आइये जानते है Diwali Pujan Vidhi / दीपावली पूजन कैसे करें। नमस्तेस्तु महामाये श्री पीठे सुरपूजिते। शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते।। अर्थात श्रीपीठ पर विराजमान देवताओं द्वारा पूजित हाथों में शंख, चक्र, गदा धारण करने वाली महालक्ष्मी को नमस्कार है।भगवती महालक्ष्मी चल-अचल, दृश्य – अदृश्य सभी सम्पत्तियों, सिद्धियों तथा निधियों की अधिष्ठात्री साक्षात नारायणी है। श्री गणेशजी सिद्धि, बुद्धि एवं शुभ और लाभ के स्वामी तथा सभी अमंगलों एवं विघ्नो के नाश करने वाले है तथा अनवरत सदबुद्धि प्रदान करने वाले है इसलिए इनके साथ में पूजन करने से सबका कल्याण और मंगल होता है।
Diwali Pujan / दीपावली पूजन के लिए पूजा सामग्री
लक्ष्मी-श्रीगणेश की मूर्तियाँ, केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, ११ दीपक, रूई, कलावा, नारियल और तांबे का कलश चाहिए।
Diwali Pujan Vidhi / दीपावली पूजन की तैयारी कैसे करें ?
कार्तिक कृष्ण अमावस्या को श्री महालक्ष्मी एवं श्री गणेशजी की नूतन (New) प्रतिमाओ का प्रतिष्ठापूर्वक विशेष पूजन किया जाता है। पूजा के दिन अपने घर को तथा पूजन स्थल को साफ-सुथरा व पवित्र कर लेना चाहिए। स्वयं भी स्नान करके श्रद्धा-भक्तिपूर्वक पूजा हेतू तैयार हो जाना चाहिए और पूजा के लिए जो मुहूर्त है उसी समय पर पूजा कर लेना चाहिए।
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महालक्ष्मी पूजा के लिए कपडे के पवित्र आसन बना ले अथवा लकड़ी की चौकी को अच्छी तरह स्वछ भींगे हुए कपड़ा से साफ कर चौकी को यथा स्थान रख दे उसके बाद चौकी पर लक्ष्मीजी की मूर्ति को गणेशजी के प्रतिमा के दाहिने भाग में इस प्रकार स्थापित करे कि पूजा करते समय पूजनकर्ता का मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा में हो। महालक्ष्मीजी के पास ही किसी पवित्र पात्र में केसर से युक्त चन्दन से अष्टदल कमल बना ले तथा उसपर द्रव्य-लक्ष्मी (रुपया) को भी स्थापित करे और दोनों की पूजा एक साथ करें। उसके बाद सभी सामग्रियों को यथास्थान रख दे जैसे —
ताम्बे के कलश को लक्ष्मीजी के पास रखे हुए चावलों पर रखना चाहिए। नारियल को लाल वस्त्र में ऐसे लपेटें कि नारियल का आगे का भाग स्पष्ट रूप से दिखाई देता रहे। पुनः इस नारियल को कलश पर रख दे। लक्ष्मी माता की ओर श्री चिह्न बनाना चाहिए तथा श्रीगणेशजी की ओर त्रिशूल और चावल का ढेर लगाएँ। सर्वप्रथम सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाना चाहिए। छोटी वाली चौकी के सामने तीन थाली तथा जल से भरा हुआ कलश रखें। तीन थालियों में निम्नलिखित सामग्री रखना चाहिए।
प्रथम थाली :- ११ ग्यारह दीपक रखें।
दूसरी थाली :- वस्त्र, चन्दन मिठाई,सिंदूर,खिल,बताशे, सुपारी, पान आदि रखे।
तीसरी थाली :- फूल, दुर्वा चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती और एक दिया रखें।
पुनः इन थालियों के सामने पूजकर्ता बैठ जाए तथा परिवार के अन्य सदस्य पूजाकर्ता के बायीं ओर बैठ जाना चाहिए।
Mahalakshmi Pujan Vidhi / महालक्ष्मी पूजन कैसे करें ?
