Panchmukhi Hnuman worship | पंचमुखी हनुमान उपासना से लाभ

Panchmukhi Hnuman worship | पंचमुखी हनुमान उपासना से लाभ । पंचमुखी हनुमान जी की महिमा अपरम्पार है। पंचमुखी अर्थात जिसके पञ्च मुख हो।  हनुमान जी ने भी  एक समय शत्रुओ को संहार करने के लिए  पांच मुखों को धारण किया था। उसी समय से पंचमुखी हनुमान की पूजा की जाने लगी।

हनुमानजी  का पांच मुख पांचो दिशाओं में हैं। हर रूप एक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंखों और दो भुजाओं वाला है। हनुमान जी के पञ्च मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप में स्थापित है। हनुमान जी के पञ्च मुख क्रमश:पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊर्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित माने गएं हैं।

Panchmukhi Hanuman

पूर्व मुख वाले पंचमुखी हनुमान

पंचमुखी हनुमान जी के पूर्व दिशा का मुख वानर का हैं। जिसकी दिव्यता असंख्य सूर्यो के तेज समान हैं। पूर्व मुख वाले हनुमान का पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश शीघ्र ही हो जाता है।

पश्चिम मुख वाले पंचमुखी हनुमान

पश्चिम दिशा वाला मुख “गरुड” का हैं। जो संकट मोचन के रूप में है। यह मुख भ क्तिप्रद तथा विघ्न-बाधा निवारक भी माने जाते हैं। जिस प्रकार पंछियो में “गरुड़”  पंछी अजर-अमर है उसी तरह  हनुमानजी भी सुप्रतिष्ठित हैं।

उत्तर मुख वाले पंचमुखी हनुमान

हनुमानजी का उत्तर दिशा की ओर का मुख “शूकर” का है। इनकी आराधना करने से आयु,विद्या, यश और बल की प्राप्ति शीघ्र हो होती है।  यही नहीं प्रतिदिन हनुमान जी की इस मुख की अर्चना करने से मान-सम्मान, ऐश्वर्य धन-सम्पत्ति तथा उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

दक्षिण मुख वाले पंचमुखी हनुमान

हनुमानजी का दक्षिणमुखी स्वरूप भगवान “नृसिंह” का है। नृसिंह भगवान् अपने भक्तों को भय, चिंता, परेशानी को शीघ्र ही दूर करते हैं। इनकी पूजा से भक्त धैर्यवान बनते है तथा धैर्यपूर्वक अपने कार्यो की सिद्धि करते है।

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ऊर्ध्व मुख वाले पंचमुखी हनुमान

श्री हनुमान जी का ऊर्ध्व मुख ” घोड़े” के समान हैं। हनुमानजी का यह स्वरुप ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर प्रकट हुआ था। ऐसी मान्यता है कि ह्यग्रीव दैत्य का संहार करने के लिए हनुमान जी इस रूप को धारण किये थे। हनुमान जी का यह रूप कष्ट में पडे भक्तों को वे शरण प्रदान करने का है।

इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है की पंचमुख वाले हनुमानजी सर्वसिद्धि प्रदाता के रूप में लोक विश्रुत / प्रतिष्ठित हैं। इस पंचमुखी हनुमानजी की नित्य पूजा अर्चना करने से भक्तो की सभी प्रकार की मनोकामनाये शीघ्र ही पूरी हो जाती है इस बात में लेश मात्र भी संदेह नहीं है। कहा भी गया है —

को नहीं जानत इस जग में संकट मोचन नाम तिहारो।

हनुमानजी बहुत ही दयालु और कृपालु हैं। बल,बुद्धि और विधा प्रदान करने वाले है।  इनके स्मरण मात्र से ही बिगड़ते काम बन जाते है। समस्त प्रकार के दुखो को एक क्षण में ही नष्ट कर देते है। इनकी साधना से भक्त गण त्रिविधताप से मुक्त हो जाते हैं।

Panchmukhi Hanuman

हनुमान जी ने क्यों धारण किया पंचमुखी रूप

श्रीराम और रावण युद्ध में रावण की मदद के लिए अहिरावण ने ऐसी माया की रचना कि की सारी सेना गहरी निद्रा में सो गई। उसके बाद अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण करके उन्हें निद्रावस्था में पाताल लोक लेकर चला  गया। इस विपदा के समय में सभी ने संकट मोचन हनुमानजी का स्मरण  किया। हनुमान जी तुरंत ही पाताल लोक पहुंचे और मुख्यद्वार पर रक्षक के रूप में तैनात मकरध्वज से युद्ध कर उसे परास्त किया। जब हनुमानजी पातालपुरी के महल में  गए तो  देखते है कि श्रीराम और लक्ष्मण बंधक बने हुए है।

हनुमान जी  ने देखा कि वहां चार दिशाओं में पांच दीपक जल रहे है और मां भवानी के सम्मुख श्रीराम एवं लक्ष्मण की बलि देने की पूरी तैयारी हो रही है। अहिरावण का अंत करना है तो इन पांच दीपकों को एक साथ एक ही समय में बुझाना था। इस रहस्य पता चलते ही हनुमान जी ने तुरंत पंचमुखी रूप धारण कर उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरूड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख से सभी दीपकों को  एक साथ बुझाकर अहिरावण का  वध  कर दिया और प्रभु श्रीराम तथ लक्ष्मण  को छुड़ाकर ले आये।

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पंचमुखी हनुमान के सम्बन्ध में अन्य कथा

एक बार पञ्च मुख वाला एक भयानक राक्षस प्रकट हुआ। उसने तपस्या करके ब्रह्माजीसे वरदान माँगा की इस संसार में मुझे कोई नहीं मार पाए यदि कोई मारे भी तो मेरे रूप जैसा ही कोई व्यक्ति मुझे मार सके। ऐसा वरदान प्राप्त करके वह इस लोक में भयंकर उत्पात मचाने लगा। सभी देवी  देवताओं ने भगवान से इस कष्ट से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना की। तब भगवान् की आज्ञा से  हनुमानजी ने वानर, नरसिंह, गरुड, अश्व और शूकर युक्त पंचमुख स्वरूप का धारण किया। और उस असुर का संहार किये। इसी कारण ऐसी मान्यता है कि पंचमुखीहनुमान की पूजा-अर्चना से सभी देवताओं की उपासना के समान फल मिलता है।

हनुमान के पांचों मुखों में तीन-तीन सुंदर नेत्र त्रिविध तापो ( आध्यात्मिक, आधिदैविक तथा आधिभौतिक ) से मुक्ति प्रदान करने वाली हैं। पंचमुखी हनुमान की उपासना से हमारे समस्त विकार दूर हो जाते हैं। शत्रु परास्त हो जाते है।  इनकी उपासना जाने-अनजाने में किये गए सभी बुरे कर्म एवं चिंतन के दोषों से मुक्ति प्रदान करने वाला हैं। हनुमानजी समस्त क्लेश का शीघ्र ही हरण कर देते हैं।


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