Vastu for Coaching Centers | वास्तु सम्मत कोचिंग संस्थान

Vastu for Coaching Centers | वास्तु सम्मत कोचिंग संस्थान Vastu for Coaching Centers | वास्तु सम्मत कोचिंग संस्थान सजीव और निर्जीव सभी पदार्थों का निर्माण पञ्च तत्त्वों के मिश्रण से होता है तथा पञ्च तत्त्वों का उचित सामंजस्य नहीं होने पर मकान या उसमे रहने वाले सदस्य दोनों में जिस तत्त्व की कमी होती है उससे सम्बन्धित कारक विषयो का नुकसान होने लगता है अतः आवासीय या व्यावसायिक किसी भी प्रकार के भवन निर्माण के समय यदि हम वास्तु के नियमो का ध्यान रखते है तो अवश्य ही निर्धारित उद्देश्य में सफलता की प्राप्ति होगी ऐसा हमारा विशवास है। अक्सर लोग भवन निर्माण के बाद जब उस भवन में प्रवेश करते है तथा उसमे कुछ दिन रहते है या अपना व्यवसायिक गतिविधिया चलाते है तथा उन्ही दिनों में जब उन्हें अशुभ फल का एहसास होता है तब किसी वास्तुशास्त्री के पास जाकर सम्पर्क करते है और उसका वास्तु दोष का निराकरण कराते है। वास्तव हमें भवन निर्माण से पूर्व ही किसी भी वास्तु के जानकार से सम्पर्क कर वास्तु सिद्धांत के अनुरूप भवन का निर्माण कराना चाहिए। अतः यह स्पष्ट है की किसी भी प्रकार के भवन निर्माण में हमें वास्तु शास्त्र के नियम का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए ऐसा करने से अवश्य ही आपके उद्देश्य की पूर्ति होगी।

वर्तमान समय में “कोचिंग सेन्टर” का प्रचलन तथा महत्त्व बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इस स्थान में छात्र उचित मार्गदर्शन में अच्छी शिक्षा पाकर अपने पढाई में सफलता प्राप्त कर रहे है। विद्यार्थियों को हमेशा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये अच्छे कोचिंग सेन्टर की तलाश करते रहते है ताकि सफलता में कोई संदेह न हो। मार्केट में हजारो कोचिंग सेंटर है परन्तु क्या सभी छात्रों की कसौटी पर खरा उतरते है कदापि नहीं इसका एक कारण वास्तु सम्मत भवन का न होना भी हो सकता है। जो कोचिंग सेंटर अपने छात्रों के लक्ष्य की प्राप्ति में सच्चा मार्गदर्शक साबित हो रहा है उसका भवन निश्चय ही वास्तु के अनुरूप होगा।

Vastu for Coaching Centers | वास्तु सम्मत कोचिंग संस्थान
वस्तुतः यदि कोचिंग सेन्टर की आतंरिक व्यवस्था वास्तु अनुरूप की जाये, तो निश्चित ही वहाँ अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को उनकी योग्यता के अनुसार सफलता मिलेगी तथा कोचिंग सेन्टर संचालकों को मान-सम्मान,यश तथा धन लाभ की प्राप्त होगी।

आइये जानते है वास्तु के अनुरूप आपके कोचिंग सेंटर की व्यवस्था किस प्रकार का होना चाहिए।

