Effects of Fourth House Lord in Ninth House in Hindi
Effects of Fourth House Lord in Ninth House in Hindi |चतुर्थ भाव के स्वामी का नवम स्थान में फल, जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन,प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा इत्यादि का कारक भाव है तथा नवम भाव भाग्यस्थान, यात्रा, पिता लक्ष्मी, तीर्थस्थान इत्यादि का भाव है जब चतुर्थ भाव का स्वामी नवम स्थान में स्थित होगा तो निश्चित ही चतुर्थ भाव के कारकत्व को की वृद्धि करेगा। ऐसा जातक धनवान होता है तथा उसे पैतृक सम्पत्ति का लाभ भी मिलता है। यही नहीं ऐसा जातक गाडी खरीदता है तो उसमे अपने पिता से पैसा भी लेता है । इसके सम्बन्ध में यमन जातक में कहा गया है —
नवमगे सुखपे बहुभाग्यवान पितृधनार्थ सुह्रिनमनुजाधिप।
भवति तीर्थकरो व्रतवान क्षमी सुनयन: परदेश सुखी नरः।।
अर्थात जब चतुर्थ भाव का स्वामी भाग्यस्थान में होता है तो व्यक्ति सुखी तथा भाग्यवान होता है। पिता के धन से सुख की प्राप्ति होती है। अपने दोस्तों के मध्य महत्वपूर्ण होता है। ऐसा व्यक्ति अनेक धार्मिक यात्रा करता है इसे जब भी मौका मिलता है धार्मिक यात्रा से चुकता नहीं है। आपको विदेश यात्रा का भी सुख मिलेगा यदि बारहवे भाव के स्वामी के साथ सम्बन्ध बनता है तो निश्चित ही विदेश यात्रा ( Foreign Travel ) करेंगे।
ऐसा व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का होता है। ऐसे लोग किसी मंदिर, मस्जिद या गिरजाघर में मुख्य पुजारी के रूप में कर करते है। आप जैसे व्यक्ति धार्मिक संस्था से जुड़कर जीवन यापन करते है। अपने शरीर तथा विचारो को व्रत के माध्यम से सात्विक बनाने का प्रयास करता है।
ऐसे जातक की पत्नी कार्यशील होती है। यदि पारिवारिक कारण से इन्हें कार्य नहीं करने दिया जाता है तो भी घर में ही वैसा कार्य करेगी जिससे परिवारिक की उन्नति होती है। वह परिवार तथा समाज के लिये कार्य करेंगी। इनका व्यवसाय अवश्य ही बढ़ता है।
यदि हम चतुर्थ भाव से विचार करे तो चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव में अपने से षष्ठ स्थान होता है। इस कारण पैतृक सम्पत्ति ( Paternal Property) को लेकर कोई न कोई विवाद होता है और यदि अशुभ ग्रह से प्रभावित है तो किंचित नुक्सान के साथ धन की प्राप्ति होगी। परन्तु शुभ ग्रह की दृष्टि या युति होती है तो विवाद के बाद भी लाभ मिलता है। ऐसे व्यक्ति को दूसरे के काम में टांग अड़ाने की आदत होती है।