केतु ग्रह का विभिन्न भाव में फल | Ketu Effects on Different Houses
केतु ग्रह का विभिन्न भाव में फल | Ketu Effects on Different Houses ज्योतिष शास्त्र में केतु अशुभ तथा छाया ग्रह के रूप में जाना जाता है कहा जाता है की जब केतु की महादशा या अन्तर्दशा आती है तो व्यक्ति को कोई न कोई परेशानी अवश्य आती है। ज्योतिष में इस राहु केतु को छाया ग्रह माना जाता है तथा इसी ग्रह के कारण सूर्य तथा चंद्र ग्रहण होता है। राहु केतु ग्रह के सम्बन्ध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है —
कहा जाता है की जब देवो और दानवों को अमृत देने के लिए भगवान् विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और अमृत पिलाने लगे तब इस पंक्ति में राहु केतु भी छुप गए चूकि इन्हे अमृत से वंचित किया जा रहा था इन्होने समय का लाभ उठाते हुए स्वयं ही अमृतपान करना प्रारम्भ कर दिया। सूर्य और चंद्र ने यह सब देखा लिए और तुरंत ही विष्णु भगवान् को बता दिया विष्णु जी क्रुद्ध होकर इन पर उसी कड़छी से प्रहार किया जिससे अमृत परोसा जा रहा था इस प्रहार से एक का शिर उड़ गया और दूसरे का धड़ उड़ गया। चुकी इन दोनों ने धोड़ा अमृत का स्वादन कर लिया था अतः इनकी मृत्यु न हो सकी तदनन्तर तपस्या करने से इन्हे भी ग्रहो में सम्मिलित कर लिया गया।
केतु ग्रह का ज्योतिष में प्रभाव
स्थान – वन
दिशा – नैऋत्य कोण
रत्न – नीलमणी
दृष्टि – नीचे देखते है। सप्तम के साथ साथ नवम दृष्टि भी मानी जाती है।
जाति – चांडाल
रंग – चितकबरा
दिन – मंगलवार
काल – तीन महीना
गुण- तामस
वस्त्र – रंगबिरंगा
पात्र – मिटटी का
प्रथम भाव मे केतु का फल | Ketu Effects on First House
जन्मकुंडली के प्रथम भाव में केतु हो तो मनुष्य स्वयं के गलत निर्णय से पैदा की गई समस्याओं से लड़ने वाला, लोभी, कंजूस होता है। ऐसा जातक रोगी, चिन्ताग्रस्त, कमजोर, भयानक पशुओं से परेशान रहने वाला होता है। लग्न में केतु हो तो जातक चंचल, भीरू, दुराचारी तथा वृश्चिक राशि में हो तो सुखकारक, धनी एवं परिश्रमी होता है।
जीवन साथी की चिन्ता तथा पारिवारिक सुख का अभाव हमेशा बना रहता है। ऐसे जातक को किसी उच्चे स्थान से गिरकर चोट लगने का भय रहता है।
दूसरे भाव केतु का फल | Ketu Effects on Second House
कुंडली के दूसरे भाव में केतु के होने पर व्यक्ति सत्य को छुपाने वाला तथा अपनी वाणी के बल पर दुसरो को पराजित करने वाला होता है। ऐसा जातक गला तथा नेत्र के कष्ट से पीड़ित होता है। ऐसे व्यक्ति को पारिवारिक सुख में कमी होती है। यदि जातक नौकरी करता है तो सरकारी दंड का भय रहता है।
यदि केतु शुभ राशि में हो या उच्च रहस्य का होकर किसी शुभ ग्रह से युति में हो तो वह सुख-सुविधा
से युक्त जीवन व्यतीत करता है। वह आज्ञाकारी, धनवान तथा धार्मिक होता है।
तृतीय भाव में केतु का फल | Effects of Ketu on Third House
जन्मकुंडली के तृतीय भाव में केतु मनुष्य को बुद्धिमान, धनी तथा विरोधियों का सर्वनाश करने वाला बनाता है। वह शास्त्रों का ज्ञाता, विवाद में रूचि रखने वाला, परोपकारी तथा बलशाली होता है। वह अपने सगे सम्बन्धियों स्नेह रखने वाला होता है। वह तीर्थ यात्राओं का शौकीन होता है। यदि केतु अशुभ ग्रह के प्रभाव में है तो जातक हृदय रोगी, कर्ण रोग से युक्त तथा दुखी रहता है।
चतुर्थ भाव में केतु का फल | Effects of Ketu on Fourth House
जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में केतु माता से मिलने वाला सुख में कमी करता है हालांकि जातक अपने माता से भावनात्मक रूप से ज्यादा जुड़ा होता है। ऐसे लोग दोस्तों द्वारा अपमानित भी होता है।
केतु यदि शुभ ग्रह के प्रभाव में है तो जातक ईमानदार, मृदुभाषी, धनी, प्रसन्न, दीर्घायु, माता – पिता से सुख तथा उत्तम वाहन का मालिक होता है। यदि अशुभ ग्रह के प्रभाव में है तो दुखी जीवन व्यतीत करने वाला होता है।
पंचम भाव में केतु का फल | Effects of Ketu on Fifth House
