Moon in Third House – तृतीय भाव में चन्द्रमा
Moon in Third House – तृतीय भाव में चन्द्रमा होने पर व्यक्ति अपने पराक्रम से धन लाभ प्राप्त करता है। उसे अपने भाई बंधुओ से अधिक सुख मिलता है। उसकी प्रवृत्ति धार्मिक कार्यो में होती है। संसार में उसका आदर सम्मान होता है। उसके अंदर कलात्मक गुण होता है।
तृतीय भाव में चन्द्रमा (Moon in Third House) व्यक्ति को जिज्ञासु बनाता है। वह सभी विषय वस्तु की जानकारी रखने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति बिना किसी कारण के खर्च नहीं करना चाहता है। बचत करना उसका स्वाभाविक गुण होता है। अपने शान-शौकत के लिए खर्च करने में कोई संकोच भी नहीं होता है। ऐसा व्यक्ति बहुत ही शौक़ीन होता है और इनका शौक भी परिवर्तनशील होता है। यही नहीं यदि व्यवसायी (Business Man) है तो व्यवसाय में भी बार-बार परिवर्तन होता रहता है।
तृतीय भाव में चन्द्रमा यात्रा सुख देता है (Moon in third house gives journey)
यदि तृतीय भाव में चन्द्रमा (Moon in Third House) हो तो आपको यात्राएं बहुत पसंद होंगी यानि यात्रा आपके जीवन का एक हिस्सा बन जाता है। इसका मुख्य कारण है की तीसरा भाव छोटी यात्रा का भाव है और चन्द्रमा इस स्थान में बैठकर भाग्य स्थान को देखता है अर्थात अपने भाग्य वृद्धि के लिए व्यक्ति छोटी-छोटी यात्रा अवश्य करेगा यह अनुभवजन्य है। ऐसा व्यक्ति लोक प्रसिद्धि पाने के लिए भी प्रयासरत रहता है। यही नहीं यह समाज को दिखाना चाहता है कि मैं भी कुछ हूँ अर्थात हम किसी से कम क्यों बेशक इसके लिए आपको खर्च ही करना पड़े। ऐसा व्यक्ति हमेशा कुछ नया करना चाहता है। भविष्य के लिए योजनाए बनाना तो इनके लिए बायें हाथ का खेल है। इनमें एक कमी (वीकनेस) होती है ऐसा व्यक्ति अपने विचारों को दूसरे के सामने सही तरीके से रखने में समर्थ नहीं हो पाता है।
तृतीय भाव में चन्द्रमा भाई-बहन का सुख देता है।(Moon in Third House donate brother-sister happiness)
यदि चन्द्रमा तृतीय भाव में है तो जातक को भाई-बहन का सुख अवश्य ही मिलता है। मंत्रेश्वर के अनुसार भी —
सहोत्थे सभ्रातृ परमदबलशौर्य अति कृपणः।
अर्थात जिसके जन्मलग्न से तीसरे स्थान में चद्रमा हो वह मनुष्य भाई-बंधुओ से युक्त होता है। यह मनुष्य मद-युक्त, बलवान और वीर होता है। परन्तु कृपण भी होता है। पड़ोसियों से सम्बन्ध अच्छा रहता है और उनसे लाभ भी मिलता है। जीवन काल के 28 वें वर्ष से कीर्ति और प्रसिद्धि प्रारम्भ होने लगती है।
तृतीय भावस्थ चन्द्र का राशि अनुसार फल (Result according to Sign)
यदि तृतीय भाव में चन्द्रमा पापग्रह ( मंगल,शनि,राहु और केतु) की राशि में हो तो मनुष्य बहुत बोलने वाला होता है अर्थात अनर्थक बक-बक करनेवाला होता है। भाई-बंधुओ को हानि भी पहुँचाने में समर्थ होता है। चन्द्रमा यदि शुभ ग्रह ( गुरु, चन्द्र, शुक्र, बुध) की राशि में हो तो मनुष्य सर्व सुख भोगने वाला होता है। और यदि चन्द्रमा उच्च का ( वृष राशि) हो या अपनी ही राशि(कर्क) का हो तो व्यक्ति सभी प्रकार से धन-धान्य से परिपूर्ण होता है। वह काव्य शास्त्र में रूचि लेने वाला होता है।