गुरु गोचर का दूसरे भाव में फल | Jupiter transit effects in second house

दूसरे भाव में गुरु गोचर का फल | Transit of Jupiter in the second house गुरु /बृहस्पति गोचरवश एक भाव में करीब 13 महीना तक भ्रमण करता है। जन्मकुंडली में जन्म लग्न तथा राशि के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के लिए भाव अलग अलग हो जाता है। परिणामस्वरूप सभी जातक के फल में भी अंतर हो जाता है। जैसे –

यदि आप सिंह लग्न के जातक है तो इस समय वृहस्पति गोचर में आपके प्रथम भाव में है। यदि आप धनु लग्न के जातक है तो इस समय वृहस्पति गोचर में आपके कुंडली के नवम भाव में है। अतः आपको इसी प्रकार भावो का विचार कर गुरु गोचर का फल देखना चाहिए।

गुरु गोचर
गुरु के गोचर का प्रभाव विभिन्न भाव में अलग-अलग रूप में पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु / बृहस्पति को सबसे शुभ ग्रह माना गया है। गुरु की दृष्टि को अमृत तुल्य कहा गया है। देवगुरू बृहस्पति ज्ञान, संतान एवं धन के भी कारक हैं।

आइये जानते है कि बृहस्पति/ गुरु का जन्म लग्न से गोचर का जीवन के विभिन्न क्षेत्रों यथा ज्ञान, संतान, धन, भाई-बंधू, माता-पिता, परिवार, शिक्षा, व्यवसाय, वैवाहिक जीवन इत्यादि पर कितना प्रभाव पड़ेगा।

जाने !  गुरु/बृहस्पति गोचर में किस भाव में है।

लग्न वा राशि  22 अप्रैल  2023 से 31  अप्रैल 2024 तक मेष राशि में  01    मई 2024 से 13 मई 2025 तक वृष राशि में  14  मई 2025 से 2 जून  2026 तक  मिथुन राशि में  03 जून 2026 से 25 जून 2027 तक कर्क राशि 
मेष प्रथम भाव द्वितीय भाव तृतीय  भाव चतुर्थ भाव
वृष द्वादश भाव प्रथम भाव द्वितीय भाव तृतीय  भाव
मिथुन एकादश भाव द्वादश भाव प्रथम भाव द्वितीय भाव
कर्क दशम भाव एकादश भाव द्वादश भाव प्रथम भाव
सिंह नवम भाव दशम भाव एकादश भाव द्वादश भाव
कन्या अष्टम भाव नवम भाव दशम भाव एकादश भाव
तुला सप्तम भाव अष्टम भाव नवम भाव दशम भाव
वृश्चिक छठा भाव सप्तम भाव अष्टम भाव नवम भाव
 धनु पंचम  भा छठा भाव सप्तम भाव अष्टम भाव
मकर चतुर्थ भाव पंचम  भाव छठा भाव सप्तम भाव
कुम्भ तृतीय  भाव चतुर्थ भाव पंचम  भाव छठा भाव
मीन द्वितीय भाव तृतीय भाव चतुर्थ भाव पंचम  भाव

दूसरे भाव में गुरु गोचर फल |Jupiter Transit in 2nd House

द्वितीय भाव को धन भाव भी कहा जाता है। गुरु धन कारक ग्रह है। “कारकोभाव नाशाय” के सिद्धांतानुसार लग्न कुंडली दूसरे भाव में धन की हानि करता है। परन्तु गोचरवश गुरू के दूसरे भाव में होने पर धन की हानि नहीं होती बल्कि धन लाभ होता है। हाँ आमदनी के साथ साथ व्यय भी बढ़ेगा। गुरु इस स्थान से दशम स्थान को देख रहा है। अतः आपके रुके हुए कार्य भी शीघ्र ही पूरा होगा।

गुरु गोचर

कार्य को बढ़ाने के लिए हो सकता है की आपको ऋण ( Loan ) भी लेना पड़े। यदि आप नौकरी की तलाश में है तो अवश्य ही आपको नौकरी मिलेगी। इस समय धन तो आयेगा परन्तु खर्च भी बढ़ जाएगा। ज्यादा व्यय के कारण मानसिक परेशानी भी आ सकती है। व्यक्तिगत रूप से आपके व्यक्तित्व में निखार आएगा।

आपसे लोग प्रभावित होंगे। आपके विचारों को सुनेंगे ध्यान देंगे। समाज में मान प्रतिष्ठा की वृद्धि होगी। बृहस्पति के इस भाव में गोचर करने पर संतान सुख प्राप्त होता है। पारिवारिक मामलों में अनुकूलता रहेगी। ज़मीन या मकान से सम्बंधित इच्छा की पूर्ति होगी।

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