Raksha Bandhan Muhurt 2022 | रक्षाबंधन राखी मुहूर्त 2022
Raksha Bandhan Muhurt 2022 | रक्षाबंधन राखी मुहूर्त 2022। रक्षा बंधन का त्यौहार 11 अगस्त, 2022 को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 11 अगस्त 2022 को 10:40 बजे से आरंभ होगा। रक्षा बंधन का पवित्र पर्व भद्रा रहित काल में ही मनाना चाहिए ऐसा शास्त्रीय विधान है। कहा गया है– भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी……। अतः हिन्दू शास्त्र के अनुसार यह त्यौहार 11 अगस्त को भद्रा रहित काल में मनाया जाएगा। किन्तु किसी कारणवश भद्रा काल में यह कार्य करना हो तो भद्रा मुख को छोड़कर भद्रा पुच्छ काल में रक्षा बंधन का त्यौहार मानना श्रेष्ठ होगा।
भाई-बहन के प्यार और स्नेह का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कब है यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात है क्योकि शुभ समय में जब बहन भाई को रक्षा सूत्र बंधेगी तो उसका प्रभाव भी अवश्य ही शुभ होगा अतः शुभ समय को बताना जरुरी है ।
Raksha Bandhan Muhurt 2022| राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त 2022
रक्षा सूत्र बांधने का मुहूर्त | 10:40:56 से 17:33:39 तक |
Raksha Bandhan Panchang| रक्षाबंधन के दिन का पञ्चाङ्ग
- तिथि – पूर्णिमा
- नक्षत्र – धनिष्ठा
- करन – विष्टि
- पक्ष – शुक्ल
- योग – शोभना
- दिन – गुरुवार
Raksha Bandhan |रक्षा बंधन त्यौहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है
रक्षाबंधन ( Rakshabandhan ) राखी के नाम से लोक में प्रसिद्ध है। इसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। रक्षासूत्र का शाब्दिक अर्थ है रक्षा करना वा रक्षा करने से बंध जाना अर्थात आपको रक्षा करना ही करना है। रक्षा करने का वचन भाई अपने बहन को देती है।
राखी बांधते समय बहनें निम्न मंत्र का उच्चारण करती है। इससे भाईयों की आयु में वृ्द्धि होती है।
“येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: I
तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल II
सावन पूर्णिमा का महत्त्व । Importance of Shavan purnima
सावन मास शिव जी के लिए अत्यंत प्रिय है श्रावण पूर्णिमा के दिन अपने दुर्गुणो, दुर्विचारों तथा कार्य की सिद्धि हेतु प्रयास प्रारम्भ करना श्रेष्ठकर माना जाता है। अतः आपको अपनी योजना को क्रियान्वयन के लिए अपना प्रयास तेज कर देना चाहिए निश्चित ही सफलता मिलेगी।
यदि आपको कोई शत्रु परेशान कर रहा है और आपको विजय नहीं मिल रही है तो इस दिन वरुण देव की पूजा करने से कामयाबी जरूर मिलेगी। इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर राजा बलि के अहंकार को समाप्त किया था। कठिन कार्य पूरा करने का यह बहुत उपयुक्त समय है।
Importance of Raksha Bandhan | रक्षा बंधन का महत्त्व
हर वर्ष रक्षा बंधन ( Raksha Bandhan ) का त्यौहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। प्राचीन काल से ही रक्षा सूत्र बाँधने की परम्परा रही है। इस में सम्बन्ध में एक पौराणिक कथा है – एकबार जब देवताओं और असुरो में युद्ध हो रहा था तब देवता हारने लगे और हार के भय से इंद्र के पास गए। देवताओं को भयभीत देखकर तुरंत इन्द्राणी ने देवताओं को रक्षा कवच के रूप में उनके हाथ में रक्षासूत्र बांध दी। बाद में देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त किया।
ऋषि मुनि भी अपने राजाओ को रक्षा सूत्र बांधते थे। रानी कर्णावती ने अपनी रक्षा हेतु बादशाह हुमायु (हुमायु) को राखी भेजकर भाई मानी थी ऐसा इतिहास में वर्णन है। वर्तमान समय में भी विशेषतः गाँव में ब्राह्मण अपने यजमान को राखी बांधते है। अतः यह स्पष्ट है कि प्राचीन काल से ही रक्षा बंधन का प्रचलन चला आ रहा है।