Effects of Fourth House Lord in Eighth House in Hindi
Effects of Fourth House Lord in Eighth House in Hindi | चतुर्थ भाव के स्वामी का अष्टम भाव में फल किसी भी जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव माता,( Mother) वाहन, ( Vehicle ) प्रॉपर्टी, ( Property) भूमि, ( Land) मन की ख़ुशी, ( Mental Happiness) शिक्षा ( Education) इत्यादि का कारक भाव है यह भाव तथा इस भाव का स्वामी जिस भी स्थान में स्थित हो इससे सम्बंधित फल प्रदान करता है। अष्टम भाव जिसे रंध्र स्थान भी कहा जाता है मृत्यु, ( death) रुकावट,( Obstacle) हानि,( Loss) अन्वेषण,( Research) महिला की कुंडली में मांगल्य, ( Marital wish in women horoscope) तंत्र,( Tantra) आध्यात्म ( Spiritualism) इत्यादि का कारक भाव है। जब चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम स्थान में स्थित होगा तो निश्चित ही चतुर्थ भाव के कारकत्व को नष्ट करेगा या उस भाव से सम्बंधित फल मे विलम्ब करेगा ।
सुखेश ( Fourth Lord ) का स्वामी जब मृत्यु स्थान में जाएगा तो मृत्यु किसकी होगी सुख की। यहाँ पर “सुख की मृत्यु” ( death of comfort ) से मतलब है सुख में कमी होना। इस स्थिति में धन की हानि भी होती है। यदि वाहन का प्रयोग कर रहे है तो दुर्घटना के कारण मौत भी हो सकती है। बंधू-बांधव ( Brother and Relative) के साथ सामंजस्य बैठने में भी दिक्कत होती है।
यवन जातक में कहा गया है ——
सुखेश व्ययरंध्रस्थे सुखीहीनो भवेन्नरः।
पितृसौख्य भवेदल्प दीर्घायूर्जायते ध्रुवम।।
अर्थात जब चतुर्थेश अष्टम में स्थित होगा तो वैसे जातक के सुख में कमी होगी। पिता का सुख भी कम मिलेगा पिता के सुख में कमी का स्वरूप अनेक रूप में हो सकता है यथा — घर के बाहर रहकर पढाई करना ( Sturdy out of home) या घर से दूर नौकरी करना इत्यादि। पिता की आयु पूर्ण होती है।
ऐसा जातक यदि कोई रिसर्च का कार्य करे तो उसमे सफलता मिलती है। जमीन जायदाद की हानि होती है। पैतृक सम्पती विवाद में हानि उठाना पड़ता है।दोस्तों तथा पत्नी के सुख में भी कमी हो सकती है।
ऐसे जातक का शिक्षा के क्षेत्र में भी रुकावट आती है। कई बार तो जातक परीक्षा के दौरान रिस्टीकेट हो जाता है या रेस्टिकेट होते होते बचता है। कई बार पारिवारिक जिम्मेदारी के कारण पढाई छोडना पड़ जाता है। वैसा जातक यदि सकारात्मक सोच लेकर कोई काम करता है तो वह अपनी जीवन यात्रा में बहुत आगे बढ़ता है।