कलयुग में पापों से मुक्ति का एकमात्र उपाय – श्री रामचंद्रजी के 108 नाम का जप
कलयुग में पापों से मुक्ति का एकमात्र उपाय – श्री रामचंद्रजी के 108 नाम का जप
कलयुग में पापों से मुक्ति का एकमात्र उपाय श्री रामचंद्रजी के 108 नाम. पद्म पुराण में महादेव पार्वती संवाद में शंकर जी पार्वती जी से कहते हैं कि श्रीरामचन्द्रजी के एक सौ आठ नाम का पाठ या श्रवण जो भक्त करता है, उसे सौ कोटि कल्पों में किये हुए समस्त पापों से शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है। वह मनुष्य कभी संसार रूपी बन्धन में नहीं पड़ता है।
पुनः कहते है – हे ! पार्वती ! श्री राम के 108 नामों का भक्ति भाव से जप करने वाले भक्तों के लिए जल स्थल हो जाते हैं, शत्रु मित्र बन जाते हैं, राजा दास हो जाते हैं, तथा जलती हुई अग्नि भी शान्त हो जाती है।
यही नहीं समस्त प्राणी उसके अनुकूल हो जाते हैं, लक्ष्मी भी स्थिर हो जाती है, ग्रह कृपा करने लगते हैं और सभी प्रकार के उपद्रव शीघ्र ही शान्त हो जाते हैं। जो भक्त भक्तिपूर्वक इन नामों का जप करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है साथ ही तीनों लोक के प्राणी उसके वश में हो जाते हैं। श्री रामरक्षा स्तोत्र के जप से घर में पधारती हैं लक्ष्मी
कलयुग में पापों से मुक्ति का एकमात्र उपाय श्री रामचंद्रजी के 108 नाम
ऊँ श्रीरामो रामचन्द्रश्च रामभद्रश्च शाश्वत:।
राजीवलोचन: श्रीमान् राजेन्द्रो रघुपुंगव: ।। 1
जानकीवल्लभो जैत्रो जितामित्रो जनार्दन:।
विश्वामित्रप्रियो दान्त: शरण्यत्राणतत्पर:।। 2
वालिप्रमथनो वाग्मी सत्यवाक् सत्यविक्रम:।
सत्यव्रतो व्रतफल: सदा हनुमदाश्रय:।। 3
कौसल्येय: खरध्वंसी विराधवधपण्डित:।
विभिषणपरित्राता दशग्रीवशिरोहर:।। 4
सप्ततालप्रभेत्ता च हरकोदण्डखण्डन:।
जामदग्न्यमहादर्पदलनस्ताटकान्तकृत् ।। 5
वेदान्तपारो वेदात्मा भवबन्धैकभेषज:।
दूषणत्रिशिरोSरिश्च त्रिमूर्तिस्त्रिगुणस्त्रयी।।
त्रिविक्रमस्त्रिलोकात्मा पुण्यचारित्रकीर्तन:।
त्रिलोकरक्षको धन्वी दण्डकारण्यवासकृत् ।। 6
अहल्यापावनश्चैव पितृभक्तो वरप्रद:।
जितेन्द्रियो जितक्रोधो जितलोभो जगद्गुरु:।। 7
ऋक्षवानरसंघाती चित्रकूटसमाश्रय:।
जयन्तत्राणवरद: सुमित्रापुत्रसेवित:।। 8
सर्वदेवाधिदेवश्च मृतवानरजीवन:।
मायामारीचहन्ता च महाभागो महाभुज:।। 9
सर्वदेवस्तुत: सौम्यो ब्रह्मण्यो मुनिसत्तम:।
महायोगी महोदार: सुग्रीवस्थिरराज्यद:।। 10
सर्वपुण्याधिकफल: स्मृतसर्वाघनाशन:।
आदिपुरुषो महापुरुष: परम: पुरुषस्तथा।। 11
पुण्योदयो महासार: पुराणपुरुषोत्तम:।
स्मितवक्त्रो मितभाषी पूर्वभाषी च राघव:।। 12
अनन्तगुणगम्भीरो धीरोदात्तगुणोत्तर:।
मायामानुषचारित्रो महादेवाभिपूजित:।। 13
सेतुकृज्जितवारीश: सर्वतीर्थमयो हरि:।
श्यामांग सुन्दर: शूर: पीतवासा धनुर्धर:।। 14
सर्वयज्ञाधिपो यज्ञो जरामरणवर्जित:।
शिवलिंगप्रतिष्ठाता सर्वाघगणवर्जित:।।
परमात्मा परं ब्रह्म सच्चिदानन्दविग्रह:।
परं ज्योति: परं धाम पराकाश: परात्पर:।। 16
परेश: पारग: पार: सर्वभूतात्मक: शिव:।
इति श्रीरामचन्द्रस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ।। 17
गुह्याद्गुह्यतरं देवि तव स्नेहात् प्रकीर्तितम् ।।
श्री राम जय राम जय जय राम।।श्री राम जय राम जय जय राम।।श्री राम जय राम जय जय राम।।श्री राम जय राम जय जय राम।।
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sir my d.o.b. s 3/1/1995 and time is 01:05pm . place of birth is amritsar, punjab.
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