Oath Ceremony Muhurt Method | शपथ ग्रहण मुहुर्त विधि

Oath Ceremony Muhurt Method | शपथ ग्रहण मुहुर्त विधि प्राचीन काल से ही किसी भी कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त देखकर कार्य प्रारम्भ करने की परम्परा रही है। पुराने ज़माने में जब राजतन्त्र की व्यवस्था थी तब राजज्योतिषी से शुभ मुहूर्त निकलवाकर ही राजतिलक समारोह का आयोजन किया जाता था। वस्तुतः अब राजतंत्र की व्यवस्था तो रही नहीं उसके स्थान पर प्रजातांत्रिक व्यवस्था आ चुकी है। इस व्यवस्था में भी शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन शुभ मुहूर्त के आधार पर किया जाता है। बेशक समाज के सामने यह नहीं बताया जाता है कि शपथ ग्रहण शुभ मुहूर्त के आधार पर किया गया है।
आज प्रत्येक चुनाव के बाद लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा के सदस्य पद और गोपनियता की शपथ लेते हैं। शपथ शुभ और अशुभ दोनों कार्यो के लिए लिया जाता है। शुभ कार्यो के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है तथा पद की गरिमा स्थायी रूप से बनी रहती है।

Oath Ceremony Muhurt

यथा चुनाव के बाद जब किसी पार्टी की सरकार बनती है तो सभी की यही मंशा होती है की मेरी सरकार स्थायी रूप से बने रहे और अपना कार्यकाल पूरा करे। इस कार्य के लिए ज्योतिषी स्थायी लग्न का चयन करते है ज्योतिष में स्थायी लग्न स्थिरता प्रदान करता है। अब यदि आप मुहूर्त के आधार पर स्थायी लग्न का चयन करके शपथ ग्रहण लेते है तो क्या बुराई है। आइये जानते है शपथ ग्रहण के लिए मुहुर्त चयन में किन किन बातो का ध्यान रखना जरुरी है।

शपथ ग्रहण हेतु शुभ मुहूर्त के लिए निम्न तथ्यों पर विचार करना चाहिए।

  1. तिथि विचार
  2. वार विचार
  3. नक्षत्र विचार
  4. लग्न विचार
  5. राशि विचार
  6. ग्रह विचार

तिथि विचार | Tithi Vichar for Oath Ceremony Muhurt

किसी भी मुहुर्त निकालते वक्त सर्वप्रथम तिथि का चयन करना चाहिए। तिथि चयन में रिक्ता तिथि को निषेध बताया गया है। चतुर्थी, नवमी को चतुर्दशी को रिक्ता तिथि कहा जाता है। यह तिथि शुभ नहीं माना गया है। अतः इस तिथि में भूलकर भी शपथ ग्रहण नहीं लेना चाहिए। रिक्ता तिथि को छोड़कर अन्य तिथि का चयन करना चाहिए।

Oath Ceremony Muhurt

वार विचार | Var Vichar for Oath Ceremony Muhurt

तिथि का विचार करने के बाद वार का विचार करना चाहिए। वार का अर्थ है दिन यथा सोमवार मंगलवार आदि। शपथ ग्रहण के लिए बृहस्पतिवार शुक्रवार अथवा रविवार को शुभ माना गया है। अर्थात आपने जिस तिथि का चयन किया है यदि उस दिन उपरोक्त वार में से कोई वार है तो शुभ होगा।

नक्षत्र विचार | Nakshatra Vichar for Oath Ceremony Muhurt

तिथि तथा वार का निर्धारण करने बाद नक्षत्र का चयन करना चाहिए। शपथ ग्रहण के लिए लघु, मित्र तथा स्थिर नक्षत्र का चयन करना चाहिए। यथा —
लघु नक्षत्र – अश्विनी, हस्त, पुष्य, अभिजीत।
मित्र नक्षत्र – मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा
स्थिर नक्षत्र – उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा., उत्तराभाद्रपद., रोहिणी, ज्येष्ठा और श्रवण
तिथि तथा वार के साथ उपरोक्त नक्षत्र का निर्धारण करके ही मुहूर्त निकालना चाहिए। मुहूर्त निर्धारण में नक्षत्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यदि शुभ नक्षत्र का चयन नहीं कर सके तो सब बेकार है।

लग्न विचार | Lagna Vichar for Oath Ceremony Muhurt

किसी भी शुभ मुहुर्त का आंकलन करने के लिए तिथि, वार तथा नक्षत्र को देखने के उपरान्त लग्न का विचार जरूर करनी चाहिए। शपथ ग्रहण के लिए स्थायी तथा चर लग्न का चयन करना चाहिए।

राशि विचार | Rashi Vichar for Oath Ceremony Muhurt

लग्न का विचार करते समय राशि पर भी विचार कर लेना चाहिए। राशि चयन में यथासम्भव शीर्षोदय राशि का चयन सर्वप्रथम करना चाहिए यदि शीर्षोदय राशि उपलब्ध नहीं है तो अन्य पर विचार करें।
शीर्षोदय राशियाँ — मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक एवं कुम्भ राशियाँ।

ग्रह विचार | Planet Vichar for Oath Ceremony Muhurt

तिथि,वार,नक्षत्र, लग्न तथा राशि के विचार के बाद ग्रह पर भी विचार कर लेना चाहिए। मुहुर्त लग्न से प्रथम, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम एवं दशम स्थान में शुभ ग्रह हों तथा तृतीय, षष्टम एवं एकादश स्थान में पाप ग्रह हों तो शुभ होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शपथ ग्रहण के दिन जन्म समय के चन्द्र राशि से चौथे, आठवें तथा बारहवे भाव अथवा राशि में चन्द्रमा हो तो उस दिन शपथ ग्रहण नहीं करना चाहिए।
शपथ ग्रहण मुहूर्त में तारा दोष, भद्रा दोष अथवा पंचक दोष इत्यादि कोई भी अशुभ योग हो तो उस दिन शपथ नहीं लें तो अच्छा रहेगा । मुहुर्त लग्न के छठे, आठवें तथा बारहवें भाव में चन्द्रमा का होना भी ठीक नहीं है अतः यथा संभव इसका परित्याग करना चाहिए । चन्द्रमा की उच्च तथा नीच स्थिति पर अवश्य ही विचार कर लेना चाहिए।

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