Diwali 2023: जानें ! किस दिन, तिथि को है दिवाली? कब है शुभ मुहूर्त ?
Diwali 2023: जानें ! किस दिन, तिथि को है दिवाली? कब है शुभ मुहूर्त ? इस वर्ष दीपावली 12 नवम्बर, दिन रविवार को है। ज्योतिर्निरबन्ध में कहा गया है —
कार्तिक स्यासिते पक्षी लक्ष्मीर्निन्दा विमुञ्चति।
स च दीपावली प्रोक्ता सर्वकल्याणरूपिणी।।
अर्थात दीपावली त्योहार ( महालक्ष्मी पूजा ) कार्तिक कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि में प्रदोषकाल ( Evening Time) एवं अर्द्धव्यापिनी हो तो विशेष रूप से शुभ होती है। महालक्ष्मी पूजा स्थिर या द्विस्वभाव लग्न में ही करना चाहिए। इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 12 नवंबर दिन रविवार को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट के बाद प्रदोष, निशीथ तथा महानिशीथ व्यापिनी होगी। प्रदोषकाल तथा निशीथकाल (थोड़े समय के लिए) व्यापिनी अमावस्या से युक्त है अतः यह दीपावली विशेष रूप से शुभ प्रदान करने वाला होगा।
दीपावली के दिन क्या करना चाहिए ?
इस दिन प्रातः सुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत होकर पितृगण तथा देवताओं का पूजन करना चाहिए। सम्भव हो तो दूध, दही और घृत से पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। यदि सम्भव हो तो उपवास कर गोधूलि वेला (सूर्यास्त के समय) में अथवा वृष, सिंह आदि स्थिर लग्न में श्रीगणेश, कलश, षोडशमातृका एवं ग्रहपूजनपूर्वक भगवती लक्ष्मी का षोडशोपचार करके पूजा करना चाहिए। इसके बाद महाकाली का की पूजा दावात के रूप में, महासरस्वती की कलम, बही आदि के रूप में तथा कुबेर पूजा तुला के रूप में करना चाहिए। इसी समय दीपपूजन कर यमराज तथा पितृगणों के निमित्त ससंकल्प दीपदान करना चाहिए। इसके बाद निशीथ काल में शुभ मुहूर्त में मन्त्र जप, यन्त्र आदि की सिद्धि करना चाहिए।
दीपावली के दिन धन की प्राप्ति के लिए धन की अधिष्ठात्री देवी भगवती लक्ष्मी का समारोहपूर्वक आवाहन, षोडशोपचार सहित पूजा की जाती है। निर्दिष्ट शुभ समय में किसी स्वच्छ एवं पवित्र स्थान पर आटा, हल्दी, अक्षत एवं पुष्पादि से अष्टदल कमल बनाकर श्रीलक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
जानें ! कैसे करें लक्ष्मी पूजा ?
दीपावली पर महालक्ष्मी पूजा मुहूर्त 2023 |
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महालक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त | 17:37 से 19:08 मिनट तक |
प्रदोष काल | 17:27 से 20:09 मिनट तक |
वृषभ लग्न | 17:38 से 19:32 मिनट तक, घर में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त |
प्रदोषकाल मुहूर्त :-
दीपावली के दिन सांय 17:27 से 20:09 तक प्रदोष काल रहेगा। दीपावली पूजन में प्रदोष काल का मुहूर्त तथा स्थिर लग्न का अत्यंत ही महत्त्व है। वर्ष 2023 में प्रदोषकाल तथा स्थिर लग्न दोनों एक साथ है यह एक शुभ संकेत है। स्थिर लग्न में दीपावली पूजन करने से लक्ष्मी माँ आपके घर में स्थिर रूप में विराजमान होती है।
प्रदोष काल के आरम्भ से लेकर 19 बजकर 9 मिनट तक चौघड़िया का शुभ मुहूर्त भी रहेगा अतः इस समय लक्ष्मी पूजा करना शुभ रहेगा।शुभ लाभ तथा स्वास्तिक का चिन्ह प्रदोषकाल में ही बनाना चाहिए।
वृषभ लग्न | स्थिर लग्न | Taurus Ascendant | Fix Lagan
सांय 17 :38 स19:32 तक तक वृषभ लग्न है । ज्योतिष में वृषभ लग्न स्थिर लग्न (Fix Lagan) होता है और स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजा करने से धन प्रदायिनी लक्ष्मी स्थायी रूप से घर में विराजमान रहती है। अतः स्थिर लग्न में ही पूजा करनी चाहिए। इस वर्ष इसी समय महालक्ष्मी पूजा करना शुभ होगा। श्रीगणेश-लक्ष्मी पूजन इसी समय प्रारम्भ कर लेना चाहिए। इसी काल में दीपदान, श्रीमहालक्ष्मी पूजन, कुबेर-पूजन, बही-खाता पूजन, धर्म एवं गृह स्थलों पर दीप प्रज्वलित करना चाहिए।
दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त |
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लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त | 23:39 से 24:32 मिनट तक |
महानिशीथ काल | 22:51 से 25:33 मिनट तक |
सिंह लग्न | 24:12 से 26:30 मिनट तक |
दिपावली शुभ चौघड़िया मुहूर्त |
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अपराह्न मुहूर्त्त (शुभ) | 14:47 से 15:47 मिनट तक | दूकान, ऑफिसआदि में पूजा हेतु |
सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल) | 17:29 से 22:26 मिनट तक | घर में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त |
रात्रि मुहूर्त्त (लाभ) | 25:44 से 27:23 मिनट तक | व्यापारियों, मंत्र सिद्धि हेतु शुभ मुहूर्त |
उषाकाल मुहूर्त्त (शुभ) | 29:03 से 30:41 मिनट तक | साधना हेतु शुभ मुहूर्त |
निशीथकाल
12 नवम्बर, 2023 ई. को निशीथकाल रात्रि के 20 बजकर 10 मिनट से लेकर 20 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। निशीथकाल में मिथुन लग्न 19 बजकर 46 मिनट से लेकर 21 बजकर 48 मिनट तक रहेगा तथा कर्क लग्न 22 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इसी काल में अमृत तथा चर की चौघड़िया मुहूर्त 22 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
मिथुन लग्न में भी पूजा करना शुभ प्रदायी होगा अतः इस काल में पूजा कर सकते है। मिथुन लग्न में पूजा का शुभ समय 7 बजकर 46 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक है इस समय चौघड़िया की अमृत काल है अतः इसी अवधि में ही मुख्य पूजा करें यह सिद्धिकारक रहेगा। इस अवधि में श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र तथा लक्ष्मी स्तोत्रादि मन्त्रों का पाठ करना चाहिए।
महानिशीथकाल
महानिशीथ काल रात्रि 22 बजकर 51 मिनट लेकर 25 बजकर 33 मिनट तक रहेगा इस अवधि में सिंह लग्न केवल रात्रि के 24 बजकर 15 मिनट से लेकर 25 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इस समयावधि में ‘रोग’ तथा ‘काल’ की चौघड़ियां इतनी शुभ नहीं है। अतएव कोई भी स्तोत्र, पाठ आदि प्रदोष/निशीथकाल में ही प्रारम्भ कर लेने चाहिए। इस अवधि में काली- उपासना, तन्त्रादि क्रियाएं, विशेष काम्य-प्रयोग, तन्त्र-अनुष्ठान, साधनाएं एवं यज्ञादि करना चाहिए अतएव इनका प्रारम्भ प्रदोष/निशीथकाल में पहिले ही कर लें।