Vastu for Coaching Centers | वास्तु सम्मत कोचिंग संस्थान

Vastu for Coaching Centers | वास्तु सम्मत कोचिंग संस्थान के नियम

  1. कोचिंग सेंटर का मुख्य द्वार आकर्षक और भवन के आकार प्रकार के अनुरूप होना चाहिए। 
  2. सेन्टर का प्रवेश द्वार पूर्व, ईशान तथा उत्तर दिशा में होने से कोचिंग सेंटर का मान सम्मान बढ़ता है तथा ज्यादा से ज्यादा संख्या में छात्र सफल होते है। पूर्व आग्नेय, दक्षिण,  पश्चिम, नैऋत्य या उत्तर वायव्य में मुख्य द्वार का होना अच्छा नहीं होता है।
  3. मुख्य दरवाजा हमेशा दो पल्ले का, अंदर की ओर खुलने वाला होना चाहिए।
  4. कोचिंग सेन्टर बेसमेन्ट या संकीर्ण गली में नहीं होना चाहिये।
  5. कोचिंग सेन्टर का साइनबोर्ड खूबसूरत आकर्षक तथा स्पष्ट होना चाहिए।
  6. यदि मुख्य दरवाजा पूर्व की ओर हो तो कोचिंग भवन में प्रवेश करते समय बायीं ओर स्वागत कक्ष होना चाहिए।
  7. सेन्टर का कार्यालय भवन के पूर्व में हो होना चाहिए।
  8. कोचिंग सेन्टर के सभी कमरे समकोण हो तथा क्लास रूम की लंबाई और चैड़ाई 1: 2 के प्रमाण के अनुरूप होना चाहिए।
  9. सेन्टर के कमरों का फर्श उत्तर, पूर्व या ईशान कोण में नीचा होना चाहिए तथा दक्षिण, पश्चिम एवं नैऋत्य कोण में फर्श ऊंचा होना चाहिए।
  10. खाने के लिए कैंटीन की व्यवस्था उत्तर पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
  11. कोचिंग सेंटर में सेंटर प्रबंधक वा प्राचार्य के बैठने का स्थान दक्षिण पश्चिम दिशा में रखनी चाहिए। बैठने के लिए कुर्सी तथा टेबल की व्यवस्था इस तरह से करनी चाहिए कि बैठने के बाद इनका मुख्य उत्तर या पूर्व दिशा में हो।
  12. अध्यापक के बैठने की व्यवस्था उत्तर पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
  13. कॉन्फ्रेंस हॉल की व्यवस्था उत्तर दिशा में करनी चाहिए तथा इस कमरा का प्रवेश द्वार पूर्वाभिमुख हो।
    यदि प्लेग्राउंड की व्यवस्था करनी है तो यह पूर्व तथा उत्तर की दिशा में ही होना चाहिए।
  14. रिसेप्शन तथा कैशियर का कमरा पूर्व तथा उत्तर दिशा में होना चाहिए।
  15. कोचिंग सेन्टर की कोई भी स्टेशनरी भवन के दक्षिण या पश्चिम में ही रखनी चाहिए।
  16. लाइब्रेरी भवन के पश्चिम में होना सबसे अच्छा माना जाता है।
  17. क्लास में ब्लैक बोर्ड की व्यवस्था पश्चिम या दक्षिण की तरफ होना चाहिए।
  18. अध्यापक के खड़े होकर पढ़ाने के लिए डैश फर्श से धोड़ा ऊँचा होना चाहिए।
  19. कोचिंग सेन्टर में जब छात्र काउन्सलिंग के लिये आते है तब उस समय छात्रों के बैठने के लिए कुर्सी (Chair) उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
  20. सेन्टर में कमरों के अंदर बीम की ऐसी व्यवस्था हो की कोई भी छात्र बीम के नीचे न बैठे क्योकि बीम के नीचे बैठने वाले छात्र को मानसिक तनाव होता है तथा उनकी सफलता उनसे कोसो दूर चली जाती है।
  21. अध्ययन कक्ष में सफल एवं प्रसिद्ध व्यक्तियों के आकर्षक फोटो लगाना चाहिए, ताकि छात्र उनसे प्र्रेरणा लेकर अपने लक्ष्य के प्रति सचेत रहे।
  22. कोचिंग सेंटर के किसी भी कमरे की दीवारों एवं पर्दो पर कहीं भी डूबते हुए सूरज, डूबते हुए जहाज, स्थिर पानी की तस्वीरें, पेंटिंग या मूर्तियां न लगाएं, हिंसक पशु-पक्षियों, उदासी भरे या रोते हुए तस्वीर नहीं लगाना चाहिए क्योकि ये तस्वीरें छात्रों के जीवन में निराशा या नकारात्मक शौच पैदा करती हैं जिसके परिणामस्वरूप कार्य क्षमता प्रभावित होती है और उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती है।
  23. सेन्टर में किसी भी प्रकार की ख़राब या बंद कम्प्यूटर, प्रिन्टर, घड़ी, फैक्स, फोटोकाॅपी की मशीन,टेलीफोन इत्यादि नहीं होने चाहिए क्योकि यह वस्तु छात्रों के पढाई में रूकावट उत्पन्न करता है।
  24. कोचिंग सेंटर में घड़ी पूर्व दिशा की दीवाल पर लगाना चाहिए।
  25. कमरों की दीवारों एवं पर्दों का रंग गहरा नही रखना चाहिए ऐसा करने से छात्रों में उग्रता बढती इसलिए कमरा का रंग हल्का नीला, हरा, क्रीम या नारंगी होना चाहिए। रंग का प्रभाव छात्र के मन तथा बुद्धि के ऊपर बहुत प्रभाव पड़ता है। हल्का रंग मानसिक तथा बौद्धिक शांति तथा एकाग्रता प्रदान करता है।
  26. कोचिंग संस्थान में शौचालय दक्षिण या वायव्य कोण में बनाना चाहिये कभी भी ईशान कोण में नहीं यदि ईशान कोण में टॉयलेट बनाते है छात्रों में गुस्सा तथा नकारात्मक विचार बढ़ेगा जिससे कोचिंग मालिक का नुकसान हो सकता है।
  27. इलेक्ट्रिक सप्लाई के लिए बिजली का मीटर आग्नेय ( पूर्व-दक्षिण) दिशा में लगाना चाहिए।
  28. छात्रों के लिए शीतल जल की व्यवस्था पूर्व, उत्तर या ईशान कोण में करनी चाहिए।

 

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