Fourth House Lord in Eleventh House Result in Hindi
Fourth House Lord in Eleventh House Result in Hindi | चौथे भाव के स्वामी का ग्यारहवे भाव में फल , किसी भी व्यक्ति के जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन,प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा तथा भौतिक सुख इत्यादि कारक भाव का सुख प्रदान करता है वही ग्यारहवा भाव लाभ स्थान, बड़े भाई, मित्र तथा व्यक्ति की इच्छापूर्ति करने वाला स्थान है अतः जब चतुर्थेश इस स्थान पर होता है तो जातक की इच्छा पूर्ति होती है। यदि चतुर्देश लाभेश के साथ इस स्थान पर स्थित होता है तो व्यक्ति कम उम्र से ही चतुर्थ भाव के सुख का उपभोग करने लगता है प्रायः यह भी देखा गया है कि ऐसा जातक भौतिक सुख को अपने जीवन में ज्यादा तरजीह देता है ।
एकादशे तुर्यपतौ धर्मी पितृपालकौ सुकर्मा च।
पितृभक्तो भवति पुनः प्रचुरायुव्याधिरहितश्च।।
अर्थात किसी जातक की जन्मकुंडली में जब चौथे भाव वा सुख भाव का स्वामी लाभ स्थान में स्थित होता है तो वह धार्मिक तथा अपने पिता का पोषक होता है। आपके कर्म समाज और परिवार के मापदंडो के अनुरूप होगा। आप दीर्घायु होंगे तथा रोग दुःख से रहित होंगे। आपको अचानक लाभ हो सकता है। ऐसे जातक को यात्रा से लाभ होता है।
ग्यारहवा स्थान लाभ स्थान है अतः ऐसा जातक हमेशा लाभ की बात करते रहेगा कई बार तो पढाई के दौरान ही लाभ के कारण पढाई छोड़कर नौकरी करने लगता है या पढाई करते करते ऐसा कोई काम जरुर करेगा जिसमे लाभ हो । ऐसे जातक का मुख्य मकसद लाभ कमाना होता है।
ऐसा जातक अनेक दोस्तों के साथ रहता है और दोस्त से लाभ भी प्राप्त करता है। ऐसा व्यक्ति कोई न कोई बीमारी से ग्रसित जरुर होता है । कई कुंडली में यह देखा गया है की जातक मानसिक रूप से परेशान रहता है । इनकी माता का स्वास्थ्य भी ख़राब रह सकता है ।
मकर लग्न हो तथा चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल लाभ स्थान में हो तो जातक को भूमि तथा प्रोपर्टी का लाभ मिलता है । ऐसे जातक को अपने मकान का लाभ तो मिलता है परन्तु कई बार उस मकान का उपभोग नहीं कर पाता या करता है तो देर से।