Sury Upasana – सूर्य को अर्घ्य क्यों और कैसे देना चाहिए
Sury Upasana – सूर्य को अर्घ्य क्यों, कैसे और किस मन्त्र से देना चाहिए। सूर्योपासना आज कोई नया नहीं है बल्कि यह तो वैदिक काल से ही अनवरत चली आ रही है। सूर्य भगवान के उदय के साथ ही अंधकार नष्ट हो जाता है और सम्पूर्ण जगत में सर्वत्र प्रकाश ही प्रकाश फैल जाता है। जगत में व्याप्त अधंकार को दूर करने वाले देवता सूर्य ही है। सूर्योदय होते ही पशु, पक्षी और मनुष्य सभी अपने-अपने कार्य में लग जाते है और पुनः सूर्यास्त के साथ सब अपने अपने घरो में लौट कर आ जाते हैं। सूर्य देव ही हमें प्रत्यक्ष रूप में प्रकृति के शाश्वत और अनवरत चलने वाले नियमो से परिचय कराते है।
प्राचीन काल से ही भारतीय ऋषि-मुनि सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म बेला में या ठीक सूर्योदय के समय नदी में स्नान करते थे और स्नान के उपरान्त सूर्य को जल अर्पित करते थे। सूर्य देव को जल अपने दोनों हाथो से अथवा ताम्बे के जल पात्र से देते थे। सूर्य सभी ग्रहों के राजा हैं। ज्योतिष में जिस प्रकार माता और मन के कारक चन्द्रमा है उसी प्रकार पिता और आत्मा का कारक सूर्य हैं। वेदों और उपनिषदों से लेकर हिन्दू-धर्म से संबंधित सभी धार्मिक ग्रंथों में भगवान सूर्य के महिमा का का वर्णन मिलता है। ऋग्वेद में कहा गया है — सूर्यात्मा जगत स्तस्थुषश्च ऋग्वेद 1/११५।
सूर्योपासना(Sury Upasana) से क्या लाभ मिलता है।
सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। छठ ब्रत में उगते हुए सूर्य को तथा अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यदि आपके जन्मकुंडली में सूर्य ग्रह नीच के राशि तुला में है तो अशुभ फल से बचने के लिए प्रतिदिन सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। वही यदि सूर्य किसी अशुभ भाव का स्वामी होकर सुबह स्थान में बैठा है तो सूर्योपासना करनी चाहिए। साथ ही जिनकी कुंडली में सूर्यदेव अशुभ ग्रहो यथा शनि, राहु-केतु, के प्रभाव में है तो वैसे व्यक्ति को अवश्य ही प्रतिदिन नियमपूर्वक सूर्य को जल अर्पण करना चाहिए।
यही नहीं यदि कारोबार में परेशानी हो रही हो या नौकरी में सरकार की ओर से परेशानी हो रही हो तो सूर्य की उपासना का लाभ मिलता है। स्वास्थ्य लाभ के लिए भी सूर्य की उपासना करनी चाहिए। किसी भी प्रकार के चर्म रोग हो तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे शीघ्र ही लाभ होता है। सूर्य देव को जल अर्पण करने से सूर्यदेव की असीम कृपा की प्राप्ति होती है सूर्य भगवान प्रसन्न होकर आपको दीर्घायु , उत्तम स्वास्थ्य, धन, उत्कृष्ट संतान, मित्र, मान-सम्मान, यश, सौभाग्य और विद्या प्रदान करते हैं।
Sury Upasana – सूर्य अर्घ्य देने की विधि
- सूर्योदय के प्रथम किरण में अर्घ्य देना सबसे उत्तम माना गया है।
- सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व नित्य-क्रिया से निवृत्त्य होकर स्नान करें।
- उसके बाद उगते हुए सूर्य के सामने आसन लगाए।
- पुनः आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें।
- रक्तचंदन आदि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि तांबे के पात्र में रखे जल या हाथ की अंजुलि से तीन बार जल में ही मंत्र पढ़ते हुए जल अर्पण करना चाहिए।
- जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्योदय दिखाई दे आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़कर इस तरह जल अर्पण करे की सूर्य तथा सूर्य की किरण जल की धार से दिखाई दें।
- ध्यान रखें जल अर्पण करते समय जो जल सूर्यदेव को अर्पण कर रहें है वह जल पैरों को स्पर्श न करे।
- सम्भव हो तो आप एक पात्र रख लीजिये ताकि जो जल आप अर्पण कर रहे है उसका स्पर्श आपके पैर से न हो पात्र में जमा जल को पुनः किसी पौधे में डाल दे।
- यदि सूर्य भगवान दिखाई नहीं दे रहे है तो कोई बात नहीं आप प्रतीक रूप में पूर्वाभिमुख होकर किसी ऐसे स्थान पर ही जल दे जो स्थान शुद्ध और पवित्र हो।
- जो रास्ता आने जाने का हो भूलकर भी वैसे स्थान पर अर्घ्य (जल अर्पण) नहीं करना चाहिए।
पुनः उसके बाद दोनों हाथो से जल और भूमि को स्पर्श करे और ललाट, आँख कान तथा गला छुकर भगवान सूर्य देव को एकबार प्रणाम करें।
सूर्योपासना(Sury Upasana) के समय किस मन्त्र का जप करना चाहिए
अर्घ्य देते समय सूर्य देव के मन्त्र का अवश्य ही जप करना चाहिए। आप जल अर्पण करते समय स्वयं ही या अपने गुरु के आदेशानुसार मन्त्र का चयन कर सकते है। सूर्यदेव के लिए निम्न मन्त्र है —
सामान्यतः जल अर्पण के समय निम्न मंत्रो का जप करना चाहिए।
- ‘ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा :।।
