Saat Mukhi Rudraksha | सप्तमुखी रुद्राक्ष – Astroyantra
Saat Mukhi Rudraksha | सप्तमुखी रुद्राक्ष – Astroyantra सप्तमुखी रुद्राक्ष अर्थात जिस रुद्राक्ष में सात मुख हो उसे सप्तमुखी रुद्राक्ष कहते है। इस रुद्राक्ष के देवता सात माताए है। सप्तर्षि और सूर्य भी इसके देवता माने जाते है। सप्तमुखी रुद्राक्ष को महासेन ( कार्तिकेय) अनंत और नागराज भी कहा जाता है। यह रुद्राक्ष अत्यंत उपयोगी तथा लाभप्रद होता। इसके धारण करने से से धन-संपत्ति, मान-सम्मान, यश और विजय की प्राप्ति होती है।
पद्मपुराण के अनुसार सप्तमुखी रुद्राक्ष के सात मुख में सात महाबलशाली नाग निवास करते है —
- अनंत
- कर्कट
- पुण्डरीक
- तक्षक
- विषोलबण
- कारोष
- शंखचूड़
कहा जाता है की इसके धारण करने से भगवान् शिव शंकर शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते है तथा धारण कर्ता के ऊपर किसी प्रकार के विष या शत्रुओ का असर नही होता है। किसी भी तरह की विषाक्तता से ग्रस्त व्यक्ति यदि इसे धारण करे तो वह इस कष्ट से मुक्ति अवश्य प्राप्त करता है। यह रुद्राक्ष नौकरी, व्यापार आदि में सहायक होता है।
सात मुखी रुद्राक्ष धारण से लाभ | Benefits of Saat Mukhi Rudraksha
सप्त मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भगवान् प्रसन्न होकर व्यक्ति को समस्त पापो से मुक्त कर देते है। ऐसा जातक चोरी, व्यभिचार और हत्या जैसे घृणित पापों से मुक्त हो जाता है। इसी प्रकार इस रुद्राक्ष के धारण करने से अन्यान्य लाभ प्राप्त होता है जो निम्न प्रकार से है।
- इसके धारण करने से महाशिव प्रसन्न होते है और वैभव एवम आरोग्य प्रदान करते हैं।
- इसके धारण से शनि देव प्रसन्न होकर लोभ और मद के प्रभाव से मुक्त कर देते हैं।
- व्यक्ति को आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है।
- यह रुद्राक्ष शत्रुओ को नष्ट करता है।
- इसे धारण करने से धन की कमी दूर होती है।
- यह काल सर्प दोष के बुरे प्रभावों से बचाव करता है।
- इसके धारण करने से गुप्तधन की प्रप्ति होती है।
- इसके धारण से स्त्रीवशीकरण में लाभ मिलता है।
- सप्तमुखी रुद्राक्ष धारण से शीघ्र ही नौकरी की प्राप्ति होती है।
- इसके धारण करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती है
सात मुखी रुद्राक्ष और स्वास्थ्य में लाभ | Health Benefits of Saat Mukhi Rudraksha
सात मुखी रूद्राक्ष शरीर होने वाले अनेक प्रकार के रोग दुःख को समाप्त करने की क्षमता रखता है। इसके धारण करने से मानसिक चिंताओं, अस्थमा, गठिया दर्द, हड्डी एवं मांसपेशियों में दर्द, लकवा, मिरगी, जैसे रोग के दुष्प्रभाव में कमी होती है।
ज्योतिष और सप्त मुखी रुद्राक्ष | Astrology and Seven Mukhi Rudraksh
सप्त मुखी रुद्राक्ष का सञ्चालन और अधिपति ग्रह शनि ( Saturn ) है। इसके धारण करने से शनि ग्रह के दोषो का निवारण और शनि कृपा का शीघ्र ही लाभ मिलता है। दुर्भाग्य विपत्ति , आपदा , और मृत्यु भय के समय यह रुद्राक्ष रक्षा कवच के रूप में काम करता है। शनि ग्रह को नियंत्रित और शांत करने के लिए सात मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी है। मारक ग्रह की दशा आने पर इसे धारण कर सकते है। यह रक्षा कवच जैसे कार्य करता है और व्यक्ति अकाल मृत्यु आदि के भय से मुक्त हो जाता है।
सात मुखी रुद्राक्ष धारण विधि और मंत्र | Saat Mukhi Rudraksha Vidhi and Mantra
सप्त मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे पहले नित्य क्रिया से निवृत्त होना चाहिए। उसके बाद शुद्ध जल से स्नान कर घर में स्थित मंदिर में विधिपूर्वक विनियोग, ऋष्यादिन्यास, करादिन्यास, हृदयादिन्यास तथा ध्यान करना चाहिए उसके बाद सात मुखी रुद्राक्ष के लिए निर्धारित मन्त्र का जप रुद्राक्ष माला पर करना चाहिए। मन्त्र प्रायः सभी पुराणों में भिन्न-भिन्न दिया गया है यथा —
- पद्म पुराणानुसार :- ॐ हूं नमः।
- शिवमहापुराण :- ॐ हूं नमः।
- मन्त्रमहार्णव :-ॐ हूं नमः।
- बृहज्जाबालोपनिषद – ॐ नमः शिवाय।
इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार (एक माला) अवश्य ही करना चाहिए तथा इसे सोमवार के दिन धारण करना चाहिए।