4 ग्रहों की युति का फल | Conjunction of Four Planets in Birth Chart

4 ग्रहों की युति का फल | Conjunction of Four Planets in Birth Chart . जन्मकुंडली में स्थित ग्रहो की युति के आधार पर ज्योतिषी जातक के जीवन में होने वाली घटनाओं को बताता है। अधिकांश कुंडली में एक ही भाव में 4 ग्रहो की युति देखने को मिलता है। एक से अधिक ग्रहो की युति का उसी प्रकार देखना चाहिए जैसे एक ही घर में 4 व्यक्ति रहते हो और यदि चारो व्यक्ति एक दूसरे के मित्र है तो मित्रता जैसा व्यवहार करेगा परन्तु इन चारो में से कोई शत्रु ग्रह भी है तो वह अपना प्रभाव अवश्य ही देगा। आइए जानते हैं कि एक ही भाव में चार ग्रहों की युति का प्रभाव जातक के ऊपर किस रूप में पडेगा।

सूर्य-चंद्रमा-मंगल-बुध

उपर्युक्त चारो ग्रह एक दूसरे के मित्रवत हैं अतः ऐसा व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में कुशल और चतुर होगा। जातक के गुस्से वाला, अहंकारी और व्यापारिक गतिविधियों में संलग्न रहने वाला होगा। इनमें अच्‍छे लेखक के गुण होते हैं। ऐसा व्यक्ति भौतिक सुख का भरपूर उपभोग करना चाहता है। माता के लिए कठोर शब्द बोलने वाला होगा। जातक हमेशा अपने स्वास्थ्य को लेकर परेशान रह सकता है।

सूर्य-चंद्रमा-मंगल-बृहस्पति

ऐसा जातक उपदेश देने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। ऐसा व्यक्ति अपने ज्ञान का का व्याख्यान स्वयं ही करता है। इनके पास धन की कमी नही होती है। आप अपने कार्य में विवेक का परिचय देने में समर्थ होते हैं। जातक भाई धनवान होगा। माता को कष्ट में हो सकती है। जातक मधुमेह, ब्लड प्रेशर इत्यादि की बिमारी से पीड़ित हो सकता है।

सूर्य-चंद्रमा-मंगल-शुक्र

जिस जातक की जन्मकुंडली में यह योग है वह धनधान्य से युक्त होता है। जीवन में सफलता प्राप्त करता है। जातक अपने कार्यक्षेत्र में निपुण और प्रसिद्ध होता हैं। इन्हे अचानक धन की प्राप्ति होती है। ऐसा व्यक्ति सुंदरता को ज्यादा महत्त्व देता है। स्त्री से कष्ट होता है।

सूर्य-चंद्रमा-मंगल-शनि

जिस जातक की जन्मकुंडली में यह योग है वैसा व्यक्ति को कार्य के लिए यात्रा करना पड़ता है। इनके कार्य में धोखा मिलता है। माता भी अस्वस्थ रह सकती है। जातक को संतान का कष्ट झेलना पर सकता है। स्वयं के स्वास्थ्य को लेकर परेशान रह सकता है। इनका जीवन संघर्ष से गुजरता है।

सूर्य-चंद्रमा-बुध-बृहस्‍पति

ऐसा जातक मान -सम्मान और यश को प्राप्त करता है। ये शिक्षा को लेकर हमेशा चिंतित होते है। ये प्रायः धनी और सुखी जीवन व्यतीत करते हैं। जातक विद्वान और प्रवचन करने वाला होता है। इनका संतान शिक्षित होता है। पिता को बहन होगा परन्तु यदि अशुभ ग्रह की दृष्टि हो तो बहन का सुख नहीं भी हो सकता है। जातक गृहस्थ आश्रम में सन्यासी जैसा जीवन व्यतीत कर सकता है।

सूर्य-चंद्रमा-बुध-शुक्र

ये जातक समाजसेवक और स्त्री सुख भोगने वाला होता है। स्त्रियों के प्रति इनका आकर्षण विशेष रूप से होता है। इनका विवाहेत्तर सम्बन्ध भी हो सकता है अर्थात दो स्त्री का सुख भोगने वाला होता है। ये धार्मिक और दानी भी होते है। व्यापार करने के इच्छुक होते हैं।

सूर्य-चंद्रमा-बुध-शनि

ऐसा जातक जिद्दी होता है। हमेशा अपने मन की बात को चलाने की कोशिश करता है। जातक कई बार स्वयं की गलती से बहुत बड़ा नुकसान उठाता है। यदि इन चारो ग्रह के साथ राहु केतु का भी एक्सिस हो तो इंसान पागल जैसा भी व्यवहार करने लगता है। आप बुरे बुरे कामों में भी लिप्‍त रहते हैं। इनकी बुद्धि में हमेशा नकारात्मक सोच बनी रहती है जिसके कारण मानसिक कष्ट होता है।

सूर्य-चंद्रमा-शुक्र-शनि

जिस जातक की कुंडली में उपर्युक्त योग है वैसा जातक सौंदर्य के पीछे भागता है। ऐसे व्यक्ति को अपने पिता से धन मिलता है। इन्हे संतान प्राप्ति में कष्ट होता है। यदि महिला की कुंडली हो तो जातिका के पास धन ऐश्वर्य एवं अपने नाम का भवन होता है। ऐसा जातक नकारात्मक सोच के भी होते है। कई बार इन्हे अपने परिवार वालो से झगड़ा भी होता है इसका मुख कारण होगा अनैतिक कार्य करना।

सूर्य-चंद्रमा-गुरु -शनि

ऐसा व्यक्ति व्‍यापार में सफलता प्राप्त करता है। परिवार में इनका मान सम्मान मिलता है। इनकी रूचि आध्यात्मिक विषयो में होती है। आप अपने कार्य को नियमित समय पर तथ तन मन और धन के साथ करते है। कर्म में आस्था तथा विश्वास होता है। ऐसे जातक को शिक्षण कार्य करते हुए देखा गया है।

7 Comments

  1. मेष लग्न में सूर्य,शुक्र,गुरु,केतु का प्रभाव

  2. मेष लग्न है और लग्न में सूर्य,शुक्र,गुरु,केतु बैठे हैं इनका प्रभाव क्या होगा।

  3. सिंह लग्न और मकर राशि की कुंडली में बारहवें भाव में सूर्य ,शनि, केतू, मंगल की युति का क्या फल है अथवा इस युति का जातक के जीवन में क्या महत्व है या क्या प्रभाव पड़ेगा ?

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