नवरात्री में कैसे करें माता की पूजा
आइये जानते हैं नवरात्री में कैसे करें माता की पूजा। माता की पूजा शुद्ध मन से पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए। नवरात्रि में माता दुर्गा की आराधना का महत्व बढ़ जाता है। नवरात्र के नौ दिन विशेष फलदायी होते है। नौ दिनों में किये गए माता के आराधना का फल भक्त को बहुत जल्द मिलता है। पौराणिक मान्यतानुसार नवरात्री के नौ दिन माता स्वयं इस भूलोक पर आकर निवास करती है और यही कारण है की नौ दिन विधिवत पूजा करने से माता अपनी भक्तो की मुराद शीघ्र ही पूरा कर देती है।
नवरात्री पूजा में क्या है जरुरी ?
नवरात्री में माता की पूजा के लिए सुबह-सुबह अथवा निर्धारित समय से पूर्व नित्य क्रिया और स्नान करके नव वस्त्र या धुले हुए वस्त्र पहनकर अपने घर में स्थापित मंदिर के पास अथवा घर के अंदर जो पवित्र स्थान हो वहां पर मिट्टी से वेदी बना लेना चाहिए उसमें जौ, गेहूं बोएं और उस पर कलश स्थापित करें। नवरात्री में कलश स्थापना का बहुत महत्त्व है। कलश के ऊपर माता की मूर्ति स्थापित करें। कलश के पीछे स्वास्तिक और त्रिशूल बनाएं। इसके बाद माता देवी का ध्यान करें तत्पश्चात स्त्रोत का जप तथा कवच पाठ करना चाहिए।
किसी भी देवी या देवता की प्रसन्नता हेतु पंचांग-साधन बहुत जरुरी है। अतः नवरात्री पूजा में भी पंचांग साधन जरुरी है। पंचांग साधन में आता है — पटल, पद्धति, कवच, सहस्त्रनाम तथा स्रोत। पटल का अर्थ है शरीर, पद्धति का मतलब शिर, कवच नेत्र को कहा जाता है, सहस्त्रनाम को मुख तथा स्रोत का अर्थ जिह्वा होता है। इनकी साधना से साधक में देवत्व शक्ति का संचार हो जाता है। शास्त्रों में गुण और कर्म के आधार पर देवी के सहस्त्रनाम बताया गया है तथा उसके जप तथा हवन करने से तथैव शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके हवन करते समय नाम के बाद नमः लगाकर स्वाहा लगाया जाता है यथा –
सर्व मंगल मांगले शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्रियुम्बिके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
या देवी सर्वभूतेषु विष्णु रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
या देवी सर्वभूतेषु सरस्वती रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
उपर्युक्त मन्त्र दुर्गा सप्तसती पुस्तक में उपलब्ध है पुस्तक की सहायता से ही मंत्रो का पाठ करना चाहिए। इसी प्रकार शुद्ध उच्चारण के साथ इन्ही मंत्रो के द्वारा सर्व कल्याण तथा उत्तम कामना की पूर्ति के लिए जो जप और हवन किया जाता उसका फल अत्यंत ही प्रभावशाली होता है। उपर्युक्त नामावली के एक-एक नाम का शुद्ध उच्चारण करके देवी की प्रतिमा पर, उनके चित्र पर, उनके यंत्र पर करके प्रत्येक नाम के उच्चारण के पश्चात नमः बोलकर ही देवी की प्रिय वस्तु चढ़ाना चाहिए। जिस वस्तु से पूजा करना हो वह शुद्ध, पवित्र तथा दोष रहित होना चाहिए।
पूजन सामग्री फोटो
नवरात्री पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री
नवरात्री पूजा में हल्दी, केसर या कुंकुम से रंगा हुआ चावल, बेल का पत्ता, इलायची, लौंग, काजू, बादाम, फूल, किसमिस, सिक्का मखाना वा पंचमेवा आदि का प्रयोग करना चाहिए क्योकि यह देवी को अत्यंत प्रिय है। पूजा की सामग्री प्रत्येक नाम के बाद, प्रत्येक व्यक्ति को चढ़ाना चाहिए। पूजा से पहले फूल, दीप, मिठाई आदि लाकर रख लेना चाहिए। दीप बड़ा होना चाहिए सम्पूर्ण पूजा तक प्रज्वलित रहे। पूजा करने वाले स्नानादि आदि से शुद्ध होकर नए अथवा धुले कपड़े पहनकर पहले मौन रहकर प्रार्थना करना चाहिए। पूजा करने के लिए जब आसान पर बैठ जाने के बाद तब तक त्याग न करे जबतक पूजा पूरा न हो जाए। पूजा के समय उपयोग में आने वाली सामग्री पूजा के बाद ब्राह्मण को अथवा मंदिर में देना चाहिए।
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