श्री रामजी के किस मंत्र के जप से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं ?
श्री रामजी के किस मंत्र के जप से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं ? आज लोग भौतिक वा विलासी जीवन में इतने लिप्त हो चुके हैं कि मानवीय गुणों को भूलते जा रहें है। इसी कारण लोगो के अंदर आलस्य, लोभ, मोह, तृष्णा, जुगुप्सा, क्रोध, मानसिक कष्ट इत्यादि बढ़ गया है। इस कष्ट का एकमात्र कारण जिजीविषा का बढ़ना और आत्ममंथन का अभाव। व्यक्ति आज थोड़े कष्ट में भी घबरा कर गलत निर्णय ले लेते है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामजी के जीवन में घटित घटनाओँ से हमें धैर्यपूर्वक निर्णय लेने के लिए सीखना चाहिए।
श्री रामजी के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाएं
श्री रामजी के जीवन में मुसीबतों का एक अंतहीन सिलसिला था। सर्वप्रथम उन्हें अपने जीवन में उस राजपाट को छोड़ना पड़ा, जिस पर उनका एकाधिकार था। तत्पश्चात 14 साल वनवास झेलना पड़ा। वनवास काल में रावण के द्वारा पत्नी का अपहरण कर लिया गया।
पत्नी को छुड़ाने के लिए अनैच्छिक रूप से उन्होंने रावण के साथ युद्ध किया और विजय प्राप्त किया। विजयोपरान्त जब वह ख़ुशी-ख़ुशी पत्नी को लेकर अयोध्या लौटे, तो उन्हें अयोध्यावासियों की आलोचना सुनने को मिली। जुड़वां बच्चों की मां बनने के बावजूद भी आलोचना से आहत होकर सीताजी को वन में छोड़ना पड़ा। जानें ! भगवान् श्री राम जी के 108 नाम
उसके बाद उन्हें जाने-अनजाने में अपने ही बच्चों लव-कुश के विरुद्ध युद्ध करनी पड़ी । अंततः श्री रामजी को सदा के लिए सीता माता का वियोग सहना पड़ा। उनके जीवन में इस प्रकार की अनेक घटनाएं घटित हुई है जिससे हमें सीखना चाहिए।
श्री राम जी के नाम की महिमा
यही कारण है की मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् राम का नाम मात्र लेने से भक्त के सभी कष्ट मिट जाते हैं। राम नाम की महिमा के संदर्भ में कहा गया है —
राम नाम कर अमित प्रभावा |
संत पुराण उपनिषद गावा ||
कहाँ कहौ लगि नाम बडाई |
रामु न सकहिं नाम गुण गाई ||
चहुँ जुग तीनि काल तिहुँ लोक |
भए नाम जपि जीव बिसोका ||
राम नाम का महत्त्व इसलिए है कि उन्होंने सभी मुश्किलों का सामना अत्यंत ही धैर्य और शिष्टता पूर्वक किया । उन्होंने स्वयं को मर्यादित रखा और यदि कहीं आलोचना हुई भी तो उन्होंने बड़े ही तर्कपूर्ण समाधान किया। श्री राम रक्षा स्तोत्र के पढ़ने से धन-धान्य की वृद्धि होती है
श्री रामजी के इस मंत्र के जप से सभी कष्ट दूर हों जाते हैं
पद्म पुराण में शिव जी माता पार्वती को कहते है – भक्त केवल इस मंत्र का भी दिन-रात जप करता है तो वह सभी कष्टों से मुक्त होकर श्री विष्णु का सानिध्य प्राप्त कर लेता है।
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:।।
जो भक्त कमलनयन, श्यामसुन्दर, पीताम्बरधारी भगवान श्रीराम का इन दिव्य नामों से स्मरण करते हैं, वह कभी भी संसार रूपी बन्धन में नहीं पड़ता । वैसे श्री राम, रामभद्र, रामचन्द्र, वेधा, रघुनाथ, नाथ एवं सीतापति को मेरा नमस्कार है।