व तथा उपयोगिता. भारतीय ज्योतिष में स्थित 27 नक्षत्रो में पुष्य  अष्टम नक्षत्र है। पुष्य नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि ( Saturn)  है परन्तु इस नक्षत्र के देवता वृहस्पतिदेव ( Jupiter) है तथा राशि स्वामी चन्द्रमा ( Moon) है अतः इस नक्षत्र में शनि गुरु तथा चन्द्रमा तीनो का समावेश हो जाता है यहाँ चन्द्रमा मन का कारक है तो वृहस्पतिदेव बुद्धि, ज्ञान और धन के कारक है तथा शनि जातक को कर्म तथा स्थायित्व प्रदान करने के लिए प्रेरित करता है इसी कारण पुष्य नक्षत्र शुभ और चिर स्थायी सुख प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है। वार एवं पुष्य नक्षत्र के संयोग से रवि-पुष्य जैसे शुभ योग का निर्माण होता है और इस दिन आँख मूंदकर शुभ कार्य किया जाता है।

कहा जाता है की पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोगों पर तंत्र-मंत्र-जादू-टोने-टोटके इत्यादि का प्रयोग नहीं करना चाहिये क्योकि इस नक्षत्र के जातक के ऊपर इसका कोई असर नहीं होता है बल्कि इसका प्रभाव उलटा करने वाले पर ही पड़ने लगता है।

पुष्य नक्षत्र और राशि | Pushya Nakshatra and Sign

पुष्य नक्षत्र कर्क राशि ( Cancer Sign)  में स्थित होता है। इस राशि में यह नक्षत्र 3 डिग्री 20 मिनट से 16 डिग्री 40 मिनट तक होती है। यह क्रान्ति वृ्त्त से 0 अंश 4 कला 37 विकला उत्तर तथा विषुवत वृ्त्त से 18 अंश 9 कला 59 विकला उत्तर में है। इस नक्षत्र में तीन तारे तीर के आगे का तिकोन जैसा दिखाई पड़ता हैं। बाण का शीर्ष बिन्दु या पैनी नोंक का तारा पुष्य क्रान्ति वृ्त्त पर पड़ता है। ऋग्वेद में पुष्य को तिष्य अर्थात शुभ या माँगलिक तारा कहा गया हैं।

सूर्यदेव प्रत्येक वर्ष जुलाई महीना के तृ्तीय सप्ताह में पुष्य नक्षत्र में गोचर करता है। उस समय यह नक्षत्र पूर्व में उदयमान होता है। वही  पुष्य नक्षत्र मार्च महीने में रात के समय करीब 9 बजे से 11 बजे तक अपने शिरोबिन्दु पर होता है।

Pushya Nakshtra | पुष्य नक्षत्र का महत्त्व तथा उपयोगिता

पुष्य नक्षत्र में उत्पन्न जातक का स्वभाव

पुष्य नक्षत्र में जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह हमेशा दूसरों की भलाई के लिए तैयार रहता है। ऐसा व्यक्ति दूसरों की सेवा एवं मदद करने में सुख का अनुभव करता है। इन नक्षत्र के जातक को बचपन में विभिन्न परेशानियों एवं कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है परन्तु बाद में सब ठीक हो जाता है। ऐसा जातक यात्रा और भ्रमण के शौकीन होते हैं।

इस नक्षत्र के जातक मेहनत और परिश्रम से कभी भी पीछे नहीं हटते है।  इन्हे जो भी असाइनमेंट दिया जाता है वे श्रद्धा, विश्वास और ध्यान के साथ पूरा करते है। ऐसा जातक आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखता है। ये आस्तिक होते हैं। इनका स्वभाव बहुत ही  चंचल होता हैं। ये अपने से विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति काफी लगाव व प्रेम रखते हैं।

पुष्य नक्षत्र के जातक मेहनत से जीवन में शनैः शनैः अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। ऐसा व्यक्ति किसी से भी तुरंत घुलमिल जाता है  इनका स्वभाव ही मिलनसार  होता हैं। एक स्थान पर टिक कर रहना पसंद नहीं करते। ये मितव्ययी होते है। बहुत ही सोच विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लेते हैं। इनका जीवन व्यवस्थित और संयमित होता है । ये अपने जीवन में सत्य और न्याय को महत्वपूर्ण स्थान देते हैं न्याय को विशेष महत्त्व देते है। ये किसी भी स्थिति में सत्य से मुख मोड़ना नही चाहते है, अगर किसी कारणवश इन्हें सत्य से हटना पड़ता है तो, ये स्वंय को दोषी मानते हुए दुखी रहने लगते हैं।

पुष्य नक्षत्र में कौन कौन से शुभ कार्य करना चाहिए

पुष्य नक्षत्र स्थायी नक्षत्र है अतः कहा जाता है की इस दिन जातक जो भी खरीदारी करेगा वह चिरस्थायी होता है अर्थात इस मुहूर्त में खरीदी गई कोई भी वस्तु अधिक समय तक उपयोगी और टिकाऊ होती है। इसके अलावा इस मुहूर्त में खरीदी गई वस्तु हमेशा समृद्धि तथा शुभ फल प्रदान करने में समर्थ होती है।

इस नक्षत्र में विशेष रूप से स्वर्ण की खरीदारी का महत्व होता है। लोग इस दिन स्वर्ण की खरीदी भी इसलिए भी करते हैं क्योंकि सोने  को शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है। इस दिन घर में स्वर्ण के आने से स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास होता है।

जानें ! दीपावली शुभ मुहूर्त 2017

दीपावली के पूर्व आने वाले पुष्य नक्षत्र विशेष विशेष रूप से खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। दीपावली के समय लोग घर सजाने की चीजें के अतिरिक्त सोना, चांदी एवं अन्य सामान की सबसे ज्यादा खरीदारी करते हैं, और खरीदारी पुष्य नक्षत्र में करने से शुभता और घर की समृद्धता बढ़ जाती है।

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