पंचम भाव में केतु होने से व्यक्ति रोगी, निर्धन, निष्पक्ष, उदासीन तथा विभिन्न प्रकार के कष्टों को भोगने वाला होता है। वह पेट के रोगों से परेशान रहता है। ऐसा जातक भगवान् में विशवास रखने वाला तथा संतान सुख से युक्त होता है परन्तु अल्प संतान वाला होता है।
शुभ ग्रह से युक्त या दृष्ट अथवा उच्च का केतु होने पर संन्यासी, प्राचीन शास्त्रों और तीर्थाटन में रूचि वाला तथा किसी संस्था का उच्चाधिकारी होता है। वह ज्ञानवान, भ्रमणशील, नौकरी से धन अर्जन करने वाल होता है। वह अपने जीवन में दो कार्य जरूर करता है।
षष्ठम भाव में केतु का फल | Effects of Ketu on Sixth House
षष्ठम् भाव में केतु जातक रोग मुक्त जीवन व्यतीत करता है वह पशु प्रेमी होता है। ऐसा जातक विद्वानों के संग जीवन व्यतीत करना ज्यादा पसंद करता है। वह दयावान, संबंध स्नेही, ज्ञानी तथा लोक प्रसिद्धि पाने वाला होता है। वह शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। इनके पास गुस्सा तो होता है परन्तु घर के अंदर ज्यादा तथा घर के बाहर कम ही दिखता है
सप्तम भाव में केतु का फल | Effects of Ketu on Seventh House
यदि जन्मकुंडली के सप्तम् भाव में केतु स्थित है तो जातक को अकारण किसी सुंदरी के पीछे भ्रमण करने वाला होता है। इस भाव में केतु स्त्री सुख में कमी करता है। मनुष्य शीलहीन बहुत सोनेवाला, हमेशा प्रवासी, यात्रा की चिंता से युक्त होता है। जीवन में उसे अपमान का सामना करना पड़ता है। वह व्यभिचारिणी स्त्रियों से रति क्रिया करता है। इन्हे वीर्य तथा अतड़ियो का रोग होता है।
अष्टम भाव में केतु का फल | Effects of Ketu on Eighth House
कुंडली के आठवे भाव में केतु जातक को चरित्रहीन, व्यभिचारी, दूसरों की संपत्ति पर दृष्टि रखने वाला तथा लोभी प्रकृति का बनाता है। वह वाहन चलाने से भय रखने वाला होता है। वह आखों के रोग से पीड़ित होता है।
जन्मलग्न से अष्टम केतु हो तो उसे बवासीर, भगन्दर, दन्त, मुख आदि रोगों से पीड़ित होता है। . यदि केतु मेष वृश्चिक कन्या या मिथुन राशि में होकर अष्टम भाव में हो तो धन का लाभ होता है। ऐसा जातक दूसरे के धन तथा दूसरे की स्त्री में आसक्त रहता है।
नवम भाव में केतु का फल | Effects of Ketu on Ninth House
जन्मकुंडली में नवम् भाव में केतु हो तो मनुष्य उसे पुत्र और धन का लाभ होता है। जातक सदा म्लेक्षो से लाभ कमाता है। म्लेक्षो के प्रभाव से सब कष्टों का नाश होता है। सहोदर भाइयो से कष्ट और भुजाओ में रोग होता है। ऐसा जातक पराक्रमी सदा शस्त्रधारण करनेवाला होता है।
दशम भाव में केतु का फल | Effects of Ketu on Tenth House
जिस जातक की कुंडली में दशम भाव में केतु हो वह पिता के सुख से रहित स्वयं भाग्यहीन होते हुए भी शत्रुओ को नाश करनेवाला होता है। दशम् भाव में केतु जातक को बुद्धिमान, दार्शनिक, साहसी तथा दूसरों से प्रेम रखने वाला बनाता है। वह अपने विरोधियों अथवा शत्रु को कष्ट पहुंचाने वाला होता है।
एकादश भाव में केतु का फल | Effects of Ketu on Eleventh House
किसी भी जन्मकुंडली में यदि केतु एकादश भाव में है तब व्यक्ति विजयी, कठिन से कठिन समस्याओं का भी बड़े ही आसानी से समाधान ढूंढने वाला होता है। इसका स्वभाव मधुर, दयालु तथा नम्र होता है। ऐसा व्यक्ति वाणी का धनी होता है तथा भाषण देने में सिद्धस्थ होता है। इसे बवासीर भगन्दर का रोग होता है। ऐसा मनुष्य भाग्यवान, विद्वान, रूप में सूंदर, उत्तम शरीरवाला और तेजस्वी होता है
बारहवें भाव में केतु का फल | Effects of Ketu on Twelfth House
यदि बारहवे भाव में केतु ग्रह है तो वैसा जातक विदेश यात्रा ( Foreign Travel ) करता है। वैसा जातक पापाचरण में लिप्त होता है। वह अच्छे कार्यो में राजा की तरह खर्च करता है। उसे मामा का सुख नही मिलता है। उसे नाभि के नीचे के स्थान में गुप्तांग में, पावो तथा आखो में कोई बिमारी होती है। ऐसा व्यक्ति युद्ध में शत्रुओ को पराजित करता है। जातक मोक्ष का मार्ग ढूंढने में बेचैन रहता है।