Ketu Remedies | केतु ग्रह की शांति हेतु मंत्र, दान, पूजा तथा व्रत विधि
Ketu Remedies | केतु ग्रह की शांति हेतु मंत्र, दान, पूजा तथा व्रत विधि. पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय राहु नामक एक असुर ने धोखे से अमृत पान कर लिया था परन्तु जैसे ही अमृत पान किया की सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया परन्तु उसका सिर राहु ग्रह के रूप में अमर हो गया तथा धर केतु ( Ketu) के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।
केतु निम्नलिखित विषयों का कारक ग्रह है | Significator of Ketu Planet
केतु सामान्यतः मोक्ष, रुकावट, झंडा, मंदिर, नाना, खुजली, गुप्त रोग, गुप्त ज्ञान, जादु, अंतर्दृष्टि, वैराग्य, तर्क, बुद्धि, ज्ञान, विक्षोभ और अन्य मानसिक विकार इत्यादि का यह कारक ग्रह है। केतु का परिधान रंग-बिरंगा है। केतु स्वभाव से एक क्रूर ग्रह हैं।
जन्मकुंडली में केतु की महत्ता | Importance of Ketu Planet
जन्मकुंडली में केतु अशुभ या पापी ग्रह के रूप में स्थित है इसे छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है। परन्तु छाया ग्रह के बावजूद भी जन्मकुंडली में केतु ग्रह आध्यात्मिक ज्ञान तथा मुक्ति के लिए अपना विशेष प्रभाव बनाये रखता है। यह ग्रह हमेशा अशुभ फल नही देता जातक के अंदर विध्यमान अन्तःज्ञान को जागृत करता है। केतु हानिकारक और लाभकारी दोनों तरह के प्रभाव देने में सक्षम होता है। सूर्य-केतु ग्रहों की युति का फल
केतु और स्वास्थय | Ketu and Health
केतु ग्रह स्वास्थ्य की दृष्टि बहुत अचछा नहीं है यह अपनी दशा अन्तर्दशा में किसी न किसी रूप में बीमारी अवश्य देता है। यह शरीर में ताप उत्पन्न करता है। मानसिक कष्ट देता है। ज्यादा भाग-दौर के कारण शारीरिक पीड़ा भी देता है। केतु ग्रह का विभिन्न भाव में फल
केतु ग्रह शुभ तथा अशुभ दोनों फल देता है | Benefit of Ketu Planet
केतु ग्रह यदि अनुकूल स्थिति में है तो जातक को आध्यात्मिक गुरु बना देता है यह व्यक्ति को इस क्षेत्र मान-सम्मान भी दिलाता है। यदि केतु जन्मकुंडली में शुभ स्थिति में है तो यह जातक को मुक्ति या ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा को पूरा करने की शक्ति रखता है परन्तु यदि अगर केतु प्रतिकूल है तो इंसान की बुद्धि तक भ्रष्ट कर देता है ।
यह अपनी महादशा या अन्तर्दशा काल में जातक योग, आध्यात्म, पौराणिक ज्ञान वृद्धि की खोज में भटकता है। यह अपनी दशा में वर्षो से चली आ रही समस्या का भी हल करने में सक्षम होता है।
केतु ग्रह शांति हेतु आराध्यदेव
केतु शांति हेतु श्री गणेशजी की आराधना करनी चाहिए। गणेशजी की आराधना के लिए निम्न मंत्र का जप करना चाहिए तथा लड्डू का भोग लगाना चाहिए। केतु गोचर 2017-18 का राशियों पर प्रभाव
“ॐ ग्लूं गणेशाय नमः”
किस मंत्र से करे केतु के दुष्प्रभाव को कम | Ketu Mantra
जन्मकुंडली में केतु के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए केतु मंत्र का जाप करने से अनेक प्रकार की समस्याओ से निजात पा सकते है। यदि आप केतु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं या जन्मकुंडली में केतु अशुभ स्थिति में है, तो आप यह उपाय अवश्य करना चाहिए। केतु मन्त्र का जप मंगलवार के दिन से आरम्भ करना चाहिए। मंत्र का जप 7000 बार 43 दिन तक में अवश्य पूरा कर देना चाहिए। चन्द्र केतु की युति का फल
केतु का बीज मंत्र | Beej Mantra for Ketu
ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः
केतु का तांत्रिक मंत्र | Tantrik Mantra for Ketu
“ॐ ऎं ह्रीं केतवे नम:”
“ॐ केँ केतवे नम:”
केतु का गायत्री मंत्र | Gayatri Mantra for Ketu
ॐ पद्म पुत्राय विदहे अमृतेशाय धीमहि तन्न केतु प्रचोदयात।
केतु मंत्र जप संख्या
जप संख्या – 7000
हवन -700
तर्पण – 70
मार्जन – 7
ब्राह्मण भोजन – 1
केतु शांति हेतु दान | Donation for Ketu Planets
केतु ग्रह के लिए निम्नलिखित वस्तुओ का दान करना चाहिए। दान से पूर्व गणेश पूजा करनी चाहिए उसके बाद नवग्रह की पूजा करे तत्पश्चात क्षेत्रपाल की पूजा करे। केतु से संबंधित वस्तुओं का दान बुधवार या मंगलवार के दिन से शुरू करना चाहिए।
लहसुनिया
तिलतेल
तिल के बीज
काला कंबल,
वृषभ
कस्तूरी
सात प्रकार का अन्न
केला
केतु के लिए कौन सा रत्न धारण करे | Gemstone for Ketu Planet
- चांदी में लहसुनिया रत्न का धारण करना चाहिए।
- यदि केतु मोती के साथ है तो चांदी में मोटी धारण करना चाहिए।
केतु शांति हेतु व्रत | Fasting Day for Ketu Planet
केतु तथा राहु शांति के लिए शनिवार का व्रत करना चाहिए। केतु के लिए मंगलवार का भी व्रत विशेष रूप से प्रभावी है।
केतु शांति हेतु तांत्रिक टोटका | Totaka for Ketu Planet
- केतु को प्रतिदिन रोटी या दूध पिलाये।
- चींटी को चीनी खिलाना चाहिए।
- कम्बल का दान करें।
- अश्वगंधा अथवा अस्गंध मूल को धारण करें।
केतु के लिये रुद्राक्ष | Rudraksh for Ketu
केतु शांति हेतु अष्ट मुखी या चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।