Diwali Pujan Shubh Muhurat 2022 | दीपावली पूजन शुभ मुहूर्त 2022
Diwali Pujan Shubh Muhurat 2022 | दीपावली पूजन शुभ मुहूर्त 2022 , इस वर्ष दीपावली 24 अक्टूबर को है। शास्त्र में कहा गया है —
कार्तिक स्यासिते पक्षी लक्ष्मीर्निन्दा विमुञ्चति।
स च दीपावली प्रोक्ता सर्वकल्याणरूपिणी।
अर्थात दीपावली का पर्व तथा महालक्ष्मी पूजा कार्तिक कृष्ण पक्ष के अमावस्या में प्रदोषकाल एवं अर्द्धव्यापिनी हो तो विशेष रूप से शुभ होती है। यह पूजा स्थिर या द्विस्वभाव लग्न में ही करना चाहिए। इस वर्ष कार्तिक अमावस्या २४ ओक्टुबर सोमवार को संध्या १७ २८ के बाद प्रदोष, निशीथ तथा महानिशीथ व्यापिनी होगी। प्रदोषकाल तथा निशीथकाल (थोड़े समय के लिए) व्यापिनी अमावस्या से युक्त है अतः यह दीपावली विशेष रूप से पुण्य प्रदान करने वाला होगा।
व्यापारिक प्रतिष्ठान के लिए सर्वश्रेष्ठ पूजा मुहूर्त :- 10:55 से 12:40 तक
गृहस्थों के लिए सर्वश्रेष्ठ लक्ष्मी पूजा मुहूर्त :- 18:50:10 से 20:42 तक |
दीपावली के दिन “अमावस्या तिथि, प्रदोषकाल निशीथकाल महानिशीथकाल तथा चौघड़ियाँ मुहूर्त” का बहुत ही महत्त्व होता है क्योकि इसी मुहूर्त में पूजा-पाठ करने का विधान है। इस मुहूर्त में पूजा पाठ करने से मनोवांछित धन धान्य की प्राप्ति होती है।
दीपावली 2022 लक्ष्मी पूजा मुहूर्त | |
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त | 18:50 से 20:42 तक |
प्रदोष काल मुहूर्त | 17:50 से 20:15 तक |
वृषभ काल मुहूर्त | 18:50 से 20:42 तक |
लक्ष्मी पूजा हेतु प्रदोषकाल मुहूर्त 2022 | Pradosh Kaal Muhurt 2022
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोषकाल में और स्थिर लग्न (वृष, सिंह, वृश्चिक तथा कुम्भ) में ही किया जाता है। दीपावली के दिन चार मुख वाला दीप पूरी रात प्रज्वलित करना अत्यंत शुभ और मंगल माना जाता है। इससे धन धान्य की वृद्धि होती है।
जानें ! कैसे करें लक्ष्मी पूजा ?