- ऊँ सूर्याय नमः।
- ऊँ घृणि सूर्याय नमः।
- ‘ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात।
इसके बाद सीधे हाथ की अँजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कना चाहिए। पुनः अपने स्थान पर ही तीन बार घुमकर परिक्रमा करना चाहिए ततपश्चात आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।
सूर्य देव के अन्य मन्त्र निम्न प्रकार से है।
सूर्य मंत्र – ऊँ सूर्याय नमः ।
तंत्रोक्त मंत्र – ऊँ ह्यं हृीं हृौं सः सूर्याय नमः । ऊँ जुं सः सूर्याय नमः ।
सूर्य का पौराणिक मंत्र –
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोडरि सर्वपापघ्नं प्रणतोडस्मि दिवाकरम् ।
सूर्य गायत्री मंत्र
ऊँ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्नः सूर्य प्रचोदयात् ।
ऊँ सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रविः प्रचोदयात् ।
अर्थ मंत्र – ऊँ एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो तेजोराशि जगत्पते । करूणाकर में देव गृहाणाध्र्य नमोस्तु ते।सूर्य का वेदोक्त मंत्र-विनियोग –
ऊँ आकृष्णेनेति मंत्रस्य हिरण्यस्तूपऋषि, त्रिष्टुप छनदः
सविता देवता, श्री सूर्य प्रीत्यर्थ जपे विनियोगः ।
मंत्र – ऊँ आ कृष्णेन राजसा वत्र्तमानों निवेशयन्नमृतं मत्र्य च ।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ।
20 Comments
मेरी राशि कुंभ हैं, मे क्या करूँ
मेरी मीन राशी है मुझे क्या करना चाहिये
अपने कार्य के प्रति निष्ठावान बने रहे । खर्च बढ़ने वाला है अतः अपना खर्च सीमित करे।
DOB : 18/03/1997
Place : Bokaro Steel City, Jharkhand
Time : 12:50 PM
Mera career batayiye… I’m doing CA
Respected Sir/ Madam,
Mai roj surya dev ko steel ke lote se jal arpit karta hu to kya mujhe tambe ka lota istemal karana chahiye kya? so kindly direct me.
Regards,
Rahul Hujare
9096418955.
Yes Tambe ka Paatra jaruri hai
Sir mera name akash kumar hai maine bsc kiya hai comptation ki taiyari kr raha hu kni job nhi lg rahi hai koi upay bataye plr sir……
मेरा नाम दीपक कुमार सरार्फ है मेरा जन्म 28अक्टूबर 1 9 -1 0-1 966 को 2 – 45 , शाम का है
मै काफी समय से परेशान हू क्या करू उपाय बताए
मेरा राशि मीन है। सूर्य भगवन को जल अर्पण करते समय जल में 9 चावल के दाने एक लाल फूल छोटा सा गुड़ और लाल धागा ओर सिंदूर गुलाल डाल के भगवन को जल अर्पण करता हूँ । क्या सही है।मंत्र ॐ सूर्याय नमः मंत्र के साथ
Om ghrini suryaay namah mantra is better than Om suryaay namah
Surya ko jala deney sey basal fatna jaisey ghatana honee run jayengi Jo pahadee shetron main akshar hoti rahati hain
Uska Karna yeah hai kee neechey sey JAL kee kamiee ko poor a karney key liyey hee basal achanak phata jata hai
Aur microgravity ka danda bhee basal ko phaad dalta hai to him surya ko JAL dekar neechey wali pani kee named ko poor a kar saktey hain
Aur microgravity ka shetra vistrit karney basal ko ek samaan barshney par tayyaar kar saktey hain Jo janahit main bahut bada naam hoga
ऐसा करने से बादल फटना तो बंद नही होगा परन्तु आपका बचाव जरूर होगा यदि सर्व कल्याण की संकल्पना से सूर्य को अर्घ्य देते है तो निश्चित ही उसका लाभ मिलेगा।
मेरा नाम पंकज है। मेरी जन्म तिथि 11 मई 1973, रात 12 बजे। मेरे समस्या है की बरक़त नही है। अमदनी अठानी, खर्चा रुपया। सैलरी आने से पहले खर्चा आ जाता हे। बचत नहीं है। pls समाधान करे।
Sury ko pratidin jal de sb thik ho jaayega.
Sir mara name Bikash Pathak hai Sir mara #rasi ky hoga bataya plz Sir.. Plz
Hi sir my dob is 22_11_1982.which gemstone should I wear to overcome fear and enemies.
Mera nam santosh kr thakur hai mera janm 14th oct 1971 me hua mera kundli ke hisab se shingh rashi bnta hai mera ish smay sara kam khrab ho rha hai aarthik sharirik dono nuksan ho rha hai please mujhe kuch upay btaye pranam
Nmskar. Us jal kya kya dalna chahiye. Jo jal surye ko arpit krte h.
।मैंने जिन भाइयो एवंग उनके बच्चों को लालन पालन किया वह सब भाई मुझे पुश्तेनी मकान से बहाना करकर निकाल दिया, जमीन जायदाद भी हड़प ली। जी के लिए मैंने अपना किशोरावस्था, जवानी न्योछावर कर दी। वाहलोग आजतक कोई बंटवारा नही कर रहे हैं।क्या बंटवारा होने की उम्मीद हैं। वैसे मैंने उनलोगोंसे रिश्ता नाता बनाया रखा है। मेरी जन्मतारिख 16.02.1946 हैं जन्मसमय 3.45 pm हैं स्थान::: बांकुड़ा-722101 पश्चिम बंगाल।