बृहस्पति / गुरु ग्रह शांति के उपाय मंत्र, दानादि विधि। Jupiter Planets Remedies

बृहस्पति / गुरु ग्रह शांति के उपाय मंत्र, दानादि विधि। Jupiter Planets Remedies. ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह धन और ज्ञान का प्रतीक है। पुराणों में बृहस्पति को देवगुरु का स्थान दिया गया है। वैदिक ज्योतिष में गुरु को सबसे शुभ ग्रह माना गया है। बृहस्पति को अंगिरा ऋषि का पुत्र कहा गया है। अंगिरा एक ऋषि थे। ये एक प्रजापति थे और दक्ष प्रजापति के पुत्र भी थे। इन्होने नीति एवं न्याय का उपदेश दिया था। अंगिरा के पुत्र बृहस्पति देवताओं के गुरु तथा पुरोहित थे। ये अपने ज्ञान से देवताओ को उनका यज्ञभाग प्राप्त करा देते थे। बृहस्पति को देवताओ के गुरु और सूर्यमण्डल में ग्रहत्व देवो के देव महादेव की कृपा से प्राप्त हुआ है।

बृहस्पति / गुरु ग्रह की महत्ता | Importance of Jupiter Planet

जन्मकुंडली में बृहस्पति सबसे शुभ ग्रह है यह धन तथा ज्ञान का कारक ग्रह है इस कारण यदि कुंडली में गुरु शुभ स्थिति में है तो जातक धनवान के साथ साथ विद्वान भी होता है। बृहस्पति अपने याचक को मनोवांछित फल प्रदान करते है। ये जातक को सन्मार्ग पर चलाते है तथा उनकी रक्षा भी करते है।

जिस जातक की जन्मकुंडली में गुरु मजबूत है वह शिक्षा के क्षेत्र में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है। गुरु के साथ ग्रहो की युति से अनेक प्रकार के योग उत्पन्न होते है। गुरु और चन्द्रमा की युति से गजकेसरी योग, केंद्र में उच्च का होने पर “हंस योग” का निर्माण करता है । गुरु का दो ग्रहों के साथ युति फल

बृहस्पति ग्रह निम्नलिखित का कारक ग्रह है | Significator of Jupiter Planet

ज्योतिष शास्त्र में गुरु / बृहस्पति ग्रह ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, गणित, अध्यापक, विद्वान,विदेश में घर, न्यायधीश, सलाहकार, सुंदरता, बैंक, यश, विद्यार्थी, गाय, मीठेफल, नदी, जंघा इत्यादि का कारक ग्रह है।

बृहस्पति / गुरु ग्रह और स्वास्थय | Jupiter and Health

बृहस्पति ग्रह स्वास्थ्य को अधिक रूप से प्रभावित करता है। शरीर में स्थित लिवर पर गुरु ग्रह का पूर्ण अधिकार है इसी कारण यदि जन्मकुंडली में गुरु ग्रह अशुभ स्थिति में है या अशुभ ग्रह के प्रभाव में है तो जातक का लिवर कमजोर हो जाता है परिणामस्वरूप व्यक्ति पेट की बीमारी या पीलिया रोग से ग्रसित हो जाता है और कभी कभी इसके कारण जातक की मृत्यु भी हो जाती है। अतः व्यक्ति को चाहिए की गुरु से सम्बंधित मन्त्र, पूजा दान इत्यादि करे ऐसा करने से निश्चय ही शारीरिक व्याधि से छुटकारा पा सकते है। गुरु का गोचर 2017

बृहस्पति ग्रह शुभ तथा अशुभ दोनों फल देता है | Benefit of Jupiter Planet

बृहस्पति ग्रह यदि अनुकूल स्थिति में है तो जातक को धन तथा ज्ञान और विवेक सुख प्रदान करता है।जातक न्याय तथा ज्ञान की पराकाष्ठा का अनुभव करता हुआ उत्तरोत्तर आगे की ओर बढ़ता रहता है इस कारण कारण समाज तथा परिवार में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और यश को प्राप्त करता है। यदि गुरु जन्मकुंडली में शुभ स्थिति में है तो जातक संतान सुख तथा धन सुख का उपभोग करता है। यदि गुरु अशुभ स्थिति में है तो मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, ज्ञान तथा संतान को नष्ट करता है। विभिन्न राशियों में गुरु का फल 