प्रदोषकाल मुहूर्त :-
दीपावली के दिन सांय 17:50 से 20:15 तक प्रदोष काल रहेगा। दीपावली में प्रदोष काल मुहूर्त तथा स्थिर लग्न का बड़ा ही महत्त्व है। और इस वर्ष दोनों प्रदोषकाल तथा स्थिर लग्न दोनों एक साथ पड़ रहा है यह शुभ संकेत है। स्थिर लग्न में दीपावली पूजन करने से लक्ष्मी माता आपके घर में स्थिर रूप में विराजमान होती है। प्रदोषकाल में ही शुभ लाभ तथा स्वास्तिक चिन्ह बनाने का कार्य करना चाहिए।
वृषभ लग्न | स्थिर लग्न | Taurus Ascendant | Fix Lagan
सांय 18:50 से 20:42 तक तक वृषभ लग्न है । ज्योतिष में वृषभ लग्न स्थिर लग्न (Fix Lagan) होता है और स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजा करने से धन प्रदायिनी लक्ष्मी स्थायी रूप से घर में विराजमान रहती है। अतः स्थिर लग्न में ही पूजा करनी चाहिए। इस वर्ष इसी समय महालक्ष्मी पूजा करना शुभ होगा।
प्रदोषकाल का चौघड़िया मुहूर्त 2022 | Chaughadia Muhurt 2022
दीपावली 2022 शुभ चौघड़िया मुहूर्त | ||
अपराह्न मुहूर्त (लाभ, अमृत) | 14:58 से 17:43 | दूकान, ऑफिसआदि में पूजा हेतु |
सायंकाल मुहूर्त (लाभ) | 22:35 से 24:12 | घर में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त |
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल) | 27:26 से 29:04 | व्यापारियों, मंत्र सिद्धि हेतु शुभ मुहूर्त |
उषाकाल मुहूर्त (लाभ) | 27:26 से 29:04 | साधना हेतु शुभ मुहूर्त |
चौघड़िया मुहूर्त :-
प्रदोषकाल में ही सांय 14 :58 से 17:43 तक लाभऔर अमृत चौघड़िया मुहूर्त है। स्थिर लग्न 18 :50 से शुरू है । प्रदोषकाल में ही मंदिर में दीपदान तथा घर में दीप जलाना उचित होगा। इसी समय महालक्ष्मी पूजा कुबेर पूजा बही खाता पूजन ब्राह्मणों तथा अपने सगे सम्बन्धियों को उपहार देना भी शुभ होगा।
प्रदोषकाल में क्या करना चाहिए | What should do in Pradosh kaal
दीपावली के दिन प्रदोष काल में मंदिर में रंगोली बनाये। दीपदान और पूजा से जुडी अन्य तैयारी इस समय पर कर लेनी चाहिए तथा मिष्ठान वितरण का कार्य भी इसी समय पर करना शुभ होता है। इसके अलावा मुख्य दरवाजे पर स्वास्तिक और शुभ लाभ लिखने का कार्य इस मुहूर्त पर करना चाहिए। इस समय अपने मित्रों व परिवार के बडे सदस्यों को उपहार देकर आशिर्वाद प्राप्त करना चाहिए ऐसा करने से आपके जीवन की शुभता में वृ्द्धि होती है।
महानिशीथकाल मुहूर्त 2022 | Mahanishith kaal Muhurt 2021
दीपावली 2021 महानिशीथ काल मुहूर्त | |
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त | 22:55 से 25:31 तक |
महानिशीथ काल मुहूर्त | 22:55 से 25:31 तक |
सिंह काल मुहूर्त | 25:21 से 27:39 तक |
महानिशीथकाल
महानिशीथ काल में सिंह लग्न केवल 10 के लिए होगा इसी समय पूजा प्रारम्भ कर देना चाहिए इस समय पूजा करना बहुत अच्छा माना गया है। सिंह लग्न में अमावस्या तिथि समाप्त हो जाती है यह भी ठीक नहीं है। इसी लग्न में काल की शुभ चौघड़िया मुहूर्त है अतः यह काल सामान्य गृहस्थजीवन तथा साधना दोनों के लिए शुभ होगा। महानिशीथकाल में महाशक्ति काली की उपासना, यंत्र-मन्त्र तथा तांत्रिक अनुष्ठान और साधना करने के लिए यह काल विशेष रूप से प्रशस्त है।
महानिशीथकाल में क्या करना चाहिए | What should do in Mahanishita kaal
महानिशीथकाल में तांत्रिक कार्य करना अच्छा माना जाता है। इस काल में कर्मकांडी कर्मकाण्ड, अघोरी यंत्र-मंत्र-तंत्र आदि कार्य व विभिन्न शक्तियों का पूजन करते हैं। अवधि में दीपावली पूजा करने के बाद घर में एक चौमुखा दीपक रात भर जलते रहना चाहिए। यह दीपक लक्ष्मी, सौभाग्य रिद्धि सिद्धि के प्रतीक रूप में माना गया है।