Bajrang Baan Benefit : पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करैं प्राण की

Bajrang Baan Benefit : पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करैं प्राण की

Bajrang Baan Benefit : पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करैं प्राण की.  श्री राम भक्त हनुमान जी के लिए समर्पित “बजरंग बाण” का नियमित पाठ करने से सभी प्रकार के कष्टों का अंत हो जाता है और उसे मान-सम्मान, सुख-शांति,  और समृद्धि की प्राप्ति होती है। बजरंग बाण का पाठ करने से इंसान निडर होकर आने वाली समस्या का भयमुक्त सामना करता है ।

शास्त्रानुसार यदि आप किसी ऐसे भयंकर बीमारी से ग्रसित हैं जिसमें मृत्यु तक आ सकती है तो उस समय “बजरंग बाण” रामबाण की तरह औषधी का कार्य करता है परन्तु इस बात का ध्यान रहें की आपके अंदर पूर्ण रूप से श्रद्धा, भक्ति और विश्वास प्रतिष्ठित हो। इस पाठ से सभी प्रकार की नकरात्मक शक्तियां उसी प्रकार दूर हो जाती जैसे सूर्योदय से अन्धकार।

Bajrang Baan | किस दिन शुरू करें हनुमान जी का बजरंग बाण ?

श्री राम भक्त हनुमान जी मंगलवार का दिन प्रिय है इसलिए यह पाठ इसी दिन से प्रारम्भ करनी चाहिए। यह लोक विश्रुत है कि यदि शुद्ध मन से हनुमान जी की आराधना की जाए, तो वे बहुत जल्द प्रसन्न होकर भक्तों समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कलयुग में हनुमान जी ही एक ऐसे देवता हैं, जो धरती पर मौजूद हैं।

हनुमान जी अपने सभी भक्त से बेहद प्यार करते हैं इसी कारण जब भी भक्त कष्ट में होता है और उन्हें सच्चे दिल से स्मरण करता है शीघ्र ही समस्या का निवारण करते हैं। इसलिए प्रत्येक भक्त को हनुमान जी की अंतर्मन से पूजा कनी चाहिए। अपने जीवन यात्रा किसी संकट से बाहर निकलने के लिए या फिर विशेष प्रकार की मनोकामना पूर्ति के लिए मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ अवश्य ही करना चाहिए। 108 Name of Sun

Bajrang Baan | शास्त्रानुसार बजरंगबाण पाठ से लाभ

  1. जन्म कुंडली में यदि मारकेश की दशा चल रही है और आप बीमारी से परेशान है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से नियमित प्रतिदिन बजरंगबाण का पाठ करने से जातक यथाशीघ्र स्वस्थ्य हो जाता है।
  2. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक मंगलवार के दिन नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को कभी कोई गंभीर रोग नहीं होता है।
  3. यदि जन्मकुंडली में शनि की महादशा या अन्तर्दशा चल रही है और आप किसी असाध्य बीमारी से ग्रसित हैं तो उस समय बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।
  4. किसी भी कार्य में निश्चित रूप से सफलता पाने के लिए बजरंग बाण का पाठ करने से जातक को कार्यों में सफलता मिलती है।
  5. इसके पाठ से लंबे समय से कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  6. यदि आप केश-मुकदमा या किसी शत्रु से अकारण परेशान है तो लगातार बजरंग बाण का पाठ करें निश्चित ही शत्रु पराजित होगा और आप भयमुक्त होकर जीवन जियेंगे।

Bajrang Baan | बजरंगबाण

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥

जय हनुमन्त संत हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज बिलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महासुख दीजै ।।
जैसे कूदी सिन्धु महि पारा । सुरसा बदन पैठी विस्तारा ।।
आगे जाय लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम-पद लीना ।।
बाग उजारि सिन्धु मह बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ।।
अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेटि लंक को जारा ।।
लाह समान लंक जरि गई । जय-जय धुनि सुरपुर में भई ।।
अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी । कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।।

जय जय लखन प्रान के दाता । आतुर होई दु:ख करहु निपाता ।।
जै गिरिधर जै जै सुख सागर । सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ओम हनु हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहि मारो । महाराज प्रभु दास उबारो ।।
ओंकार हुंकार महाप्रभु धाओ । बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ ।।
ओम ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा । ओम हुं हुं हुं हनु अरि उर-सीसा॥
सत्य होहु हरी शपथ पायके । राम दूत धरु मारू जायके

जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।
पूजा जप-तप नेम अचारा । नहिं जानत हो दास तुम्हारा ।।
वन उपवन मग गिरि गृह मांहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
पायं परौं कर जोरी मनावौं । येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
जय अंजनी कुमार बलवंता । शंकर सुवन वीर हनुमंता ।।
बदन कराल काल कुलघालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक ।।

भूत प्रेत पिसाच निसाचर। अगिन वैताल काल मारी मर ।।
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की । राखउ नाथ मरजाद नाम की ।।
जनकसुता हरि दास कहावो । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।
जै जै जै धुनि होत अकासा । सुमिरत होत दुसह दुःख नासा ।।
चरण शरण कर जोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
उठु उठु चलु तोहि राम-दोहाई । पायँ परौं, कर जोरि मनाई ।।
ओम चं चं चं चं चपल चलंता । ओम हनु हनु हनु हनु हनुमन्त ।।
ओम हं हं हाँक देत कपि चंचल । ओम सं सं सहमि पराने खल-दल ।।

अपने जन को तुरत उबारौ । सुमिरत होय आनंद हमारौ ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कोन उबारै ।।
पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करैं प्रान की ।।
यह बजरंग बाण जो जापैं । ताते भूत-प्रेत सब कापैं ।।
धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेसा ।।

दोहा :

प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान ।।

X