Vastu Tips For Toilet and bathroom in Hindi

Vastu Tips For Toilet and bathroom in Hindi

Vastu Tips For Toilet and bathroom in HindiVastu Tips For Toilet and Bathroom in Hindi . वास्तु शास्त्र अर्थात वैसा निवास स्थान जो शास्त्र सम्मत हो। आज समाज में हर क्षेत्र के प्रति लोगो की जागरूकता बढ़ रही है उसमे बाथरूम और शौचालय विशेष रूप से है। आज लोग बाथरूम बनाने में बहुत अधिक व्यय कर रहे है यह एक बहुत अच्छी और स्वस्थ परम्परा की शुरुआत है। वास्तुशास्त्र बाथरूम और शौचालय के लिए शास्त्र सम्मत सलाह देता है। यदि शौचालय और स्नानघर ( Toilet and Bathroom) घर में साफ़ सफाई नहीं है तो बाथरूम नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बन जाता हैं और परिणामस्वरूप आर्थिक नुकसान, शारीरिक कष्ट जैसे ब्रेन हैमरेज, ब्लड प्रेशर, पारिवारिक वा दाम्पत्य जीवन में क्लेश इत्यादि देने में समर्थ हो जाता है। हालांकि, यदि आप वास्तु शास्त्र द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार बाथरूम का निर्माण अथवा पुनर्निर्माण करते है तो निश्चित ही अनेक प्रकार के बीमारियों तथा आर्थिक नुकसान झेलने से बच सकते है।

आइये जानते है वास्तुशास्त्र के अनुसार टॉयलेट और वाशरूम कैसा होना चाहिए

  1. टॉयलेट बनाने की सही दिशा नैऋत्य कोण ( North-East) है यदि इस दिशा में जगह न मिले तो अन्य दिशा का तलाश करना चाहिए। नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य या पश्चिम-उत्तर (वायव्य कोण)  में भी शौचालय ( Toilet)  बना सकते है। Vastu Tips For Toilet and bathroom in Hindi
  2. यदि आपके बाथरूम में गीजर लगा है तो टॉयलेट के अंदर स्थित आग्नेय कोण में गीजर लगाना चाहिए क्योकि गीजर का संबंध अग्नि से है। उत्तर, पूर्व वा ईशान कोण में गीजर जैसे उपकरण का प्रयोग खतरनाक साबित हो सकता है।
  3. घर के उत्तर दिशा कुबेर का स्थान है यदि उस दिशा में शौचालय बनाते है तो निश्चित ही आर्थिक नुकसान तथा कैरियर संबंधी परेशानियां होगा। इस स्थान में बने शौचालय वाले मकान में रहने वाले लोगों को धन कमाने का अवसर बहुत ही कम मिलता है और यदि मिलता भी है तो उस अवसर का लाभ नहीं उठा पाते है इस कारण अपने जीवन यात्रा में आगे नहीं बढ़ पाते हैं।
  4. ईशान कोण (उत्तर-उत्तर-पूर्व दिशा) में बना शौचालय बहुत ही खतरनाक साबित होता है यह जातक के अंदर विद्यमान रोग प्रतिरोधक क्षमता को धीरे धीरे कमजोर बना देता है परिणाम स्वरूप जातक बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं अतः इस दिशा में शौचालय नही बनवाना चाहिए। घर के पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशा में बना टॉयलेट व्यक्ति को थकान और भारीपन महसूस कराता है साथ ही लम्बे समय में ब्रेन हैमरेज की बीमारी देता है।
  5. शौचालय में सीट इस प्रकार बैठाना चाहिए कि उस पर बैठते समय व्यक्ति का मुख दक्षिण या उत्तर दिशा की ओर हो।
  6. शौचालय का द्वार घर के मंदिर, किचन आदि के सामने नहीं खुलना चाहिए। यदि आपके शौचालय का द्वार मंदिर किचन की ओर खुल रही है तो सबसे पहले मोटा पर्दा लगा दें।
  7. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शौचालय में राहू ग्रह का वास होता है तथा स्नानगृह में चंद्रमा का वास होता है। राहु ग्रह का स्थान नैऋत्य कोण में है इसी कारण इसी दिशा में शौचालय सबसे शुभ माना जाता है।
  8. वॉश बेसिन और शॉवर क्षेत्र वाशरूम के पूर्व, उत्तर और उत्तर-पूर्व भाग में होना चाहिए।
  9. शौचालय या स्नानागार के जल निकासी के आउटलेट के लिए सही दिशा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व होता है अतः इसी दिशा का चयन करें।
  10. बाथरूम के फर्श का ढलान उत्तर या पूर्व की दिशा में होना शुभ माना जाता है।
  11. बाथरूम में खिड़की या वेंटिलेशन का होना बहुत जरुरी है क्योंकि यह बाथरूम के अंदर उत्पन्न होने वाले बदबू तथा
  12. बैक्टीरिया को नष्ट करता है। खिड़की पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए ऐसा होने से सूर्य की किरणे तथा शुद्ध हवा आती जाती है जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
  13. शौचालय का इंटीरियर भी बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। वाशरूम के लिए सबसे बढ़िया रंग क्रीम, सफेद, पिंक तथा स्काई ब्लू होता है।
  14. यदि आपके बाथरूम में टॉयलेट नहीं है तो आप उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में बाथरूम बना सकते हैं।
  15. बाथरूम के अंदर किसी भी भगवान् की मूर्ति नहीं लगानी चाहिए। यदि कोई पिक्चर लगानी है तो प्राकृतिक दृश्य का चित्र लगाए। दृश्य में पानी का स्रोत होना सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है।
  16. बाथरूम के अंदर वाशिंग मशीन हमेशा दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए यदि ऐसा नहीं करते है तो आपका वाशिंग मशीन जल्द खराब हो सकता है या आपके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ सकता है।
  17. कोशिश करे की आपके बाथरूम का दीवार मंदिर या किचन की दीवार एक साथ न हो।

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