Effect of Finger in Tilak | किस उंगली से करे तिलक
Effect of Finger in Tilak | किस उंगली से करे तिलक भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति पूर्णतः वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है हां यह जरूर है की हम अपने ज्ञान के अभाव में इस संस्कृति को ही अंधविश्वास की दृष्टि से देखते है या देखने लगे है। वास्तव में आध्यात्म को विज्ञान से न जोड़कर हमें विज्ञान को आध्यात्म से जोड़कर देखने की जरुरत है यदि ऐसा होगा तो हमारे सभी प्रश्नों का समाधान स्वयमेव ही मिल जाएगा परन्तु शायद ऐसा करना विज्ञान और वैज्ञानिक को गवाँरा नहीं होगा। जिस प्रकार एक आध्यात्मिक पुरुष अपने अंतः चेतना और अपने दिव्यचक्षु दीपक ( आतंरिक प्रयोगशाला ) से जिन तथ्यों का आत्मसाक्षात्कार किया है आज वही तथ्य विज्ञान के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
खैर छोड़िये इन बातो को आज हम यह बताने का प्रयास करने जा रहे है की तिलक वा टीका लगाने के लिए हम जिस अंगुली का प्रयोग करते है उसका कितना महत्त्व है। वस्तुतः हाथ की प्रत्येक उंगुली का अपना महत्त्व है। हस्तविज्ञान ( Palmistry) में प्रत्येक उंगली को किसी न किसी ग्रह से जोड़ा गया है जैसे —
उंगली प्रतिनिधि ग्रह
कनिष्ठिका – बुध
अनामिका – सूर्य
मध्यमा – शनि
तर्जनी – गुरु
पांचो उंगलियों में पांच तत्व निहित हैं
अंगूठा- अग्नि,
तर्जनी- वायु,
मध्यमा- आकाश,
अनामिका- पृथ्वी
कनिष्ठिका – जल
विष्णु संहिता के अनुसार किस कार्य में किस अंगुली से तिलक लगाना चाहिए बताया गया है जैसे —–
कनिष्ठिका उंगली – ऋषि कार्य में
अनामिका उंगली – देव कार्य में
मध्यमा उंगली – पितृ कार्य में ,
तर्जनी – तांत्रिक कार्यों में
किस उंगली से तिलक लगाने से क्या फल मिलेगा
अनामिका – शांति तथा मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
मध्यमा- आयु में वृद्धि होती है।
तर्जनी – मोक्ष मिलता है।
अंगूठा – पुष्टिवर्धक कहा गया है।
तिलक लगाने से माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है, आज्ञाचक्र संयमित व सक्रिय रहता हैं तथा व्यक्ति को अनेक प्रकार के संकटों से बचाता है। तिलक उत्तर की ओर मुंह करके भृकुटि मध्य में लगाना चाहिए। बिना तिलक के पूजा अर्चना करने से पूर्ण फल नहीं मिलता है। अतः हमें तिलक जरूर लगाना चाहिए।