सर्वप्रथम पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके आचमन, पवित्री-धारण, मार्जन-प्राणायाम कर, अपने ऊपर तथा पूजा सामग्री पर निम्नलिखित मन्त्र को पढ़कर जल छिड़कना चाहिए।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोsपि वा।
य स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
उसके बाद आसन-शुद्धि और स्वस्ति-पाठ करे। पुनः अपने हाथ में अक्षत, द्रव्य , फूल और जल लें उसके बाद संकल्प मंत्र को बोलते हुए यह संकल्प करे कि मैं अमुक व्यक्ति, अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल की प्राप्ति हो यथा —
महालक्ष्मीपूजा के लिए संस्कृत में संकल्प —-
ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः। ॐ अद्य ब्रह्मणः अहनि द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वंतरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे बौद्धावतारे भूर्लोके जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे दिल्ली/मुंबई (आप जिस स्थान में रह रहे है वहां का नाम बोले यथा यदि दिल्ली में है तो दिल्ली बोले) क्षेत्रे/ नगर/ग्रामे कीलक नाम संवत्सरे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस्या तिथौ बुधवासरे(अपना गोत्र बोले यथा कौंडिल्य, भरद्वाज आदि) गोत्रः दीपक शर्मा (अपना नाम बोले) गुप्तोsहम् मध्याने/सायं(जब आप पूजा कर रहे हो उसके अनुसार बोले) सर्वकर्मसु शुद्धयर्थं श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्तयर्थे श्रुति ज्ञाताज्ञात-कायिकवाचिकमानसिक-सकलपापनिवृत्तिपूर्वकम् स्थिरलक्ष्मी प्राप्तये श्रीलक्ष्मीप्रीत्यर्थं महालक्ष्मीपूजन कुबेरादिनाम च पूजनं करिष्ये। तदङ्गत्वेन गौरीगणपत्यादिपूजनम् च करिष्ये। यह संकल्प-वाक्य पढ़कर जलाक्षतादि गणेशजी के समीप छोड़ दे।
उसके बाद सबसे गणेशजी, शंकरजी श्रीनारायण लक्ष्मी जी काली जी, सरस्वतीजी कुबेरजी का पूजन करें उसके बाद लक्ष्मी गणेश जी को स्नान कराये और पूजन आरम्भ करें। अनन्तर प्रधान-पूजा में महालक्ष्मी का पूजन करें। गौरी का पूजन करें। हाथ में थोड़ा-सा जल, फूल लेकर ध्यान, आह्वाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, दुग्धस्नान, दधिस्नान, घृतस्नान, मधुस्नान, शर्करास्नान, पञ्चामृतस्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, मधुपर्क, आभूषण, गंध, रक्तचंदन, सिंदूर, कुमकुम, पुष्पसार, अक्षत, पुष्प एवं पुष्पमाला, दूर्वा महालक्ष्मीजी को समर्पित करें। उपर्युक्त सभी वस्तुओ को समर्पित करने के लिए निम्न प्रकार से मंत्र का प्रयोग करना चाहिए। यथा —
ॐ महालक्ष्म्यै नमः। दुग्ध/दही/पुष्पं/दूर्वा/(अर्थात इसी प्रकार अभिहित वस्तु का नाम लेकर केवल बाद में च समर्पयामि बोले) च समर्पयामि। पूजन मंत्र बोलें और पूजा सामग्री चढ़ाये। पुनः हाथ में अक्षत और फूल लेकर सरस्वती पूजा, कुबेर पूजा तथा नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें और अन्त में महालक्ष्मीजी की आरती करके पूजा को समाप्त करें।
धन प्राप्ति के लिए मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं श्रीं महालक्ष्मी नमः।
व्यापार वृद्धि के लिए मंत्र
ॐ गं गं श्रीं श्रीं श्रीं मातृ नमः।
व्यापार वृद्धि के लिए ५ कमलगट्टे और ५ कौड़ी देवी माँ को अर्पित करें तथा इसे अगले दीपावली तक रखें रहें। इसे आप अपने तिजोरी में भी रख सकते हैं। ऐसा करने से धन और व्यापार दोनों की वृद्धि होती है।
खाता-बही पूजन मन्त्र
ॐ श्रीं ह्रीं नमः ।
विद्या प्राप्ति के लिए मंत्र
ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः।
दीपावली पूजन में निम्न स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
- कनकधारा स्तोत्र
- देवी सूक्तम
- श्री सुक्तम
- श्री लक्ष्मी सहस्त्रनाम
- विष्णु सहस्त्रनाम
ॐ महालक्ष्म्यै नमः।ॐ महालक्ष्म्यै नमः।ॐ महालक्ष्म्यै नमः।ॐ महालक्ष्म्यै नमः।ॐ महालक्ष्म्यै नमः।ॐ महालक्ष्म्यै नमः।ॐ महालक्ष्म्यै नमः।ॐ महालक्ष्म्यै नमः।ॐ महालक्ष्म्यै नमः।ॐ महालक्ष्म्यै नमः।ॐ महालक्ष्म्यै नमः।