श्राद्ध कर्म महत्त्व और तिथियां | Shradh Dates 2019

श्राद्ध कर्म महत्त्व और तिथियां | Shradh Date 2019  हिंदू धर्म में नवरात्र और श्राद्ध कर्म का विशेष महत्त्व है। अपने देवताओं, पितरों, परिवार तथा वंश के प्रति श्रद्धा प्रकट करना ही श्राद्ध कर्म है। श्राद्ध कर्म का वर्णन हिंदु धर्म के धार्मिक ग्रंथों में किया गया है। श्राद्ध को पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है।

भारतीय पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक का समय श्राद्ध पक्ष के लिए निर्धारित होता है। वर्ष 2019 में श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ 14 सितंबर, 2019 को (पूर्णिमा) से हो रहा है, जिसकी समाप्ति 28 अक्टूबर ,(अमावस्या) को होगा। श्राद्ध पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान इत्यादि किया जाता है ।

हिन्दू विधान के अनुसार व्यक्ति की मृत्यु हिन्दू पंचांग के अनुसार जिस तिथि को होती है उसी तिथि के दिन उसका श्राद्ध मनाया जाता है। आश्विन कृष्ण पक्ष के पंद्रह (15 ) दिन श्राद्ध के होते हैं। इसी पक्ष में अपने तिथि के अनुसार श्राद्ध मनाना चाहिए। यदि किसी कारणवश आपको तिथि याद नहीं है तब उसके लिए अमावस्या के दिन का चयन करे उसी दिन श्राद्ध करना चाहिए।

पितृपक्ष में श्राद्ध क्यों करना चाहिए ?

ऎसी धारणा है कि आश्विन कृष्ण पक्ष में हमारे पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने हिस्से का भाग निश्चय ही किसी न किसी रुप में ग्रहण करते हैं। कहा जाता है कि सभी पितर इस समय अपने वंशजों के घर में आकर अपने हिस्से का भोजन ग्रहण करते है। यहाँ पितरों से अभिप्राय ऎसे सभी पूर्वजों से है जो अब हमारे साथ नहीं है लेकिन श्राद्ध के समय वह हमारे साथ जुड़ जाते हैं और हम उनकी आत्मा की शांति के लिए अपनी सामर्थ्यानुसार उनका श्राद्ध कर के अपनी श्रद्धा भक्ति को उनके प्रति प्रकट करते हैं ।

श्राद्ध कर्म महत्त्व और तिथियां |Shradh Karm Date 2016-min

वेद पुराण के अनुसार श्राद्ध का महत्त्व

गरुड़ पुराण के अनुसार श्राद्धकर्म से संतुष्ट होकर हमारे पितर हमें आयु, विद्या, यश,बल, पुत्र,स्वर्ग, वैभव,पशु, सुख, धन और धान्य की वृद्धि करते हैं। पितृपक्ष में भोजन के लिए आए ब्राह्णों को दक्षिणा नहीं दिया जाता है जो ब्राह्मण तर्पण या पूजन करवाते हैं केवल उन्हें ही श्राद्ध कर्म के लिए दक्षिणा देना चाहिए।

कुर्म पुराण के अनुसार ‘जो प्राणी जिस किसी भी विधि से एकाग्रचित होकर श्राद्ध करता है, वह समस्त पापों से रहित होकर मुक्त हो जाता है तथा पुनः इस भव चक्र में नहीं आता।’

मार्कण्डेय पुराणानुसार ‘श्राद्ध से खुश होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, धन, विद्या सुख, सन्तति,राज्य, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करते हैं।

इसी तरह से अन्य पुराणों में भी श्राद्ध कर्म के सम्बन्ध में कहा गया है। उपर्युक्त कथन से यह स्पष्ट है कि श्राद्ध कर्म से न केवल हमारे पितर खुश होते है बल्कि हमारे पितृगण खुश होकर हमें भी विशिष्ट फल की प्रदान करते है। अतः हमें चाहिए कि वर्ष भर में पितरों की मृत्यु तिथि को सर्वसुलभ जल, तिल, यव, कुश, फूल आदि से श्राद्ध करना चाहिए और अपने ऊपर के ऋण से उऋण हो जाना चाहिए।

इस वर्ष 2019 का श्राद्ध कर्म  14 सितंबर 2019 से शुरू होकर 28 अक्टूबर 2019 में समाप्त होगा।

श्राद्ध कर्म प्रारम्भ होने की तिथि 2019 | Dates of shradh 2019

दिनाँक दिन श्राद्ध तिथियाँ
14 सितंबर शनिवार पूर्णिमा श्राद्ध
15 सितंबर रविवार प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध
16 सितंबर सोमवार द्वितीया तिथि का श्राद्ध
17 सितंबर मंगलवार तृतीया तिथि का श्राद्ध
18 सितंबर बुधवार चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
19 सितंबर बृहस्पतिवार पंचमी तिथि का श्राद्ध
20 सितंबर शुक्रवार षष्ठी तिथि का श्राद्ध
21 सितंबर शनिवार सप्तमी तिथि का श्राद्ध
22 सितंबर रविवार अष्टमी तिथि का श्राद्ध
23 सितंबर सोमवार नवमी तिथि का श्राद्ध
24 सितंबर मंगलवार दशमी तिथि का श्राद्ध
25 सितंबर बुधवार एकादशी का श्राद्ध/द्वादशी तिथि/संन्यासियों का श्राद्ध
26 सितंबर बृहस्पतिवार त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
27 सितंबर शुक्रवार चतुर्दशी का श्राद्ध – चतुर्दशी तिथि के दिन शस्त्र, विष,  दुर्घटना से मृतों का श्राद्ध होता है चाहे उनकी मृत्यु किसी अन्य तिथि में हुई हो. यदि चतुर्दशी तिथि में सामान्य मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि में करने का विधान है.
28 सितंबर शनिवार अमावस का श्राद्ध, अज्ञात तिथि वालों का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध
29 सितंबर रविवार नाना/नानी का श्राद्ध

श्राद्ध कर्म महत्त्व और तिथियां | Shradh Karm Date 2016

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