Effect of Fourth House lord in First House in Hindi
Effect of Fourth House lord in First House in Hindi | जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन,प्रॉपर्टी भूमि मन ख़ुशी शिक्षा इत्यादि का कारक भाव है वही प्रथम भाव जातक स्वयं है अर्थात यह भाव जातक के रंग रूप आकार स्वभाव मान सम्मान इज्जत इत्यादि को बताता है । यदि चौथे भाव का स्वामी प्रथम भाव में जाता है वह जातक चतुर्थ भाव से सम्बन्धित सभी प्रकार के सुख का उपभोग करेगा। जैसे कुम्भ लग्न में चतुर्थ भाव का स्वामी शुक्र प्रथम भाव में स्थित होता है तो शुक्र अपनी दशा अन्तर्दशा में अवशय ही वाहन का सुख प्रदान करेगा परन्तु वाहन का सुख आपके परिश्रम पर निर्भर करेगा यदि आप वाहन के लिए परिश्रम करेंगे तो उसका सुख मिलेगा अन्यथा नही।
आप विलासी जीवन व्यतीत करेंगे । जातक धनवान होता है । आपका अपने माता के साथ ज्यादा जुड़ाव रहेगा । आपके अपने सगे सम्बन्धी आपसे प्रभावित रहेंगे अपने भाई बंधू की ख़ुशी के लिए आप निरंतर कार्य करते रहेंगे । ऐसा जातक हमेशा धन सम्पत्ति की वृद्धि के लिए प्रयासरत रहता है ।
प्रसिद्ध ग्रन्थ यवन जातक में कहा गया है ——
सुखपतौ सुखवाहनभोगवाँस्तनुगते तनुते धवलं यशः ।
जनकम तृसुखौधकरं परं सुभगलाभयुतं निरुजवपु: ।।
अर्थात ऐसा जातक बहुत ही खुश और सुखी रहता है, वाहन का उपयोग करेगा तथा मान सम्मान और यश को प्राप्त करता है। देखने में सुन्दर स्वस्थ तथा अपने माता पिता के आशीर्वाद से युक्त होता है।
यदि शिक्षा की बात करे तो शिक्षा के प्रति हमेशा झुकाव बना रहेगा ।ऐसा जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करता है । यदि चतुर्थेश प्रथम भाव के स्वामी के साथ बैठा है तो वैसा जातक निश्चित ही अचूक सम्पत्ति का मालिक होगा तथा अपने सम्पूर्ण जीवन अनेक उपलब्धिया प्राप्त करेगा ।
यदि अशुभ ग्रहों यथा राहू केतु शनि, मंगल, सूर्य इत्यादि से प्रभावित हो तो निश्चित ही जातक धन, शिक्षा, भाई, बंधू के सुख से वंचित होगा वैसे जातक को धन के लिए भटकना पड़ेगा ।
नोट :- उपर्युक्त सभी फल अन्य ग्रहों की युति दृष्टि और स्थिति के कारण प्रभावित होता है अतः उपर्युक्त फल उस स्थिति में फलित होगा जब चतुर्थ भाव भावेश तथा प्रथम भाव भावेश के साथ शुभ ग्रहों तथा नक्षत्रो के साथ सम्बन्ध हो यदि अशुभ ग्रहों के साथ सम्बंध बनता है फल में परिवर्तन अथवा कमी होगी। ।