बृहस्पति / गुरु ग्रह की शांति हेतु आराध्यदेव

बृहस्पति ग्रह के लिए आराध्य देव विष्णुजी है। अतः गुरु की शांति हेतु विष्णुदेव की आराधना करनी चाहिए।

किस मंत्र से करे गुरु के दुष्प्रभाव को कम | Jupiter Mantra

जन्मकुंडली में गुरु / बृहस्पति के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए गुरु मंत्र का जप करने से अनेक प्रकार की समस्याओ से मुक्ति पा सकते है। यदि आप गुरु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं या जन्मकुंडली में गुरु ग्रह अशुभ स्थिति में है, तो आपको यह उपाय जरूर करना चाहिए। बृहस्पति मन्त्र का जप गुरुवार के दिन से आरम्भ करना चाहिए।

बृहस्पति / गुरु ग्रह के लिए तांत्रिक मंत्र | Tantrik Mantra for Jupiter

“ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नम:”

ॐ बृं बृहस्पत्यै नमः

बृहस्पति ग्रह के लिए गायत्री मंत्र

ॐ अंगिरसाय विद्हे दिव्यदेहाय धीमहि तन्न: जीवः प्रचोदयात।।

बृहस्पति / गुरु मन्त्र की जप संख्या

जप संख्या – 16000
हवन -1600
तर्पण – 160
मार्जन – 16
ब्राह्मण भोजन – 2

बृहस्पति ग्रह की शांति हेतु दान | Donation for Jupiter Planets

बृहस्पति ग्रह के लिए निम्नलिखित वस्तुओं का दान देना चाहिए। दान से पूर्व बृहस्पति ग्रह की पूजा विधिवत करनी चाहिए उसके बाद नवग्रह की पूजा करे। गुरु से संबंधित वस्तुओं का दान बृहस्पति वार/गुरूवार (Thursday ) के दिन सुबह में जरूरतमंद मध्य आयु के ब्राह्मण को दान देना चाहिए

हल्दी
शहद
पुस्तक
पीला वस्त्र
शक्कर
केशर
घोड़ा
स्वर्ण
पुखराज

बृहस्पति ग्रह के लिए तांत्रिक टोटका

  1. विष्णु जी की आराधना करें।
  2. विष्णु सहस्त्रनाम का प्रतिदिन पाठ करे।
  3. पीपल में जल डालें।
  4. बृहस्पतिवार के दिन केले के पेड़ में जल डाले।
  5. गुरु की सेवा तथा आदर करें।

बृहस्पति ग्रह की शांति हेतु व्रत

बृहस्पति / गुरु ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए जातक बृहस्पतिवार का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से प्रारम्भ करना चाहिए। यह व्रत 3 वर्ष या 16 वर्ष तक लगातार कर सकते है।

बृहस्पति ग्रह शांति के लिए कौन सा रत्न धारण करें

यदि गुरु ग्रह आपके कुंडली में शुभ है अर्थात लग्न वा त्रिकोण का स्वामी है या योगकारी है और उससे शुभत्व प्राप्त करना है तो वैसी स्थिति में जातक को स्वर्ण धातु में पोखराज रत्न ( yellow Sapphire ) या टोपाज रत्न की अंगूठी बनवाकर धारण करनी चाहिए। पोखराज का वजन कम से कम ४ रत्ती का अवश्य होना चाहिए।

बृहस्पति ग्रह शांति के लिए रुद्राक्ष

यदि आपकी कुंडली में गुरु ख़राब स्थिति में है तो है तो उसके उपाय स्वरूप के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष की पूजा तथा धारण करना चाहिए।

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